औरंगजेब का इतिहास और जीवन परिचय - Aurangzeb History in Hindi.

औरंगजेब का इतिहास और जीवन परिचय - Aurangzeb History in Hindi.

औरंगजेब मुग़ल साम्राज्य का छठा और सबसे अंतिम प्रभावी शासक था इतिहास में इसके बाद किसी और मुग़ल शासक का जिक्र ज्यादा नही मिलता है औरंगजेब, शाहजहाँ का पुत्र और जहाँगीर का पौत्र था। औरंगजेब मुग़ल साम्राज्य का सबसे प्रभावी शासक में से एक था वह मुग़ल इतिहास में सबसे ज्यादा राज करने वाला शासक भी था तथा उसने सबसे ज्यादा अपने साम्राज्य का विस्तार उपमहाद्वीप में किया था उसने कई नियम और कानून अपने शासन काल के दौरान लागु किया परन्तु वह अकबर जितना लोकप्रिय नही हुआ इसके पीछे मुख्य कारण यह था की वह बहुत ही क्रूर और निर्दयी स्वभाव का था

औरंगजेब ने सता पाने की लालच में अपने पिता शाहजहाँ की जीते जी कैद कर 8 वर्षो तक मरने के लिए आगरा किला में कैद कर लिया था। वह यही तक सिमित नही रहा उसने मुग़ल साम्राज्य के सभी उतराधिकारी को मरवा दिया था तथा अपने सगे भाई को फांसी की सजा सुना दिया था तो आइये जानते है औरंगजेब से जुड़ी और भी महत्वपूर्ण तथ्य के बारे में -

औरंगजेब का जीवन परिचय.


पूरा नाम


अबुल मुज़फ़्फ़र मुहिउद्दीन मोहम्मद औरंगज़ेब आलमगीर



जन्म



3 नवम्बर 1618 ईसवी,


जन्म स्थान



दाहोद, गुजरात


माता-पिता



मुमताज़ महल , शाहजहाँ 

 

 

 

 

पत्नियाँ


औरंगाबादी महल, उदयपुरी महल,

बेगम रुबिया दुर्रानी, झैनाबादी महल

दिलरास बानो,

बेगम नबाव बाई

 



पुत्र/पुत्रियाँ 


मोहम्मद सुल्तान, बहादुर शाह,

आजम शाह,  सुल्तान मोहम्मद अकबर,

मोहम्मद काम बख्श, ज़ीनत-उन-निसा,

ज़ेब-उन-निसा, मेहर-उन-निसा

 


मृत्यु



 3 मार्च 1707, अहमदनगर



औरंगजेब मुग़ल साम्राज्य का छठा शासक था जिसका पूरा नाम अबुल मुज़फ़्फ़र मुहिउद्दीन मोहम्मद औरंगज़ेब आलमगीर था। औरंगजेब का जन्म 3 नवम्बर 1618 ईसवीदाहोद, गुजरात में हुआ, इसके पिता का नाम शाहजहाँ और माता का नाम मुमताज़ महल था। औरंगजेब के मृत्यु के पश्चात उसके बेटे बहादुर शाह प्रथम ने मुग़ल साम्राज्य के शासन को आगे बढाया था

औरंगजेब का बचपन और शुरूआती जीवन.

औरंगजेब का जन्म नवम्बर 1618 ईसवीदाहोद, गुजरात में हुआ था उसका पालन पोषण कुछ समय तक गुजरात में ही हुआ था परन्तु वह शाहजहाँ के शासक बनते ही 1628 में आगरा आ गया जहा उसने अपनी शिक्षा पूरा किया तथा युद्ध कलाओ में भी निपुण हो गया था

इतिहासकारों के अनुसार वह बचपन से ही निर्दयी स्वभाव का था जो आगे चलकर साफ साफ दिखने लग गया था औरंगजेब की शादी 19 वर्ष की आयु में 1637 में फारस राजघराने की लड़की दिलरास बानो बेगम के साथ हुआ था इसके बाद उसने कई और भी शादियाँ किया जिससे उसके 10 पुत्र और पुत्रियाँ हुई परन्तु उसके कोई भी पुत्र मुग़ल वंश को सही पूर्वक आगे नही ले जा सका।

