गोलकोण्डा का किला | और इससे जुडी जानकारी | Golconda Fort and its amazing fact in Hindi.

गोलकोण्डा का किला | और इससे जुडी जानकारी | Golconda Fort and its amazing fact in Hindi.


भारत देश में बहुत पुरानी और ऐतिहासिक किलें है | जो अपनी अद्भुत और रोचक किस्से-कहानियों के लिए प्रसिद्ध है | उनमे से एक है गोलकोण्डा का किला जिसे लोग गोलकुंडा के नाम से भी जानते है | यह किला भारत के तेलंगना राज्य के हैदराबाद के दक्षिण से 11 किलोमीटर दुरी पर स्थित है। यह कुतबशाही राज्य में मिलनेवाले हीरो के लिये प्रसिद्ध था।


Golkonda Fort


गोलकोण्डा का इतिहास

गोलकुंडा/ गोलकोण्डा का निर्माण 14वीं शताब्दी में वारंगल के राजा ने करवाया था। इतिहासकारों की माने तो यह किला पहले मिट्टी के रूप में था जिसे काकतिया शासको ने बनाया किया था। बाद में 16 शताब्दी में कुतबशाही राजाओं के शासनकाल में एक विस्तृत और मजबूत रूप दिया गया।

वर्तमान हैदराबाद के शिलान्यास के समय तक यह कुतबशाही राजाओं का राजधानी रहा। तक़रीबन 62 सालो तक कुतुबशाही सुल्तानों ने वहा राज किया। 

इस शहर और किले का निर्माण ग्रेनाइट हिल से 120 मीटर (480) ऊंचाई पर बना हुआ है। इस किले में कुल आठ दरवाजे है और पत्थर की तीन मील लंबी मजबूत दीवार से घिरा है। कुतुबशाही राजाओ के ग्रेनाइट पत्थर के मकबरे अब भी यहाँ विद्यमान है। जो बहुत ही जर्जर अवस्था में है।

सन 1687 ई. में औरंगजेब ने इस किले को जीत लिया। कहा जाता है की 17 वी शताब्दी तक गोलकुंडा को हीरे का एक प्रसिद्ध बाजार माना जाता था। इससे दुनिया को कुछ सर्वोत्तम हीरे मिले, जिसमे कोहिनूर शामिल था। कई और भी प्रसिद्ध हीरे गोलकुंडा की खदानों से खोदे गए थे। जैसे:-

  • दारिया-ए-नूर
  • नूर-उल-ऐन
  • प्रिंसी डायमंड
  • होप डायमंड

गोलकोंडा के नाम से प्रभावित जगह

  • अमेरिका के इलिनोइस के एक शहर का नाम गोलकोंडा के नाम पर रखा गया है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका के नेवादा में एक शहर का नाम गोलकोंडा के नाम पर रखा गया है।

गोलकोंडा किला की संरचना

गोलकुंडा किले को अपनी अद्भुत संरचना के कारण पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थलों और अवशेष अधिनियम के तहत तैयार किए गए आधिकारिक "स्मारकों की सूची"में शामिल किया जा चूका है। यह किला तीन मील लंबी पत्थर की मजबूत दीवार से चारो ओर से घिरा है। जहाँ आठ प्रवेश द्वार हैं किले के प्रवेश द्वार के सामने ही बड़ी दीवार बनी हुई है। यह दीवार राज्य को, सैनिको और हाथियों के आक्रमण से बचाती थी।

गोलकोंडा किला का परिसर 11 किलोमीटर के विशालकाय क्षेत्र में फैला हुआ है। जो भारत के शानदार किले परिसर में से एक है। इस किले के निचले भाग में एक द्वार हैं जिसे विजय द्वार कहा जाता है। किले का वाटर सिस्टम इसके आकर्षण का मुख्य केंद्र बिंदु है। 

बाला हिसार गेट किले का मुख्य प्रवेश द्वार है। गोलकुंडा का किला अपनी जादुई ध्वनिक प्रणाली के लिए जाना जाता है।

गोलकोंडा किले के अन्य भवन

इस किले के अंदर और भी ईमारत है जो इसकी शोभा बढ़ाते है ,उनमे से एक है हब्शी कामन्स। अश्लाह खाना, तारामती मस्जिद, रामदास बांदीखाना, ऊंट स्थिर, निजी कक्ष , मुर्दाघर स्नान, नगीना बग्घ, रामससा का कोठा, दरबार हॉल, अंबर खान आदि। किले के विशाल प्रवेश द्वार को लोहे की किलो से सजाया गया है।

गोलकोंडा के शासक और राजवंश

  • काकतीय राजा
  • काममा नायक
  • बहमनी सुल्तान
  • कुतुब शाही वंश
  • मुगल साम्राज्य

कुतुब शाही मकबरे

कुतुब शाही सुल्तानों की कब्रें गोलकोंडा की बाहरी दीवार से लगभग एक किलोमीटर उत्तर में स्थित हैं। यह हैदराबाद के प्रसिद्ध स्थानों में से एक है।

गोलकोंडा किला की रोचक जानकारी

  • राजा इब्राहीम कुतुबशाह ने किले के सबसे उपरी भाग पर श्री जगदम्बा काली मंदिर बनावाया था। इसलिए लोग राजा इब्राहीम कुतुबशाह को मल्कभिराम के नाम से भी पुकारते थे।
  • इस किले में साउंड एंड लाइट शो मुख्य आकर्षण का केन्द्र बिंदु हैं। इस शो के जरिये इस किले के इतिहास की कहानी बताई जाती हैं।
  • यहा एक अफ्रीकन बाओबाब वृक्ष है, जिसे स्थानिक लोग हतियाँ का झाड़ भी कहते थे, यह पेड़ नया किला परीसर मे आता है। जो 425 साल पुराना है। 

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