क्रिकेट आज के समय में एक बहुत ही लोकप्रिय खेल बन चूका है। बहुत से ऐसे देश जहाँ का क्रिकेट राष्ट्रीय खेल भी है। क्रिकेट खेल की उत्पति 16 वीं शताब्दी हुई थी और उस समय से लेकर वर्तमान में इसके नियम और टेक्नोलॉजी में कई तरह के बदलाव भी देखने को मिला है।
इस खेल को जेंटलमैन का गेम भी बोला जाता है इसे विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाने के लिए ICC टूर्नामेंट के अलावा दुनिया में कई तरह क्रिकेट लीग भी खेला जाता है जिन्मे आईपीएल, बीबीएल, हंड्रेड बॉल मैच आदि प्रमुख है। विश्व ने टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बहुत ही तरक्की लिया और इसका फायदा क्रिकेट में हुआ इस खेल को और भी दिलचस्प, रोमांचक और फेयर प्ले बनाने के लिए कई तरह के टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। चलिए जानते है क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी के बारे में जिसने अंपायर और अन्य सभी काम आसान कर दिया है। यदि आपको भी इनके बारे में नही पता है तो इस पोस्ट को पढने के बाद आप भी क्रिकेट के इस पहलू से वाकिफ हो जायेंगे।
क्रिकेट मैच में USE होने वाली टॉप 10 टेक्नोलॉजी.
क्रिकेट के उत्पति से लेकर आज तक इसके नियम में कई तरह के बदलाव आये और इस नियम के तहत इस खेल में लिए जाने वाले निर्णय सही साबित हो इसके लिए ICC मैच में कई तरह के टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है जो निम्नलिखित है-
1. ULTRA-EDGE
ULTRA-EDGE क्रिकेट का एक चर्चित रिव्यु सिस्टम है जिसका इस्तेमाल थर्ड अंपायर के द्वारा बैटिंग टीम, बोलिंग टीम या फिर ग्राउंड अंपायर के रिव्यु के दौरान किया जाता है।
ULTRA-EDGE यह कन्फर्म करता है की बॉल का संपर्क खेल रहे प्लेयर के बैट से हुआ है या नही क्योंकि इतने शोरगुल के बीच हो रहे इस खेल में कभी कभी प्लेयर और अंपायर के लिए आवाज को सुन पाना मुस्किल होता है। यहाँ तक की कभी-कभार बॉल का संपर्क बैट से नही होने के बावजूद अंपायर OUT करार देता ऐसे में इस टेक्नोलॉजी का महत्त्व और भी बढ़ जाता है।
ULTRA-EDGE के लिए SLOW-MOTION कैमरा और माइक का इस्तेमाल किया जाता है जब बॉल बैट्समैन के बैट या शरीर से टकराता है तो STUM में लगा माइक इस आवाज को रिकॉर्ड कर लेता है। जिसे SLOW-MOTION कैमरा और ग्राफ के साथ ऐड कर दिया जाता है जहाँ ग्राफ बैट का बॉल से या बॉल का शरीर के किसी भाग से संपर्क के बाद ऊपर उठ जाता है जिसे अंपायर के लिए सही DECISION देना आसान हो जाता है।
2. HOTSPOT
HOTS-POT का इस्तेमाल एलबीडबल्यू या CATCH OUT के समय किया जाता है क्योकि ULTRA-EDGE अधिक ध्वनि या कम ध्वनि होने पर सही से काम नही करता है। ऐसे में इंफ्रारेड इमेजिंग सिस्टम के द्वारा ब्लैक करके दिखाया जाता है जिससे यह स्पस्ट तौर पर पता चल जाता है की बॉल पैड से संपर्क किया या फिर बैट से किया है।
HOTSPOT में जहाँ पर भी बॉल का संपर्क होता है वहा वाइट स्पॉट बन जाता है जिससे अंपायर सही फैसला प्लेयर के पक्ष में सुनाता है। इसका इस्तेमाल सबसे पहले एशेज के दौरान ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड मैच में किया गया था।
3. STUMP - CAMERA
क्रिकेट के खेल में गलतियों को कम करने के लिए स्टंप कैमरा का इस्तेमाल भी किया जाता है जिसे स्टंप के अंदर खोखले भाग में फिट कर दिया है और उसके ऊपर से पारदर्शी मिरर लगा दिया जाता है। स्टंप कैमरा का इस्तेमाल एक्शन रीप्ले, स्टंप आउट और रन आउट के समय किया जाता है। STUMP CAMERA के मदद से यह देखना आसान हो जाता है की बैट्समैन का पैर या फिर उसका बैट लाइन के अन्दर है या नही।
4. LED STUMPS और BAILS
LED STUMPS-BAILS का इस्तेमाल स्टंप आउट और रन आउट के लिए किया जाता है। इस तरह के स्टंप्स और BAILS में जब बॉल टकराता है तो यह जलने लग जाता है इसलिए अंपायर को सही निर्णय लेने में किसी प्रकार का परेशानी नही होता है।