अकबर के बाद औरंगजेब ने ही मुग़ल साम्राज्य का विस्तार सबसे ज्यादा किया था परन्तु अकबर ने हिन्दुओ के लिए कुछ अच्छे काम किया था तथा बहुत से कर हो भी हटाया था और औरंगजेब ने सता में आते ही हिन्दुओ पे जुल्म ढाना शुरू कर दिया था साथ में अकबर द्वारा हटाये गए कर को दोबारा से लागु भी कर दिया था इन्ही सब कारणों से वह उस समय के जनता के लिए एक बुरा शासक सिद्ध हुआ और इतिहास में एक क्रूर शासक के रूप में जाना गया      

औरंगजेब का इतिहास और जीवन परिचय


औरंगजेब का सता में प्रवेश.

औरंगजेब को सबसे पहले बार सन 1636 में दक्कन का सूबेदार न्युक्त किया गया था और वह इससे खुश भी था क्योकि उसने इसके लिए अपनी योग्यता सिद्ध किया था परन्तु उसकी बहन की हुई अचानक मृत्यु के बाद भी वह कई दिनों तक घर नही गया जिससे लोग उससे नाराज़ हो गये और शाहजहाँ ने उसे दक्कन की सुबेदारी से हटा दिया था 

औरंगजेब को को उसकी काबिलियत के वजह इस बार उसे गुजरात का सूबेदार न्युक्त किया गया जो उस समय के सबसे समृद्ध और खुशहाल प्रदेश था। गुजरात की सुबेदारी मिलने के बाद उसने वह अच्छे काम किए जिसके वजह से उसे अफगानिस्तान का गवर्नर बना दिया गया था  

उतराधिकारी की हत्या.

औरंगजेब का शासनकाल का मुग़ल साम्राज्य का सबसे बड़ा शासनकाल था परन्तु उसने सता पाने के लिए एक के बाद एक करके कई पाप किया था सबसे पहले तो उसने अपने पिता शाहजहाँ को मरने का कोशिश किया था परन्तु शाहजहाँ को उसके करीबी लोगो ने बचा लिया था इसके बाद मौका देख औरंगजेब ने उसे अगरा किला में कैद कर लिया था

शाहजहाँ चाहता था की उसका दूसरा बेटा दारा शिकोह शासन को संभाले क्योकि वह बुद्धिमान और स्वभाव से अच्छा था। अपने पिता की मनसूबो को वह अच्छे से जनता था इसलिए उसने शाहजहाँ को कैद करने के पश्चात मुग़ल साम्राज्य का छठा शासक बना और अपने सभी भाइयो को मरवा दिया और  दारा शिकोह फांसी की सजा सुना दिया था    

औरंगजेब का शासनकाल.

औरंगजेब अन्य मुग़ल शासक की तरह नही था लूटेरे और क्रूर तो सभी मुग़ल शासक थे लेकिन वे सभी कुछ जनता के हित में भी काम करते थे और खास करके हिन्दुओ के लिए परन्तु औरंगजेब सभी से अलग था वह पुरे भारत को मुस्लिम देश बनाना चाहता था यही कारण वह हिन्दुओ के खिलाफ काफी क्रूरता भी दिखता था 

औरंगजेब का शासनकाल 31 जुलाई 1658 – 3 मार्च 1707 तक था इस अवधी में उसने अपने साम्राज्य का काफी विस्तार किया था उसने अपने शासनकाल के दौरान काफी हिन्दू मंदिर को तुडवा दिया था और लोगो को काफी यातनाए भी सहना पड़ता था इसके अत्याचार को देखते हुए छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1660 में इसके खिलाफ आक्रमण कर दिए और इसके कई सेनापति और सेना को मार गया जिससे देख औरंगजेब घबरा गया और उसके मन में उनके खिलाफ डर पैदा हो गया जिससे उसे पीछे हटना पड़ गया

मराठा के बार बार के आक्रमण के बाद 1669 में जाट और 1675 में सिख ने भी औरंगजेब पर आक्रमण किया जिससे वह परेशान रहने लग गया और उसकी सेना का मनोबल भी टूटने लग गया था। औरंगजेब के शासन में किसी के लिए कोई इज्जत नही था औरतो का सम्मान नाम का कोई चीज दूर दूर तक नही था वह बच्चे बूढ़े सभी को परेशान करता था और यही सब उसके शासन का पतन सिद्ध हुआ जिसके बाद मुग़ल साम्राज्य उठ नही पाया क्योकि उसका नीव हिल चूका था       

सिख गुरु तेगबहादुर की हत्या.

