रिंग टोपोलॉजी क्या है और रिंग टोपोलॉजी डायग्राम - What is Ring Topology in Hindi.

रिंग टोपोलॉजी क्या है और रिंग टोपोलॉजी डायग्राम - What is Ring Topology in Hindi.

दोस्तों आज के इस पोस्ट में आप सभी को रिंग टोपोलॉजी क्या है साथ में रिंग टोपोलॉजी डायग्राम  के बारे में भी विस्तार से बताया गया है इसमें सभी डिवाइस एक रिंग की तरह एक दुसरे डिवाइस से जुड़े रहते है तो चलिए जानते है रिंग टोपोलॉजी क्या है - What is Ring Topology in Hindi

रिंग टोपोलॉजी क्या है.

रिंग टोपोलॉजी के नाम से पता चलता है इसमें सारे कंप्यूटर डिवाइस एक रिंग के रूप में एक दूसरे से कनेक्टेड रहते है इस टोपोलॉजी के अन्दर कोई भी कंप्यूटर होस्ट या फिर मेन कंप्यूटर नही होता है। रिंग टोपोलॉजी में सिग्नल को पास होने के लिए रिंग का आकार दिया जाता है वही डाटा को पास करने के लिए नोड्स के अलावा रिपीटर का इस्तेमाल किया जाता है। 

RING TOPOLOGY का उपयोग LOCAL AREA NETWORK में किया जाता है जहाँ इसके सारे नोड्स क्लोज्ड लूप कॉन्फ़िगरेशन में जुड़े होते है। इसमें जुड़ने वाले नेटवर्क पास वाले डिवाइस से डायरेक्ट जुड़े होते है जबकि और सभी डिवाइस दूसरे डिवाइस के थ्रू जुड़े रहते है।   

रिंग टोपोलॉजी में डाटा को डायरेक्ट एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में नही भेजा जाता है। इस नेटवर्क टोपोलॉजी को एक्टिव टोपोलॉजी भी कहते है क्योकि यह सभी दूसरे कंप्यूटर डिवाइस से जुड़ा होता है। रिंग के फॉर्म में जुड़े सभी कंप्यूटर अपने पास वाले डिवाइस को इनफार्मेशन प्रदान करते है इस तरह से डाटा रियल कंप्यूटर तक पहुँच जाता है।

रिंग टोपोलॉजी डायग्राम.

Ring Topology

रिंग टोपोलॉजी कैसे बनती है. 

RING TOPOLOGY में प्रत्येक कंप्यूटर अपने पास के दो कंप्यूटर डिवाइस से कनेक्टेड रहता है और प्रत्येक कंप्यूटर में नेटवर्क इंटरफ़ेस कार्ड लगे होते है। बस टोपोलॉजी की तरह इसमें भी डाटा फ्लो सिर्फ एक ही डायरेक्शन में होता है। RING TOPOLOGY में प्रत्येक कंप्यूटर डिवाइस जुड़ कर एक गोल शेप बनाते है जिसके चलते इस RING TOPOLOGY कहा जाता है।

बस टोपोलॉजी की तरह अधिक नोड्स कनेक्ट होने के बाद डाटा LOSS होने की संभावना बढ़ जाता है लेकिन इसमें सिग्नल की क्षमता बढ़ा कर डाटा LOSS को रोका जाता है।  

रिंग टोपोलॉजी के कितने प्रकार है.

रिंग टोपोलॉजी मुख्यतः दो तरह के होते है जिसका इस्तेमाल सिग्नल की क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है-

  • UNIDIRECTIONAL RING TOPOLOGY 
  • BIDIRECTIONAL RING TOPOLOGY

UNIDIRECTIONAL RING TOPOLOGY:-

UNIDIRECTIONAL रिंग टोपोलॉजी में डाटा फ्लो का डायरेक्शन एक ओर ही होता है यह डायरेक्शन CLOCKWISE या ANTI CLOCKWISE किसी एक ओर हो सकता है।

BIDIRECTIONAL RING TOPOLOGY:- 

BIDIRECTIONAL रिंग टोपोलॉजी में डाटा फ्लो की दिशा को बदला जा सकता है यानि की उसका डायरेक्शन CLOCKWISE से ANTI CLOCKWISE और ANTI CLOCKWISE से CLOCKWISE में हो सकता है।

रिंग टोपोलॉजी के फायदे.