LED STUMPS-BAILS का कीमत बहुत ही अधिक होता है जिसके चलते इसका इस्तेमाल बड़े मैचो में किया जाता है।
5. PITCH - VISION
PITCH VISION एक बहुत ही महत्वपूर्ण तकनीक है। इसके इस्तेमाल से यह पता चलता है की बॉलर ने उस मैच में या कहा कहा बॉल किया है वही इससे यह भी पता चलता है की बैट्समैन ने किस बॉल पर कितने रन बनाये है जिससे उस बैट्समैन और बॉलर के लिए अपने रणनीति में सुधार करने का मौका मिल जाता है। PITCH VISION से बॉलर के हर एक बॉल पर नज़र रखा जाता है।
6. BALL SPIN RPM
इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल ज्यादातर स्पिन बॉलर के बॉल की घुमाव को पता लगाने के लिए किया जाता है। बॉल बॉलर के द्वारा फेकने के बाद कितना घूम रहा है यह टीवी पर इसी तकनीक के द्वारा दिखाया जाता है।
7. HAWK-EYE
HAWK-EYE का इस्तेमाल एलबीडबल्यू (LEG BEFORE WICKET) के DECISION के लिया किया जाता है। इसका इस्तेमाल सबसे पहले 2001 में पाकिस्तान और इंग्लैंड के मैच के बीच किया था लेकिन ICC द्वारा इसे मंजूरी 2008 में दिया गया तब से लेकर आज तक यह रिव्यू सिस्टम का हिस्सा है।
HAWK-EYE के इस्तेमाल से यह पता चलता है की बॉल स्टंप पर लगा है या नही इसके लिए यह बॉल के स्पिन डिग्री को मापता है जिससे यह पता चलता है बॉल बैट्समैन के पैड से टकराकर किस एंगल पर ट्रेवल कर रहा है। LEG BEFORE WICKET के इस तकनीक के लिए 6 से अधिक कैमरा लगाए जाते है जिससे DECISION सही साबित हो।
8. SPIDER-CAM
यह मैच के दौरान एक केबल तार के ऊपर लटका होता है और मैदान के एक छोर से दूसरे छोर तक घूम रहा होता है इसका मुख्य काम पुरे मैच पर नज़र रखना और किसी बैट्समैन द्वारा लगाए गए SIX और FOUR का सही रिव्यु दिखाना है।
यदि किसी बैट्समैन द्वारा शॉट लगाया जाता है और वह SPIDER-CAM से टकराकर सिक्स चला जाता है तो उस परिस्थिति में बॉल को डेड बॉल करार दिया जाता है। यहाँ तक की जब बॉल SPIDER-CAM से टकराकर ग्राउंड में किसी प्लेयर द्वारा CATCH कर लिया जाता है तो उस परिस्थिति में भी बैट्समैन को आउट के वजाय बॉल को डेड बॉल करार दिया जाता है।
9. GRAPHICS DISPLAY
हमसब लाइव चल रहे मैच के दौरान किसी प्लेयर का उस टीम के खिलाफ प्रदर्शन, उस प्लेयर का करियर रिकॉर्ड देख पाते है यह इसी तकनीक से संभव हो पाया है। इस तकनीक के सहायता से बॉलर का PRESENT और PAST परफॉरमेंस, NET RUN-RATE. रिक्वायर्ड रन रेट, टीम का परफॉरमेंस और भी कई तरह से चीज शामिल होता है।
10. BALL - TRACKING
अगर देखा जाये तो BALL TRACKING क्रिकेट में सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाला तकनीक है।BALL TRACKING का इस्तेमाल LEG BEFORE WICKET ( LBW ) के लिए किया जाता है इस नियम के अनुसार कोई भी बॉल जो विकेट को लगने वाली हो यदि बैट के अलावा शरीर के किसी भी हिस्से से लग कर रुक जाता है तो उस परिस्थिति में BALL TRACKING का इस्तेमाल किया जाता है।
BALL TRACKING कन्फर्म करता है BALL कहा पर पिच हुआ है। बॉल लेग स्टंप, ऑफ स्टंप आदि को लगता या मिस कर जाता इसके अलावा यह इम्पैक्ट भी देखता है और बताता है बॉल जब बैट्समैन के पैड को हिट किया उस समय वह विकेट स्टंप के सामने था या नही था।
निष्कर्ष
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आप सब को क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी के बारे में विस्तार से बताया गया और आप सब ने क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाली BALL TRACKING, HOTSPOT, ULTRAEDGE आदि टेक्नोलॉजी के बारे में भी जाना मुझे उम्मीद है की आपको क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी से जुड़ा यह पोस्ट आपको पसंद आया होगा।
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