पानीपत का युद्ध - Battle of Panipat.

पानीपत का युद्ध - Battle of Panipat.

इतिहास में पानीपत के युद्ध का हमेशा से जिक्र होता रहा है ये सभी युद्ध अपने समय में भारत के भविष्य को तय कर सकता था। यदि बाबर पानीपत का प्रथम युद्ध नही जीत पाता तो शायद भारत पर मुगलों का शासन कभी नही हो पाता। वही बात दुसरे पानीपत युद्ध का करे तो उसमे भी बहुत किन्तु-परन्तु है क्योकि उस समय दिल्ली पर विक्रमादित्य हेमू का शासन था जो एक हिन्दू राजा थे

यदि वह इस युद्ध को जीत जाते तो अकबर के पास लौटने के अलावा कोई और रास्ता ही नही बचता क्योकि वह उस समय मात्र 13 वर्ष का था। तो चलिए जानते है पानीपत का प्रथम, पानीपत का द्वितीय और पानीपत का तृतीय युद्ध के बारे में तथा यह कब और किसके बिच में हुआ था।



पानीपत का प्रथम युद्ध (First Battle of Panipat).

  • पानीपत का प्रथम युद्ध बाबर और इब्राहिम लोदी के बिच लड़ा गया था।
  • बाबर मुग़ल वंश का संस्थापक था वही इब्राहिम लोदी, लोदी वंश का सुल्तान था।
  • पानीपत का प्रथम युद्ध मुग़ल वंश के दृष्टिकोण से बहुत ही अहम् और महत्वपूर्ण लड़ाई था जो की उनके ही पक्ष गया था और इस युद्ध इब्राहिम लोदी हार गया था।
  • भारत में लड़ी गई यह प्रथम युद्ध था जब किसी ने बारूद और तोपों का प्रयोग किया था।

इस युद्ध में इब्राहिम लोदी के पास बाबर से ज्यादा सैन्य बल था परन्तु उसके पास बारूद और तोप नही था जिसके चलते ज्यादा सैन्य बल होने के बाद भी वह कमजोर दिख रहा था।

  • इब्राहिम लोदी के पास करीब 35000 सैनिक और 1000 हाथी था। 
  • वही दूसरी तरफ बाबर के पास 20000 सैनिक और 20 तोपे थी।
  • बाबर को तोप से इस युद्ध में बहुत फायदा हुआ था क्योकि वह दूर से ही लोदी के सैनिको पर हमला कर पा रहा था जिससे दुश्मन समझ ही नही पा रहे थे की आखिर भागे तो भागे कहा।   
  • बाबर ने इस युद्ध के लिए अपने सेना को इस तरह लगाया था जिससे तोपों के प्रहार से उसके अपने सेना को क्षति नही पहुँच सके।
  • दोनों सेना के बिच चले इस भयंकर युद्ध में इब्राहिम लोदी की मौत युद्ध के मैदान में ही हो गया था।
  • इस तरह पानीपत का प्रथम युद्ध समाप्त हुआ था जहाँ बाबर की जीत और इब्राहिम लोदी का हार हुआ था जिसके बाद भारत में मुग़ल वंश का साम्राज्य बढ़ता ही चला गया था।    

    पानीपत का द्वितीय युद्ध (Second Battle of Panipat).

    पानीपत का द्वितीय युद्ध अकबर की सेना और विक्रमादित्य हेमू के बिच 5 नवम्बर 1556 को पानीपत के मैदान में हुआ था। और यह युद्ध उस समय के राजनितिक दृष्टिकोण से काफी अहम् था क्योकि शायद यह युद्ध मुग़ल वंश को अंत कर सकता था परन्तु ऐसा नही हुआ था। 

