दोस्तों क्लाउड कंप्यूटिंग के कारन अब कोई भी आसानी से अपने डाटा को कही और कभी भी एक्सेस कर पा रहा है। इसके तहत वह ऑनलाइन विडियो, एप्लीकेशन, डाटा बैकअप आदि काम कर रहा है जिसके कारन हर कोई अपने डाटा को क्लाउड में ही सुरक्षित रखना चाहता है, जिसके कारन इसके यूजर की संख्या में भी काफी वृद्धि हुए है।
क्लाउड कंप्यूटिंग में डाटा हमारे फ़ोन या कंप्यूटर की तरह डाटा मेमोरी कार्ड तथा हार्ड डिस्क में स्टोर नही होता है बल्कि यह डाटा ऑनलाइन क्लाउड में स्टोर होता है। जिसके कारन यूजर अपना पर्सनल जानकारी इसमें आसानी से सुरक्षित सेव रख सकता है और किसी भी फ़ोन या कंप्यूटर से अपने जानकारी को देख सकता है।
इन बढ़ते यूजर के कारन कभी कभी इसकी स्पीड स्लो हो जाता है। इसी समस्या को सुलझाने के लिए एज कंप्यूटिंग का उपयोग किया जाता है, अगर देखा जाये तो एज कंप्यूटिंग का सर्वाधिक उपयोग इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग रियल टाइम कंप्यूटिंग के लिए भी किया जाता है, जिसके बारे में आज आप सब जानेंगे एज कंप्यूटिंग क्या है? और कैसे काम करता है? लेकिन दोस्तों इसके बारे में जानने से पहले क्लाउड कंप्यूटिंग के बारे में जानना बेहद ही जरुरी है।
जाने - क्लाउड कंप्यूटिंग के बारे में
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edge computing |
एज कंप्यूटिंग क्या है?
Enhanced Data Rates For GSM Architecture एज कंप्यूटिंग का पूरा नाम है, जो दो शब्दों एज और कंप्यूटिंग को मिलाकर बना है। जहा एज का मतलब किनारा और कंप्यूटिंग का मतलब संगणना होता है। अगर देखा जाये तो एज कंप्यूटिंग, क्लाउड कंप्यूटिंग के ठीक विपरीत होता है क्योकि इसका उपयोग डाटा स्टोर करने के लिए नही बल्कि डाटा संगणना आदि कार्यो के लिए किया जाता है। एज कंप्यूटिंग का उपयोग इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स (IOT) पे आधारित मशीनों के लिए किया जाता है।
बैंड-विथ और लेटेंसी ( रियल टाइम में क्लाउड या डाटा सेंटर से कनेक्ट करने में हुई देरी को लेटेंसी कहते है ) की समस्या को सुलझाने के लिए इसमें डाटा सर्वर को डाटा स्रोत के करीब लाया जाता है। दुसरे शब्द में समझा जाये तो डाटा को स्टोरेज डिवाइस के समीप ला दिया जाता है।
बैंड-विथ:- बैंड-विथ मतलब किसी खास में इन्टरनेट से कंप्यूटर पर डेटा ट्रान्सफर रेट को दर्शाना है।
लेटेंसी:- रियल टाइम में क्लाउड या डाटा सेंटर से कनेक्ट करने में हुई देरी को लेटेंसी कहते है।
एज कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी के फायदे
- क्लाउड कंप्यूटिंग में बैंड-विथ और अधिक डाटा स्टोर करने के कारन लागत मूल्य काफी अधिक हो जाता है, आज के समय में कई कंपनी इस चीज का प्रयोग बहुत ही अधिक कर रही है जिससे उसकी लागत भी बहुत ही ज्यादा अधिक हो जा रहा है। जिससे बचने के लिए कंपनी अब एज कंप्यूटिंग का इस्तेमाल कर रही है।
- एज कंप्यूटिंग का प्रयोग रियल टाइम प्रोसेसिंग के लिए किया जाता है।
