अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास - Alauddin Khilji History in Hindi.

अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास - Alauddin Khilji History in Hindi.

अलाउद्दीन खिलजी को खिलजी वंश का दूसरा शासक माना जाता है। वह एक बहुत ही क्रूर और निर्दियी शासक था उसके लिए उसके महत्वाकांक्षा से बड़ा कुछ और नही था जिसका एक मात्र काम लूटपाट मचाना, लोगो की हत्या करना और अपने राज्य का विस्तार था। उसने राजा बनने के लिए अपने चाचा जलालुद्दीन फिरुज ख़िलजी की हत्या कर राजगद्दी हड़प लिया था। 

अलाउद्दीन खिलजी को दूसरो से अपनी प्रसंशा करवाना बहुत पसंद था उसने राजा बनते ही अपने राज्य में शराब की बिक्री बंद करवा दिया था परन्तु खुद शराब के नशे में चूर रहता था। अलाउद्दीन खिलजी एक शक्तिशाली राजा था जिसने अपने बल पर दक्षिण भारत में आकर जीत हासिल किया और ऐसा करने वाला पहला मुस्लिम शासक बना था इसने अपने साम्राज्य को दक्षिण में मदुरै तक फैला दिया था।

इसके बाद खिलजी राज्य का विस्तार और भी तेज़ी से करने लगा और उसने मंगोल आक्रमणकारियों को हराकर सेंट्रल एशिया पर भी अपना कब्ज़ा कर लिया था जो वर्तमान में अफगानिस्तान के नाम से जाना जाता है। अलाउद्दीन के साम्राज्य का विस्तार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की इसके जाने के 300 साल बाद भी किसी शासक ने इसके इतना बड़ा साम्राज्य का निर्माण कर पाया था।कुछ इतिहासकारों का तो यह भी मानना है की अलाउद्दीन खिलजी ने काकतीय शासक को हरा कर उनसे कोहिनूर हिरा को छिन्न लिया था।

अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास


अलाउद्दीन खिलजी का जीवन परिचय.

अलाउद्दीन खिलजी का जन्म 1266-1267 माना जाता है जिसका वास्तविक नाम अली गुरशास्प उर्फ़ जूना मोहम्मद खिलजी था। अलाउद्दीन के पिता के देहांत के बाद इसके चाचा खिलजी वंश के सुल्तान जलालुद्दीन फिरुज खिलजी ने पालन पोषण किया और अपने बेटी मेहरू की शादी अलाउद्दीन के साथ कर दिया था। 


पूरा नाम

अलाउद्दीन खिलजी

दूसरा नाम

जुना मोहम्मद खिलजी

जन्म

1266-67

पिता का नाम

शाहिबुद्दीन मसूद

पत्नी

कमला देवी,महरू

धर्म

मुस्लिम

मृत्यु

1316 (दिल्ली)

बच्चे

कुतिबुद्दीन मुबारक शाह, शाहिबुद्दीन ओमर




  












अलाउद्दीन खिलजी का साम्राज्य एवं शासनकाल.

जलालुद्दीन फिरुज खिलजी जब दिल्ली के सुल्तान बने तो अलाउद्दीन को दरबार का अमीर-ए-तुजुक बना दिया। करीब 1291 में कारा के राज्यपाल मालिक छज्जू ने विद्रोह कर आक्रमण कर दिया जिसकी जानकारी मिलने बाद अलाउद्दीन ने इस परिस्थिति को अपने बल और कौशल के द्वारा संभाल लेता है जिससे खुश होकर उनके चाचा जलालुद्दीन फिरुज ने उसे कारा का राज्यपाल न्युक्त कर देते है। 

इसके बाद 1992 में जलालुद्दीन फिरुज ने भिलसा जीत के पश्चात अलाउद्दीन खिलजी को अवध प्रान्त भी दे दिया लेकिन मालिक छज्जू अपने बदले को पूरा करने के लिए अलाउद्दीन के मन में दिल्ली का सुल्तान बनने का इच्छा को जगाया जिसके बाद उसने धोके से अपने चाचा जलालुद्दीन फिरुज खिलजी की हत्या कर उसने 1296 में अपने आप को दिल्ली का सुल्तान घोषित कर देता है और खुद ही अपने आप को अलाउद्दीन उद-दीन मुहम्मद शाह-सुल्तान की उपाधि भी दे देता है।

अलाउद्दीन के दिल्ली का शासक बनने का खबर पूरी तरह सब जगह फ़ैल गया था जिसके बाद मंगोल आक्रमणकारीयों ने दिल्ली पर अपना कब्ज़ा करने के लिए कई बार आक्रमण किया परन्तु अलाउद्दीन खिलजी ने हर बार उनका मुकाबला पूरी ताकत से किया और जीतता गया।

