दशहरा क्यों मनाया जाता है महत्त्व निबंध-2021. Dussehra Essay in Hindi.

दशहरा क्यों मनाया जाता है महत्त्व निबंध-2021. Dussehra Essay in Hindi.

दशहरा हिन्दू धर्मं का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है जो प्रति-वर्ष सितम्बर या अक्टूबर के महीने में मनाया जाता है। दशहरा को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है यह बुराई पर अच्छाई के जीत का प्रतिक है। यह पर्व पुरे भारत में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है यह दिन भगवान राम के रावण पर विजय के रूप में याद किया जाता है।

दशहरा का पर्व हमें यह सिखलाता है की असत्य और बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत होती है यही कारण मनुष्य को सत्य और अच्छाई का रास्ता कभी नही छोड़ना चाहिए। दशहरा में देवी दुर्गा के सभी स्वरूपों का पूजा अर्चना किया जाता है जिसे नवरात्र कहा जाता है नवरात्र के ठीक अगले दिन विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है

दशहरा क्यों मनाया जाता है


दशहरा का त्यौहार क्या है.

दशहरा या विजयादशमी हिन्दू कैलेंडर के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है यह पर्व बुराई पर अच्छाई के जीत का प्रतिक है यह पर्व पुरे भारत में अलग अलग नामो जैसे- दशहरा, विजय दशमी, आयुध पूजा, विजोया के साथ मनाया जाता है। 

दशहरा मनाने के पीछे कई कहानियां भी है यह दिन हिन्दू धर्म ग्रन्थ रामायण के अनुसार भगवान राम ने लंका के राजा रावण को मारकर लोगो को उसके कुकर्मो से मुक्त किये थे। वही माता दुर्गा ने राक्षस महिसासुर का वध भी इसी दिन किया था इस दिन हर साल लोग रावण का पुतला जलाकर प्राण लेते है की अपने अन्दर से बुराई को हमेशा के लिए त्याग कर देंगे।

दशहरा 2021 में कब है.

  • दशमी तिथि आरम्भ अक्टूबर 14 को 18:52 से
  • दशमी तिथि समाप्त – अक्टूबर 15 को 18:02 तक 
  • श्रवण नक्षत्र आरम्भ अक्टूबर 14 को 09:36 से 
  • श्रवण नक्षत्र समाप्त –अक्टूबर 15 को  09:16 तक 

2021 में दशहरा 15 अक्टूबर को मनाया जायेगा यह दिन विजय पर्व के रूप में भी मनाया जाता है

दशहरा पर्व के पीछे की कहानी.

हिन्दू धर्म ग्रन्थ रामायण के अनुसार राजा दशरथ अयोध्या के राजा थे उनके चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न थे। एक बार देवासुर संग्राम में राजा दशरथ अपनी पत्नी कैकई के पराक्रम से खुश होकर कुछ भी मांगने को बोलते है तब कैकई ने इस बात को टाल देती है लेकिन जब भगवान राम को अयोध्या का राजा घोषित किया जाता है तब कैकई ने उस वरदान का फायदा उठाकर राम को 14 वर्ष के लिए वनवास भेज देती है।

भगवान राम के साथ उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण भी साथ में जाते है एक दिन लंका का राजा रावण ने धोके से सीता का हरण कर लेता है।

रावण के बहुत ही शक्तिशाली राक्षस था उसके पिता विशर्वा एक ब्राम्हण थे इस कारण रावण बहुत ही ज्ञानवान भी था। उसके पराक्रम के चर्चे तीनो लोको में था वह सभी देवी देवताओ को अपने वश में रखता था इसी बात का उसे बहुत ही ज्यादा अहंकार था उसके इसी कर्मो के कारन भगवान विष्णु को राम के रूप में उसका संहार करने के लिए अवतार लेना पड़ा था।

सीता के हरण के पश्चात भगवान राम वानर राज सुग्रीव से मिलते है जहाँ उनकी मुलाकात उनके परम भक्त हनुमान से होता है जिनके सहायता से ही पता चलता है की माता सीता का अपहरण रावण ने किया है। भगवान राम और लक्ष्मण वानर सेना के साथ रावण से युद्ध करते है और इस युद्ध में रावण की मृत्यु हो जाता है और उसका सारा घमंड चूर चूर हो जाता है। इसी विजय को लोग हर एक वर्ष दशहरा के रूप में मनाते है इसे विजयादशमी भी कहा जाता है।

दशहरा पर्व से जुड़ी पौराणिक कथाएं.