- एज कंप्यूटिंग में डाटा का स्टोरिंग तीव्रता से कर सकते है। जिसके पीछे का मुख्य कारन डाटा प्रोसेसिंग में दुरी का कम होना है।
- मशीन लर्निंग और AI टेक्नोलॉजी के बढ़ते रूप को देख कर एज डिवाइस का निर्माण किया जा रहा है जिससे आने वाले समय में इसका प्रयोग अन्य क्षेत्रो में भी किया जा सके।
- जिस तरह से टेक्नोलॉजी का विकास हुआ है उसे देख कर यह लगता की इसका प्रयोग आने वाले समय में ऑटोमेशन के लिए भी किया जा सकता है।
- क्लाउड कंप्यूटिंग के ठीक विपरीत यह इन्टरनेट की गति कम होने पर भी अच्छे से काम करता है।
- इसमें सुरक्षा के भी पुख्ता इन्तेजाम होते है क्योकि इसमें डाटा एंड टू एंड एन्क्रिप्टेड होते है।
- 5G टेक्नोलॉजी के आने से इसका मांग और भी बढ़ने वाला है क्योकि यह डाटा स्पीड को बढ़ा कर लेटेंसी को कम कर देता है जिससे इसमें रिजल्ट के एक्यूरेट होने का संभावना और भी अधिक पुख्ता हो जायेगा।
एज कंप्यूटिंग और क्लाउड कंप्यूटिंग में अंतर
- एज कंप्यूटिंग और क्लाउड कंप्यूटिंग के कुछ महत्वपूर्ण अंतर है जो मै आपको बताने जा रहा हूँ-
- क्लाउड कंप्यूटिंग में डाटा को स्टोर करवाया जाता है जबकि एज कंप्यूटिंग में डाटा को संगणन किया जाता है।
- क्लाउड कंप्यूटिंग में डाटा प्रोसेसिंग का स्पीड स्लो होता है जबकि एज कंप्यूटिंग में डाटा स्पीड फ़ास्ट होता है।
- क्लाउड में डाटा का ट्रेवल टाइम ज्यादा होता है और एज में डाटा का ट्रेवल टाइम कम होता है। जिसके परिणाम स्वरुप इसमें बैंड-विथ और लेटेंसी का समस्या नही होता है।
- एज कंप्यूटिंग में महत्वपूर्ण डाटा को ही क्लाउड पे शेयर किया जाता है जिससे सर्वर पे डाटा जरुरत के अनुसार ही होता है।
- यह इन्टरनेट की गति स्लो होने पर भी ठीक से काम करता है जबकि क्लाउड में ऐसा नही होता है।
एज कंप्यूटिंग के नुकसान
- डाटा प्रोसेसिंग के लिए अधिक डिवाइस जुड़े होने के कारन इसमें ज्यादा इलेक्ट्रिक और उर्जा की आवश्यकता होता है।
- इसमें डाटा पे सारा नियंत्रण एज डिवाइस के पास होता है, यूजर के पास डाटा का नियंत्रण न के बराबर होता है जिससे हमेसा संसय बना रहता है डाटा सुरक्षा को लेकर।
- इसमें डाटा की गोपनियता क्लाउड कंप्यूटिंग की तुलना में थोडा कम हो जाता है।
- क्लाउड में डाटा की सुरक्षा की जिम्मेदारी एप्पल, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी के पास है जिसपे लोगो का विश्वास अन्य कंपनी की तुलना में बहुत ही अधिक है। जबकि एज कंप्यूटिंग में ऐसा नही है।
निष्कर्ष
दोस्तों आज के इस ब्लॉग में हमलोगो ने एज कंप्यूटिंग क्या है? इसके फायदे और नुकसान के बारे में जाना। यह एक तकनीक है जो IOT के क्षेत्र में बहुत ही तीव्र तरीके से प्रोयाग में लिया जा है। और जानकार यह बताते है की इसका प्रोयाग आने वाले भविष्य में और भी होने की संभावना है। और उम्मीद यह लगाया जा रहा है की वर्ष 2028 तक इसका मार्केट 61.14 बिलियन डॉलर से भी अधिक हो जायेगा।
Gjb
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ReplyDeletebdiyaa
ReplyDeleteInformative
ReplyDeleteGood
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