कृत्रिम वर्षा क्या है इसके फायदे और नुकसान.( Artificial Rain or Cloud Seeding in Hindi )

कृत्रिम वर्षा क्या है इसके फायदे और नुकसान.( Artificial Rain or Cloud Seeding in Hindi )

भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां आज भी लोग अपने जीवन यापन और बच्चो के पढाई लिखाई के लिए कृषि पर निर्भर रहते है। ऐसे में जब बारिश समय पर नही होता है तो किसान को बहुत समस्या का सामना भी करना पड़ता है वे ऋण लेकर फसल बोते है लेकिन बारिश नहीं होने के कारन उनका सारा मेहनत बेकार चला जाता है और वे कर्ज के तले दब जाते है। ऐसे में कम बारिश की समस्या से बचने के लिए वैज्ञानिको ने कृत्रिम वर्षा का खोज किया।

कृत्रिम वर्षा का सबसे पहले पहल अमेरिकन मौसम विज्ञानी विन्सेन्ट जोसेफ शेएफ़र ने सन 1946 में किया था। कृत्रिम वर्षा को करने के लिए बहुत तरह के रसायनो का इस्तेमाल किया जाता है इसमें कृत्रिम तरीको से सारा कुछ किया जाता है इसमें बारिश भी कृत्रिम तरीको से कराया जाता है। चलिए जानते है कृत्रिम वर्षा क्या है और यह कैसे कराया जाता है इसके पुरे प्रोसेस के बारे में।

कृत्रिम वर्षा क्या है.

कृत्रिम वर्षा को समझने से पहले एक बारे हम लोग प्राकृतिक वर्षा को समझते है प्राकृतिक वर्षा में नदी, समुद्र, तालाब के जल सूर्य के गर्मी के कारन वाष्प बनकर ऊपर उठ जाता है और वायुमंडल के निचले परत पर बदल के रूप में जमा होने लग जाता है लेकिन यह भार में अत्यधिक हल्का होता जिससे यह निचे की ओर नही गिर पाता है लेकिन यही बादल जब ठन्डे जलवायु से मिलता है तो इसका भार अधिक बढ़ जाता है जिसके फलस्वरूप यह निचे गिरने लगता है जिसे बारिश कहा जाता है

कृत्रिम वर्षा एक ऐसी तकनीक है जिसमे वर्षा या ओले बनाने के लिए हवा में पानी की मात्र को बढ़ाने के लिए पर्यावरण में रसायन का उपयोग किया जाता है 

कृत्रिम वर्षा में बारिश को केमिकल के मदद से कराया जाता है सबसे पहले बादल के भौतिक अवस्था में परिवर्तन किया जाता है जिससे यह बारिश के अनुकूल बन सके इसमें केमिकल का उपयोग कर हवा से नमी को सोख लिया जाता है और ड्रापलेट्स को संघनित कर अपने इच्छा अनुसार बारिश कराया जाता है इसे कृत्रिम वर्षा और क्लाउड सीडिंग भी कहा जाता है

Cloud Seeding

कृत्रिम वर्षा में रसायन का प्रयोग.

कृत्रिम वर्षा को कराने में रसायन का महत्त्व बहुत ही अधिक है सीधे शब्द में बोला जाये तो इसके बिना कृत्रिम वर्षा संभव नही है ऐसे में इसके प्रयोग को जानना बहुत ही जरुरी है

कृत्रिम वर्षा में रसायन का प्रयोग तिन चरणों में होता है-

पहला चरण  

पहले चरण के रसायन प्रयोग में चलने वाली हवा को ऊपर की ओर भेजा जाता है और रसायन के मदद से हवा से जलवाष्प को सोख लिया जाता है यह प्रक्रिया करने का कारन बादल को बारिश करने योग्य बनाना है। पहले चरण में उपयोग में आने वाले रसायन निम्नलिखित है-

  • नमक 
  • अमोनियम नाइट्रेट
  • यूरिया 
  • कैल्शियम ऑक्साइड
  • कैल्शियम कार्बाइड
  • कैल्शियम क्लोराइड

दूसरा चरण

दुसरे चरण के रसायन प्रयोग में जिस क्षेत्र में वर्षा करानी होती है वहा के बदल के द्रव्यमान को बढाया जाता है इस चरण में उपयोग में आने वाले रसायन निम्नलिखित है-

  • नमक 
  • यूरिया 
  • कैल्शियम क्लोराइड
  • सुखा वर्फ 
  • अमोनियम नाइट्रेट

तीसरा चरण 

तीसरे और आखिरी चरण में विमान या गुब्बारे की मदद से सिल्वर आयोडाइड और शुष्क बर्फ का हमला बादल पर कराया जाता है जिससे बदल का घनत्व बढ़ जाता है और वे बिखर जाते है और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण धरती पर गिरने लगते है

क्लाउड सीडिंग कैसे होता है.