इस तरह उसने 1298 में जलंधर, 1299 में किली, 1305 में आमरोहा और 1306 में रवि की लड़ाई में उसने मंगोल आक्रमणकारीयों को हराकर उनके खिलाफ विजय प्राप्त किया। कहा जाता है इसके कुछ समय बाद अलाउद्दीन खिलजी ने 30 हज़ार मंगोलियो को मारकर उनके पत्नी और बच्चे को गुलाम बना लिया था।  

1299 में अलाउद्दीन ने सबसे बड़ी जीत हासिल किया जब उसने गुजरात के शासक को हराया था यही मलिक काफूर उसका प्रमुख और वफादार सेनापति भी बन गया था। 

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अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्दावती.

कुछ इतिहासकारों का मानना है की अलाउद्दीन चितौडगढ़ के राजा रावल रतन सिंह की खुबसूरत पत्नी पद्मावती के बारे में सुन कर उन्से शादी कर अपने हरम में शामिल करना चाहता था यही कारन उसने 1303 ईसवी में चितौडगढ़ पर आक्रमण कर दिया था।

अलाउद्दीन खिलजी के चितौडगढ़ दुर्ग पर हमला कर दिया जिसके बाद में दोनों की सेना के बीच युद्ध हुआ और खिलजी में धोखे से रावल रतन सिंह की हत्या कर दिया था।

रावल रतन सिंह के मृत्यु की खबर सुन पद्मावती और उनके साथ दुर्ग की कई हज़ार स्त्रियो ने अलाउद्दीन खिलजी से अपनी रक्षा के लिए जौहर कर लिया था।

इस घटना के कुछ साल बाद ही खिलजी ने 1306 में बड़े राज्य बंग्लाना के राजा राय करण को हरा कर उसकी बेटी को दिल्ली लाकर उसका शादी अपने बेटे के साथ कर देता है और अपने बर्बर स्वभाव का परिचय एक बार दोबारा दोहराता है।

अलाउद्दीन खिलजी की उपलब्धियां. 

एक तरफ खिलजी क्रूर, महत्वकांक्षी और निर्दियी शासक था तो कुछ उसके अच्छे काम भी थे जिससे लोगो को ज्यादा तो नही परन्तु थोडा फायदा जरुर पहुंचा था अलाउद्दीन के कुछ उपलब्धियां निम्नलिखित है-

  • खिलजी ने अपने शासन काल में मूल्य नियंत्रण निति लागु किया था जिसके तहत कपडे, अनाज, दवाई आदि अपने निर्धारित मूल्य पर ही बेचे जाते थे जिसके कारण नागरिको और सिपाहियों को बहुत फायदा पहुँचा था।
  • दक्षिण भारत में जीत के बाद वहा उसने कई भव्य मस्जिद का भी निर्माण करवाया था।
  • अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासन को मजबूत करने के लिए प्रशासन व्यवस्था को कुशल किया था जिससे कृषि में काफी सुधार हुआ था और भ्रष्टाचार के खिलाफ उसने कड़े कानून लागू किया था।

अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु.

अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु 1316 ईसवी में हुआ था इसके पीछे का कारण कुछ इतिहासकार बताते है की उसका मृत्यु उसका वफादार सेनापति मलिक काफूर ने किया था।

जबकि कुछ इतिहासकारों का मानना की अलाउद्दीन की मृत्यु किसी बीमारी के चलते हुआ था।

अलाउद्दीन खिलजी के मौत के पश्चात दिल्ली के महरौली स्थित क़ुतुब कॉम्प्लेक्स में उसकी कब्र बनाई  गई थी।

FAQ 

खिलजी वंश का अंतिम शासक कौन था?

खिलजी वंश का अंतिम शासक कुतुबुद्दीन मुबारक शाह था।

खिलजी वंश के संस्थापक कौन था?

खिलजी वंश के संस्थापक जलालुद्दीन फिरुज खिलजी था।

अलाउद्दीन खिलजी की मौत कैसे हुई?

 कुछ इतिहासकार बताते है की उसका मृत्यु वफादार सेनापति मलिक काफूर ने किया था।

अलाउद्दीन खिलजी का जन्म कब हुआ था?

अलाउद्दीन खिलजी का जन्म 1266-1267 में हुआ था।

 अलाउद्दीन खिलजी की कब्र कहाँ है?

अलाउद्दीन खिलजी का कब्र दिल्ली के महरौली स्थित क़ुतुब कॉम्प्लेक्स में है।


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