  • भगवान राम का रावण पर विजय का त्यौहार
  • देवी दुर्गा द्वारा राक्षस महिषासुर का वध 
  • देवी सती का अग्नि में समाहित होना

दशहरा कैसे मनाया जाता है.

दशहरा का त्यौहार बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। भारत के कई हिस्सों में रावण उसके भाई कुम्भकर्ण और उसके पुत्र मेघनाद के पुतले बनाकर लोग उसे जलाते है। तो कई हिस्से जैसे- कर्णाटक के कोलार, राजस्थान के जोधपुर, आंध्रप्रदेश के काकीनाडा आदि जगहों पर रावण की पूजा करते है। 

इस दिन बच्चे, जवान सभी रामलीला और मेले का आनंद लेते है और साथ में पटाखे भी फोड़ते है। व्यापारी अपने लिए नए कार्य का आरम्भ करते है। रावण का पुतला जलाने के साथ लोग इस दिन अपने अन्दर के अहंकार और बुराई को भी जला देते है।

दशहरा में देवी दुर्गा के सभी स्वरूपों का पूजा अर्चना किया जाता है जिसे नवरात्र कहा जाता है नवरात्र के ठीक अगले दिन विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। नवरात्र में स्राधालू उपवास रख कर माता के रूपों का पाठ और पूजा करते है।

इस पर्व पर जलाने के लिए 10 अवगुण.

  • अहंकार 
  • काम 
  • लोभ 
  • क्रोध 
  • घृणा 
  • इर्ष्या 
  • आलस्य
  • अनिर्णय 
  • विलम्ब  
  • भ्रम 

दशहरा का महत्त्व और उत्सव.

यह पर्व बुराई पर अच्छाई के जीत को बताता है साथ में यह पर्व हमें यह सन्देश देता है की हमे घमंड नही करना चहिए सबके साथ मिलजुल कर भाईचारे के साथ रहना चाहिए। 

दशहरा का उत्सव भारत के हर राज्य और जगहों पर अलग अलग तरीको और मान्यताओ के साथ मनाया जाता है पश्चिम बंगाल में यह पर्व लगातार 10 दिनों तक बड़े ही धूम धाम और हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है वही भारत के कुछ हिस्सों में रावण की मूर्ति को सजा कर उसे जलाया जाता है।

दशहरा का त्यौहार भारत के अलावा नेपाल, बांग्लादेश और मलेशिया में भी इसका जश्न मनाया जाता है। इस दिन लोग तरह तरह के मिठाई पकवान आदि बनाते है तथा दुसरो में बांटते भी है।

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दशहरा का बदलता स्वरुप. 

जैसे जैसे समय बदला हर चीज बदलता जा रहा है लोग अब पर्व और त्योहार को भी आधुनिक तौर तरीको से मना रहे है पहले लोग इस दिन एक दूसरे के घर आते जाते थे लेकिन अब लोग मोबाइल से मैसेज और कॉल कर एक दूसरे को शुभकामनाए दे देते है जिससे समय का बचत हुआ है परन्तु लोग एक दूसरो से अलग होते जा रहे है। 

पहले लोग रावण और कुम्भकर्ण के दहन के लिए उसे सजाते थे परन्तु अब उसमे बहुत से पटाखे लगाये जाते है जिससे फिजूलखर्ची बढ़ा है। इस तरह लोग अब अपने परम्परा के अनुसार नही बल्कि आधुनिक तौर तरीके से कार्य कर रहे है।

सारे लोग अपने आप को प्रतिस्पर्धा में लाकर खड़े कर रखे है और अपने आप को एक दूसरो से बेहतर दिखाने में लगे है ईश्वर के प्रति इनका आस्था अब गायब होता दिख रहा है।

यही कारण हम सभी को वास्तविक्ता पहचानने की जरुरत है जिससे इसे सादगी और पुराने तौर तरीको से मनाया जाये जिससे फिजूलखर्ची बच सके और लोग एक दुसरो के लिए समय निकाल सके जिससे प्रेम और भाईचारा फिर से देखने को मिले।

निष्कर्ष

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आप सब को दशहरा पर्व के बारे में विस्तार से बताया गया और आप सब ने दशहरा क्यों मनाया जाता है, इसके पीछे की कहानी और इसके महत्त्व तथा साथ में 2021 में यह कब मनाया जायेगा इसके बारे में भी जाना मुझे उम्मीद है की आपको दशहरा से जुड़ा यह पोस्ट आपको पसंद आया होगा।

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