क्लाउड सीडिंग मुख्य रूप से विमान के जरिए कराया जाता है इसमें आम-तौर पर सिल्वर आयोडाइड के दो बर्नर लगे होते है जिनमे सिल्वर आयोडाइड को भर दिया है और विमान को हवा के विपरीत दिशा में चलाया जाता है और बदल के सामने आते ही सिल्वर आयोडाइड के बर्नर को खोल दिया जाता है

क्लाउड सीडिंग का प्रयोग अमेरिका, इजरायल, ऑस्ट्रेलिया, चीन, रूस आदि देशो में मुख्य रूप से किया जा रहा है। चीन ने तकनीक का उपयोग 2008 में बीजिंग ओलंपिक में बारिश की संभावना को देखते हुए बारिश को खेल मैदान से दूर के इलाके में करवाया था

क्लाउड सीडिंग ड्रोन की सहायता से भी होता है इस प्रक्रिया में बदल को करंट देकर क्लाउड सीडिंग की जाती है। लेकिन यह सारा प्रक्रिया मौसम के आकड़ो को ध्यान में रख कर किया जाता है

कृत्रिम वर्षा के फायदे.

  • कृत्रिम वर्षा के जरिए समय पर बारिश करवा कर गर्मी के मौसम में होने वाले पानी के समस्या को दूर किया जा सकता है
  • कई क्षेत्रो का अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर होता है ऐसे मे इसके माध्यम से आवश्यकता अनुसार झील, तालाब को भर कर कृषि में हो रहे पानी की समस्या को दूर किया जा सकता है
  • कृत्रिम वर्षा मे वृद्धि करके ओला से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है
  • इसके कारन वायु प्रदूषण, बाढ़ आदि पर नियंत्रन भी किया जा सकता है
  • जल जीवन निर्वाह के जरुरी चीजो में से एक है ऐसे में जहा पानी के अभाव के कारण पर्यटक नही जा पाते है उस जगह कृत्रिम वर्षा करके पर्यटकों की संख्या में वृद्धि किया जा सकता है जिससे वहा के अर्थवयवस्था में सुधार हो। 
  • इससे बेरोजगार के लिए रोजगार के अवसर भी प्रदान होंगे

कृत्रिम वर्षा के नुकसान.

  • क्लाउड सीडिंग में केमिकल का उपयोग होता है जो वातावरण के लिए खतरनाक भी साबित हो सकते है। जिससे हर जिव पे इसका बुरा असर होगा।
  • क्लाउड सीडिंग के लिए उपयोग में लिए जा रहे केमिकल के कारन उत्पादित भोजन सामग्री नुकसान भी हो सकते है
  • क्लाउड सीडिंग के पुरे प्रोसेस में काफी खर्चा है
  • कई शुष्क क्षेत्र इस तरह के स्थितियों के लिए  तैयार नही होता है जिससे उस इलाके में बाढ़ की समस्या उत्पन हो सकता है। 

कृत्रिम वर्षा का इतिहास.

कृत्रिम वर्षा का बात सबसे पहले अमेरिका से 1946 में सामने आया उसके बाद इसका प्रचालन हुआ और कई देश ने इस मॉडल को अपनाया। कृत्रिम वर्षा का प्रचलन भारत में हुआ है कर्नाटक सरकार ने बंगलूरू में 22 अगस्त, 2017 को कृत्रिम वर्षा के लिये वर्षाधारी परियोजना का आरंभ किया था। इसके कुछ समय बाद आये रिपोर्ट में बताया गया की इससे राज्य में करीब बारिश में 30% का वृद्धि हुआ है जो देखा जाये तो काफी अच्छा भी है। 

तमिलनाडु सरकार ने इस सन 1983, 1993-94 में फसल को बचाने के लिए कृत्रिम वर्षा तकनीक का उपयोग किया था वही कर्नाटक सरकार ने भी इस तकनीक को सन 2003-04 उपयोग कर चुकि थी। भारत में कई और भी राज्य है जहा पर इसका इस्तेमाल फसल को बचाने के लिए किया जा चूका है

कृत्रिम बारिश का भविष्य.

कृत्रिम वर्षा का उपयोग आने वाले समय को देखकर यह कहा जा सकता है की और अधिक होने वाला है क्योकि जिस गति से पेड़ पौधे कटे जा रहे है उसके कारन ग्लोबल वार्मिंग बहुत ज्यादा बढ़ रहा है इसलिए यह कहना गलत नही होगा की आने वाले समय में सुखा और बाढ़ जैसी समस्या से बचने के लिए यह मुख्य रूप से भागीदार हो सकता है

FAQ.

कृत्रिम वर्षा क्या है ?

कृत्रिम वर्षा एक ऐसी तकनीक है जिसमे वर्षा या ओले बनाने के लिए हवा में पानी की मात्र को बढ़ाने के लिए पर्यावरण में रसायन का उपयोग किया जाता है

कृत्रिम वर्षा कराने में कितना समय लगता है ?

अधिकतम 30 मिनट्स 

कृत्रिम वर्षा का आविष्कार कब हुआ ?

सन 1946 में

कृत्रिम वर्षा लाभदायक है ?

कृत्रिम वर्षा सूखाग्रस्त इलाके जैसे जगह के लिए लाभदायक है लेकिन इसका प्रयोग अधिक करने पर यह हानिकारक सिद्ध हो सकता है

Post a Comment

Previous Post Next Post