भारत के महाराष्ट्रा राज्य की राजधानी मुंबई से करीब 11 किलोमीटर दूर स्थित यह गुफाएँ अपने भव्य मूर्तियों के लिए पुरे भारत ही नही बल्कि विश्व विख्यात है। यह गुफाएँ मुम्बई बंदरगाह के घारापुरी द्वीप पर स्थित हैं। एलीफेंटा की गुफाएँ बहुत सारे अलग-अलग गुफाओ का मिश्रण हैं, जिसके अन्य भाग में हिन्दू धर्म से संबंधित गुफाएँ , तथा बाकी अन्य भाग में बौद्ध धर्म से संबंधित गुफाएँ शामिल हैं। इन गुफाओ का निर्माण सिल्हारा राजा के द्वारा करवाया गया था।
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Trimurti of elephanta Caves |
एलीफेंटा की गुफाओं का इतिहास (history of elephanta caves)
गुफा का नाम | एलिफेंटा की गुफा ( elephanta caves ) |
राज्य | महाराष्ट्र |
शहर | मुंबई |
कब बनाई गईं | 6-8 वीं शताब्दी |
किस भगवान को समर्पित है | भगवान शिव |
गुफा का क्षेत्र | 60000 वर्ग फिट |
गुफाओ का इतिहास और निर्माण:-
पौराणिक देवताओं की भव्य मूर्तियों के लिए विख्यात एलीफेंटा की गुफाएँ, पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण का केन्द्र हैं। यह द्वीप अरेबियन सागर की टुकड़ी में बस हुआ है। यहाँ की मूर्तिया हिन्दू भगवान शिव को चित्रित करती है। कहा जाता है की एलीफेंटा की गुफाओ का इतिहास कोंकण के मौर्य शासकों के समय का है। उस समय वहां के लोग गुफा में स्थित भगवान शिव को पुरिका के नाम से जानते थे।
एलीफेंटा की गुफाएँ को लेकर इतिहासकारों का मत अलग-अलग है। कुछ इतिहासकार मानते है की इसका निर्माण राष्ट्रकूटों और चालुक्यों ने करवाया था। कुछ बताते है की महाभारत काल में पांडवों ने अपने निवास के लिए इसे बनवाया था। तो वही दूसरी ओर कुछ इतिहासकार कोंकण मौर्यों को इन गुफाओं को बनवाने का क्रेडिट देते हैं।
एलीफेंटा गुफाओं का इतिहास पुर्तगालियों से भी जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि 16वी सदी में यहां पुर्तगालियों का अधिकार था, और उसी ने इसका निर्माण करवाया और एलिफेंटा का नाम दिया था। इतिहासकारों के अलग-अलग मत होने के कारन एलिफेंटा की प्रसिद्द गुफाओं का इतिहास स्पष्ट नहीं है।
एलीफेंटा के परिसर में कुल 7 गुफाएं हैं , जिनमें से 5 गुफाएं हिन्दू धर्म से संबंधित है, जबकि अन्य 2 गुफाएं बौद्ध धर्म से संबंधित हैं। इस गुफ़ा में शिल्प कला के कक्षो में अर्धनारीश्वर, कल्याण सुंदर, रावण द्वारा कैलाश पर्वत को ले जाना, अंधकारी मूर्ति और नटराज शिव की उल्लेखनीय छवियाँ दिखाई गई हैं।
गुफा नंबर एक को लोग ग्रेट गुफा के नाम से जानते है। मुख्य गुफा में 26 स्तंभ हैं, जिसमें शिव को कई रूपों में उकेरा गया हैं। ये मूर्तियाँ दक्षिण भारतीय मूर्तिकला से प्रेरित है। यह गुफाएं भगवान शंकर को समर्पित हैं। यहा पार्वती-परिणय, कैलाशधारी रावण एवं भैरव आदि की प्रतिमाएं स्थापित हैं। यहा भगवान शंकर के कई लीला रूपों का मूर्ति के रूप में उल्लेख है, जो मुर्तिया एलौरा और अजंता की मूर्तिकला के समकक्ष ही है। एलिफेंटा की गुफाओ में चट्टानों को काट कर यह मूर्तियाँ बनाई गई है।
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एलीफेंटा गुफाओं की कुछ अन्य जानकारी
- 1987 में यूनेस्को द्वारा एलीफेंटा गुफ़ाओं को विश्व धरोहर घोषित किया गया था।
- एलीफेंटा गुफा की देख रेख अब भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के लोग करते है
- यह गुफाएं भगवान शंकर को समर्पित हैं। लेकिन यहां हिंदू धर्म के कई अलग-अलग देवी-देवताओं कि मूर्तियां स्थापित की गई हैं।
- एलीफेंटा गुफा की सैर करने सड़क, रेल और वायु तीनों के माध्यम से आसानी से पहुंच सकते हैं।
- यह गुफाएँ 60,000 वर्ग फीट के क्षेत्र में फैली है, जिनमें से महेश मूर्ति गुफा प्रमुख गुफा है।
- एलीफेंटा गुफा में भगवान शिव की त्रिमूर्ति प्रतिमा सबसे विशाल है। यह विशाल प्रतिमा करीब 24 फीट लम्बी और 17 फीट ऊँची है।
- भगवान् शिव के विभिन्न स्वरूपों के कारण इन्हें ‘टैम्पल केव्स’ भी कहा जाता हैं। यहाँ भगवान शिव की अर्धनारीश्वर प्रतिमा भी स्थापित हैं।