दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम सब सैटेलाइट क्या है? यह कैसे काम करता है इसके बारे में जानेंगे। जैसा की हम सब दूर देश में चल रहे किसी भी स्पोर्ट्स और न्यूज़ को टीवी पर आसानी से देख पाते है यह सैटेलाइट के कारण ही संभव हो पाता है। इसी के चलते हमलोग मौसम का हाल, नेवीगेशन आदि का फायदा ले पाते है इन सब के लिए सैटेलाइट को बनाकर पृथ्वी के कक्षा में छोड़ दिया जाता है। इन सब गतिविधियों पर नज़र रखने और अंतरिक्ष जैसे मामलो में अपना कार्य करने के लिए भारत में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन है जिसे ISRO भी कहा जाता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का गठन 15 अगस्त, 1969 को हुआ। तो चलिए विस्तार से जानते है सैटेलाइट और उसके कार्य प्रणाली के बारे में।
सैटेलाइट क्या है.
सैटेलाइट को उपग्रह भी कहा जाता है और उपग्रह अंतरिक्ष में एक ऑब्जेक्ट की तरह है जो अपने से बड़े ऑब्जेक्ट के चारो तरफ चक्कर लगता है। उपग्रह को दो भागो में बांटा गया है एक प्राकृतिक और दूसरा कृत्रिम यानि मानव निर्मित।
चन्द्रमा भी एक उपग्रह है जो पृथ्वी के चारो तरफ परिक्रमा करता है परन्तु यह प्राकृतिक उपग्रह का उदाहरण है जो अपने हिसाब से काम करता है। वही कृत्रिम उपग्रह के लिए वैज्ञानिक इसे बनाकर पृथ्वी के बहरी कक्षा में छोड़ देते है जहा से सैटेलाइट सिग्नल पास करता है जिसे स्कैन कर उसका इस्तेमाल भिन्न-भिन्न क्षेत्रो में किया जाता है इसमें कम्युनिकेशन, जीपीएस नेविगेशन, मौसम का हाल, फोन पर बातचीत आदि शामिल है।
सैटेलाइट आकार में सामान नही होते है यह अपने कार्य और गुण के हिसाब से बड़े और छोटे होते है कुछ टीवी के आकार के होते है तो कुछ सैटेलाइट का आकार बहुत ही बड़ा होता है।
सैटेलाइट कितने प्रकार के होते हैं.
सैटेलाइट मुख्यतः तीन प्रकार के होते है जो निम्नलिखित है-
- LOW EARTH ORBIT SATELLITE
- MEDIUM EARTH ORBIT SATELLITE
- HIGH EARTH ORBIT SATELLITE
LOW EARTH ORBIT SATELLITE:- यह सैटेलाइट पृथ्वी के कक्षा के बेहद करीब होता है और इसकी ऊंचाई 160 किमी से लाकर 1600 किमी तक होता है इसका इस्तेमाल इमेज और स्कैनिंग के लिए होता है। इसका गति तेज़ होने के कारण यह पृथ्वी का परिक्रमा एक दिन में कई बार कर लेता है।
MEDIUM EARTH ORBIT SATELLITE:- यह सैटेलाइट पृथ्वी के कक्षा के मिड में होता है और इसकी ऊंचाई 10 हज़ार किमी से लाकर 20 हज़ार किमी तक होता है इसका इस्तेमाल नेविगेशन के लिए होता है। यह पृथ्वी का परिक्रमा करीब 12 घंटे में पूरा करता है।
सैटेलाइट कैसे काम करते हैं.
किसी भी सैटेलाइट के दोनों साइड सोलर पैनल लगा होता है यह सोलर पैनल सैटेलाइट को बिजली देने का कार्य करता है। सिग्नल को ट्रांसमिट और रिसीव करने के लिए ट्रांसमीटर और रिसीवर लगे होते है वही सैटेलाइट के पोजीशन में बदलाव के लिए कंट्रोल मोटर लगे होते है।
इन सब के अलावा सैटेलाइट में हर एक काम के अनुरूप उसे डिजाईन किया जाता है जैसे की यदि किसी सैटेलाइट का निर्माण स्कैनिंग जैसे कार्य के लिए किया गया है तो उसमे स्कैनर लगाये जाते है उसी तरह फोटो के लिए उपयोग किये गये सैटेलाइट में कैमरा का व्यवस्था किया जाता है।सैटेलाइट का सर्वाधिक उपयोग कम्युनिकेशन के लिए किया जाता है।
कम्युनिकेशन सैटेलाइट कैसे काम करता है.