निर्दयी, क्रूर और बर्बर शासक औरंगजेब ने मुस्लिम राष्ट्र का सोच रखते हुए उसने सिख और हिन्दुओ के बाद कश्मीर में जुल्म करना शुरू किया था जहाँ उसने कश्मीरी पंडितो को जबरन धर्म परिवर्तन करने पर मजबूर कर रहा था जिसके बाद में सिख के नौवे गुरु तेगबहादुर ने आवाज उठाई और उसके खिलाफ बोले जिसे देख औरंगजेब ने अपने क्रूर शक्ति को प्रदर्शित करते हुए गुरु तेगबहादुर को सूली पर लटकवा दिया था

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हिन्दुओ के खिलाफ किए गए जुल्म.

औरंगजेब ने अपने शासनकाल के दौरान हिन्दुओ का जीना हराम कर दिया था और अनेको तरह के प्रतिबन्ध लगाया था जिसके बारे में आपको निचे में बताया गया है-

  • उसने अकबर द्वारा हटाए गए जजिया कर को दोबारा लागु कर दिया था जिसके तहत गैर-मुस्लिम को आमदनी के अनुसार कर देना होता था जो हिन्दू और मुस्लिम में हुए दो नीतियों को दर्शाता है
  • धार्मिक क्षति के लिए उसने कई हिन्दू मंदिर को तुडवाया था और उसके स्थान पर मस्जिद का निर्माण करवा देता था
  • शाहजहाँ के शासन में नौकरी कर रहे हिन्दुओ को उसने पद से निलंबित कर उसके स्थान पर मुस्लिम को रख लिया था
  • उसके शासन के दौरान हिन्दू को घोडा-हाथी आदि की सवारी करने पर भी रोक था
  • उसने त्योहार मानाने पर भी रोक लगा दिया था उसके आदेशानुसार कोई भी हिन्दू अपना त्योहार नही मना सकता था साथ में यज्ञ, मेला आदि के लिए उसने फतवा जारी कर रखा था   
  • उसने हिन्दू को जबरन मुस्लिम धर्म अपनाने पर बाध्य करता था और ऐसा नही करने पर अतरिक्त कर चुकाने का आदेश जरी करता था
  • उसने श्री कृष्ण का धाम  मथुरा का नाम इस्लामाबाद और वृन्दावन का नाम मेमिनाबाद कर दिया था।  

औरंगजेब की मृत्यु और मुग़लो का पतन.

इतिहासकार मुगलों के पतन का पूरा श्रेय औरंगजेब को देते है क्योकि उससे पहले जितने भी शासक हुए उसने भारत के अन्य राज्यों पर आक्रमण करते थे तो अन्य को अपने साथ मिलाकर भी रखते थे।औरंगजेब ने ऐसा नही किया था उसने इतने जुल्म और क्रूरता दिखाया था की उसके खिलाफ  पूरा मराठा, जाट, सिख, अफगान और राजपूत थे। जिससे उसके मरते ही उसका साम्राज्य बिखर गया और पूरा मुग़ल साम्राज्य धीरे धीरे नस्ट हो गया था।  

उसने अपने शासनकाल के दौरान दिल्ली में मोती मस्जिद और  1678 ईसवी में बेगम रुबिया दुर्रानी की याद में बीबी का मकबरा बनवाया था।

औरंगजेब मुग़ल साम्राज्य का सबसे ज्यादा शासन करने वाला शासक था उसने करीब 49 वर्ष तक शासन किया वही उसकी मृत्यु 3 मार्च 1707, को अहमदनगर में हुआ था तथा उसके शव को  दौलताबाद में दफनाया गया था। वही उसके मौत के साथ ही मुग़ल साम्राज्य का अंत हो गया था

निष्कर्ष

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आप सब को मुग़ल साम्राज्य के शासक औरंगजेब के बारे में विस्तार से बताया गया और आप सब ने औरंगजेब कौन था, औरंगजेब का जीवन परिचय और इतिहास और उससे जुड़ी अन्य  जानकारी के बारे में भी जाना मुझे उम्मीद है की आपको मुग़ल शासक से जुड़ा यह पोस्ट आपको पसंद आया होगा।

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