दोस्तों आज के इस पोस्ट मे आप सभी को सिंधु घाटी सभ्यता के बारे मे बताया गया है इस सभ्यता को सबसे पुरानी सभ्यता भी माना जाता है। इसकी खोज कब हुई, यह सभ्यता कितनी पुरानी है इसे लेकर इतिहासकारों का अलग अलग मत है परंतु सभी का यह मानना है की इसी सभ्यता से भारत का इतिहास जुड़ा हुआ है।
माना जाता है की भारत का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता से प्रारंभ होता है, विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक यह सभ्यता हड़प्पा सभ्यता और सिंधु-सरस्वती सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है। यह सभ्यता लगभग 2500 ईसा पूर्व दक्षिण एशिया के पश्चिमी भाग मैं फैली हुई थी। अंग्रेजों की खुदाई से माना जाता है कि 2600 ईसा पूर्व अर्थात आज से 4616 वर्ष पूर्व इस नगर सभ्यता की स्थापना हुई थी। पेड़ की पूजा और शिव पूजा के सबूत भी सिंधु सभ्यता से ही मिलते हैं।
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harappan civilization |
सिन्धु घाटी सभ्यता.
इतिहासकारों के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता का प्रारंभ का काल अलग अलग बताया गया है। अंग्रेजों की खुदाई से माना जाता है कि इस सभ्यता का प्रारंभ 2600 ईसा पूर्व हुआ था। जबकि कुछ इतिहासकारों के अनुसार इस सभ्यता का काल लगभग 2700 ई.पू. से 1900 ई. पू. तक का माना जाता था। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह सभ्यता मिस्र और मेसोपोटामिया की सभ्यता से भी पहले की है। यह सभ्यता सिन्धु नदी घाटी में फैली हुई थी इसलिए इसका नाम सिन्धु घाटी सभ्यता रखा गया। मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा और हड़प्पा इसके प्रमुख केंद्र थे।
सिंधु घाटी सभ्यता के चरण
- प्रारंभिक हड़प्पाई सभ्यता (3300ई.पू.-2600ई.पू. तक)
- परिपक्व हड़प्पाई सभ्यता (2600ई.पू-1900ई.पू. तक)
- उत्तर हड़प्पाई सभ्यता (1900ई.पु.-1300ई.पू. तक)
सिंधु घाटी सभ्यता की खोज किसने की
सिंधु घाटी सभ्यता की खोज राय बहादुर दयाराम साहनी ने की।
सिंधु घाटी सभ्यता की विस्तार
इस घाटी सभ्यता का क्षेत्र विश्व की सभी सभ्यताओं के क्षेत्र से कई गुना बड़ा था। सिंधु सभ्यता का विस्तार पंजाब तथा सिन्ध से लेकर दक्षिण और पूर्व की दिशा में हुआ। इस प्रकार हड़प्पा संस्कृति के अन्तर्गत पंजाब, सिन्ध और बलूचिस्तान के भाग ही नहीं, बल्कि गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भाग भी थे। इसका क्षेत्रफल 12,99,600 वर्ग किलोमीटर है। देखा जाए तो यह क्षेत्र पाकिस्तान से भी बड़ा है।
सिंधु घाटी सभ्यता के नगर नियोजन.
- यह सभ्यता अपनी नगरीय प्रणाली योजना के लिये जानी जाती है।
- हर छोटे- बड़े घर के अंदर आँगन और स्नानघर होता था।
- हड़प्पा तथा मोहन् जोदड़ो दोनो नगरों के अपने दुर्ग थे जहां शासक वर्ग का परिवार रहता था।
- दुर्ग से नीचे ईंटों से निर्मित नगर होते थे,जिनमें सामान्य लोग निवास करते थे।
- वहां के स्मारक इस बात के प्रमाण हैं कि वहां के शासक मजदूर जुटाने और कर-संग्रह में परम कुशल थे।
- हड़प्पा सभ्यता में जल को नगर से बाहर निकलने की प्रणाली बहुत चर्चित थी। जिससे नगर में जल का जमाव नही हो पता था।
- मोहनजोदड़ो से मिला स्नानागार 11.88 मीटर लंबा, 7 मीटर चौड़ा है।
- लोथल और सुतकोतदा-सिंधु सभ्यता का बंदरगाह था।
- कालीबंगा के बहुत से घरों में कुएँ नही पाए जाते थे।
- सिंधु सभ्यता के लोग यातायात के लिए बैलगाड़ी का इस्तेमाल करते थे।
- माना जाता है की सिंधु सभ्यता के लोग धरती की भी पूजा करते थे।
- हड़प्पा में शवों को दफनाने जबकि मोहनजोदड़ों में जलाने की प्रथा थी।
- आग में पकी हुई मिट्टी को टेराकोटा कहा जाता था।
सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख नगर.
- मोहेनजोदड़ो
- लोथल, धौलाविरा
- कालीबंगा
- बनवाली
- आलमगीरपुर
सिंधु घाटी सभ्यता का आर्थिक जीवन.
सिंधु घाटी सभ्यता के लोगो का आर्थिक जीवन मुख्यतः कृषि, पशुपालन, व्यापार और शिल्पकला पे निर्भर था।
- पूर्व में सिंधु प्रदेश बहुत ऊपजाऊ हुआ था। यही कारन सिंधु सभ्यता के लोग मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर थे।
- गेहूँ, जौ, सरसों, तिल, मसूर आदि का उत्पादन मुख्य रूप से होता था।
- चावल का प्रयोग बहुत कम होता था।
- मुहरों और टेराकोटा की मूर्तियों पर सांड के चित्र के साक्ष्य मिलते हैं।
- सिंधु सभ्यता में सर्वप्रथम कपास की खेती की गई थी।
- यहा के लोग कृषि के साथ -साथ बड़े पैमाने पर पशुपालन भी करते थे ।
- यहां के लोग आपस में पत्थर का व्यापार करते थे।
- वे व्यापार के लिए इक्के (रथ) जैसे वाहन प्रयोग करते थे।
- दलमुन और माकन उनके प्रमुख व्यापार केन्द्र थे।
- माप तौल की इकाई 16 के अनुपात में थी।
- इस सभ्यता में लोग जीवन यापन के लिए कांस्य की वस्तुएँ भी बनाते थे।
- ईंट की संरचनाओं से राजमिस्त्री वर्ग के भी होने का पता चलता है।
- जौहरी अपने जीवन यापन के लिए सोने और चांदी के आभूषणों का निर्माण करते थे ।
- हड़प्पा सभ्यता अनुमानतः व्यापारी वर्ग द्वारा ही शासित थी।
सिंधु घाटी का पतन.
- इतिहासकारों की माने तो सिंधु घाटी सभ्यता का लगभग 1800 ई.पू. में पतन हो गया।
- इसके पतन का कारन स्पष्ट नही है लेकिन अत्यधिक मात्रा में आये भूकंपों उन्मे से एक हो सकती है।
- ऐसा माना जाता है की नदियों द्वारा अपना मार्ग बदलने के कारण क्षेत्रों में बाढ़ आ गई हो।
- कई साक्ष्य ऐसे है जिसे देख लगता है की ये सब भीषण अग्नि के कारन हुआ होगा है।