कम्युनिकेशन सैटेलाइट टीवी, इन्टरनेट डाटा, रेडियो आदि की इनफार्मेशन को पृथ्वी की तरफ पहुँचाने में मदद करता है इस प्रक्रिया में तीन चरण होते है। सबसे पहले चरण में अपलिंक होता है जहा किसी भी डाटा को ग्राउंड स्टेशन से उपग्रह तक पहुचाया जाता है इसके बाद उपग्रह इस डाटा को ट्रांसपोंडर के जरिए डाटा को प्रोसेस करके इसकी फ्रीक्वेंसी को बदल देता है और सबसे लास्ट में डाउनलिंक उस डाटा को पृथ्वी के भिन्न-भिन्न स्टेशन पर भेज देता है।
हालाँकि आमतौर पर अपलिंक की संख्या एक होता है लेकिन डाउनलिंक के साथ ऐसा नही होता है इसकी संख्या लाखो लाख में भी हो सकता है डाउनलिंक की संख्या अधिक होने के बाद भी ये आपस में भ्रमित नही होते है।
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उपग्रह हमारे लिए क्या करते हैं.
हमारे लिए दो तरह के उपग्रह हमेशा काम करते है एक प्राकृतिक और दूसरा मानव निर्मित।प्राकृतिक उपग्रह में चन्द्रमा शामिल है जो अपने अनुसार कार्य करता है परन्तु इसी का अनुसरण करके मानव ने अपने उपग्रह का रचना किया जिसमे LEO उपग्रह शामिल है। उपग्रह हमारे लिए मुख्य रूप से तीन कार्य करते है-
- वैज्ञानिक सर्वेक्षण और नेविगेशन
- संचार फोटोग्राफी
- इमेजिंग
उपग्रहो की भूमिका कहा कहा शामिल है.
उपग्रह हमारे लिए विभिन्न प्रकार के कार्य करते है उनमे से कुछ प्रमुख निम्नलिखित है-
- कम्युनिकेशन सैटेलाइट
- ब्रॉडकास्ट सैटेलाइट
- रेस्क्यू सैटेलाइट
- नेविगेशनल सैटेलाइट
- मौसम सैटेलाइट
- साइंटिफिक सैटेलाइट
- मिलिट्री सैटेलाइट
वर्तमान में अंतरिक्ष में कितने उपग्रह है.
यूनियन ऑफ कंसर्नड साइंटिस्ट्स के रिपोर्ट के अनुसार 1 अप्रैल 2020 तक अंतरिक्ष में करीब 2665 उपग्रह थे। वही अगर मृत उपग्रह की संख्या पर ध्यान दिया जाये तो उनका नंबर 3000 है और एक उपग्रह 5 से 15 साल तक कार्य करता है।
स्पेसएक्स ने अपने एक प्रोजेक्ट स्टारलिंक के लिए प्रतिमाह एक उपग्रह को लांच कर रहा है और इसने अबतक 600 से अधिक उपग्रह को लांच कर चूका है। वही उपग्रह लांच करने की इस श्रेणी में अमेज़न भी जुड़ चूका है।
FAQ
सैटेलाइट कितने प्रकार के होते हैं?
सैटेलाइट मुख्यतः तीन प्रकार के होते है.
पृथ्वी के उपग्रह का नाम बताइए.
पृथ्वी के उपग्रह का नाम चन्द्रमा है.
चन्द्रमा पृथ्वी की परिक्रमा कितने दिन में पूरा करता है?
27.3 दिन में.
इसरो का पूरा नाम क्या है?
इसरो का पूरा नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन है.