रिंग टोपोलॉजी के कुछ फायदे निम्नलिखित है-

  • रिंग टोपोलॉजी को इनस्टॉल करना बहुत ही सस्ता है।
  • इस नेटवर्क टोपोलॉजी का डाटा ट्रान्सफर बहुत ही ऊँच स्पीड रेट पर होता है।
  • इसमें हुए गलतियों को आसानी से खोजा और ठीक किया जा सकता है।
  • इसमें नोड्सको जोड़ना और हटाना काफी सरल होता है। 
  • इसमें डाटा फ्लो की दिशा एक ओर ही होता है जिसके कारण इनमे टकराव नही होता है।
  • इसमें प्रत्येक डिवाइस एक टोकन एक्सेस करता है जिसके कारण यह नेटवर्क बहुत ही व्यवस्थित होता है। 

रिंग टोपोलॉजी के नुकसान.

  • इसमें केबल के एक हिस्सा के ख़राब होने के बाद पूरा नेटवर्क काम करना बंद कर देता है।
  • इसमें नए उपकरण लगाने या हटाने के लिए पूरे सिस्टम को थोड़े समय के लिए बंद करना पड़ता है।
  • इसमें कंप्यूटर डिवाइस के बढ़ने से डाटा ट्रान्सफर रेट काफी धीमा हो जाता है।
  • इसे इनस्टॉल करने में बहुत अधिक समय लगता है।
  • इसमें बहुत ज्यादा इलेक्ट्रिक पॉवर की आवश्यकता पड़ता है।
  • इसमें नोड को जोड़ना और हटाना बहुत मुस्किल होता है ऐसा करने पर पूरा नेटवर्क प्रभावित होता है।
  • यह एक सुरक्षित नेटवर्क नही होता है क्योकि इसमें मौजूद डिवाइस का कोई यूनिक कनेक्शन नही होता है।

रिंग टोपोलॉजी का इतिहास.

RING TOPOLOGY का आविष्कार IBM द्वारा सन 1984 में किया गया था। शुरूआती के दिनों में इसका स्पीड 4 एमबीपीएस हुआ करता था लेकिन समय के साथ इसके स्पीड में तेज़ी आया और अब यह 16 एमबीपीएस के स्पीड से कार्य करता है जिसके चलते अब डाटा का ट्रान्सफर पहले की तुलना काफी तेज़ी से हो जाता है। 

रिंग टोपोलॉजी का उपयोग क्यों करते है.

  • डाटा ट्रान्सफर के लिए किसी नेटवर्क कंट्रोल का आवश्यकता नही पड़ता है।
  • इसे किसी भी नोड के मूल रूप से जोड़ा जा सकता है।
  • इसका संचालन और लागत मूल्य किफायती होता है।
  • इसमें एक डाटा का दुसरे के साथ टकराव का बहुत ही कम संभावना होता है।
  • इसे मैनेज करना बहुत ही आसान होता है।

निष्कर्ष

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आप सब को रिंग टोपोलॉजी के बारे में विस्तार से बताया गया और आप सब ने रिंग टोपोलॉजी क्या है, इसके क्या फायदे और नुकसान है वही इसके उपयोग के बारे में भी जाना मुझे उम्मीद है की आपको टोपोलॉजी से जुड़ा यह पोस्ट आपको पसंद आया होगा।

आपको  यह पोस्ट पसंद आया हो तो इसे शेयर करे और कुछ त्रुटि रह गया हो तो कमेंट करके जरुर बताए।

इसे भी पढ़े -

बस टोपोलॉजी 

स्टार टोपोलॉजी 

मेष टोपोलॉजी 

ट्री टोपोलॉजी 

हाइब्रिड टोपोलॉजी

Post a Comment

Previous Post Next Post