    • विक्रमादित्य हेमू एक हिन्दू शासक था और उसके बाद दिल्ली की गद्दी पर कोई और हिन्दू शासक शासन नही किया था।
    • अकबर मुग़ल वंश का तीसरा शासक और हुमायूँ का पुत्र था जब उसे मुग़ल वंश का शासक बनाया गया तब वह मात्र 13 वर्ष था। अकबर का देख-रेख के लिए उसके सेनापति बैरम खां को उसका अंगरक्षक न्युक्त किया था। 
    • 1556 में हुमायूँ के मृत्यु के पश्चात अकबर को अगला शासक बनाया गया था।
    • जब यह युद्ध शुरू हुआ था उस समय अकबर और उसके सेनापति जानते थे की वह यह युद्ध हार जायेगा इसी कारण अकबर के हिफाजत के लिए खुद बैरम खां और उसके साथ 5000 सैनिक तैनात किए गए थे।
    • इस युद्ध के लिए हेमू के पास 30000 सैनिको की एक विशाल टुकड़ी थी जो उस समय के लिहाज से अधिक था।
    • हेमू के सेना में एक से बढ़कर एक राजपूत और अफगान सैनिक थे जो घुड़सवार युद्ध में महारत हासिल कर रखा था।
    • एक तरफा चल रहे इस युद्ध में ऐसा लग रहा था की अब हेमू की सेना जीत जाएगी और मुगलों को भारत छोड़ कर जाना पड़ जायेगा।
    • युद्ध के इसी दौरान हेमू की आंख में आकर एक तीर लग गया और वह युद्ध भूमि में ही अपने हाथी से गिर पड़ा जिसका खबर सुनते ही पूरी सेना में हडकंप मच गया और वह इस युद्ध को हार गया।
    • इस तरह पानीपत का द्वितीय युद्ध समाप्त हुआ था जिसमे अकबर की जीत और विक्रमादित्य हेमू की हार हुआ था।
    • विक्रमादित्य हेमू की मौत इसी युद्ध में तीर लगने से उसी वक्त हो गया था और वह दिल्ली का अंतिम हिन्दू रजा भी था।

    पानीपत का तृतीय युद्ध (Third Battle of Panipat).

    पानीपत का तृतीय युद्ध पानीपत में हुए सभी युद्ध के मुकाबले काफी हिसान्त्मक था क्योकि इस युद्ध में लाखो लाख की संख्या में सैनिक मारे गए थे जो की उस समय की हिसाब से यह संख्या काफी अधिक था। इतना ही नही यह युद्ध भारतीय इतिहास में हुए बड़े युद्ध में से एक है जिसमे इतनी बड़ी मात्रा में सैनिको ने भाग लिया था।  

    • पानीपत का तृतीय युद्ध अहमद शाह अब्दाली और मराठो के बिच 14 जनवरी 1761 को पानीपत के करीब हुआ था।
    • अहमद शाह अब्दाली को अहमद शाह दुर्रानी के नाम से भी जाना जाता है।
    • मुग़ल साम्राज्य के पतन के बाद भारत में मराठा साम्राज्य ने बहुत अच्छे ढंग से अपना नीव मजबूत किया था और इसका पूरा श्रेय छत्रपति शिवाजी महाराज को जाता है। 
    • इतना ही नही छत्रपति शिवाजी ने मुगलों के हर रणनीति को तोड़ कर रखा दिया था और भारत को विदेशी आक्रमण से बचाया था।
    • 1740 आते-आते तक मराठा साम्राज्य ने मुगलों द्वारा जीते सभी प्रान्त को अपने कब्जे में ले लिया था।
    • परन्तु गद्दार हर समय पर इतिहास में सामने आते रहे है और उस समय भी ऐसा ही हुआ था। अहमद शाह अब्दाली एक लूटेरा था जिसका सामना दक्षिण पूर्व में मराठा सैनिक से हो गया जिसके बाद उसने मराठा से युद्ध का मन बना लिया था। 
    • अहमद शाह अब्दाली का साथ देने के लिए अवध के नवाब शुजा-उद-दौला ने हामी भर दिया था जो की राजनितिक दृष्टिकोण मराठो के लिए क्षति था। 
    • परन्तु मराठा पीछे हटने वाले नही थे और उन्होंने अहमद शाह अब्दाली की सेना पर हमला कर दिया जिसके बाद यमुना नदी के किनारे कुंजपुरा में एक युद्ध हुआ जिसमे 15000 से अधिक दुर्रानी सैनिक को मराठा सैनिक ने हरा कर युद्ध जीत लिया था।

    खाध आपूर्ति में विघ्न.

    • जब यह बात अब्दाली को पता चला तो उसने भी बागपत में अपना शिविर बना लिया और मराठा का खाध आपूर्ति को बंद कर दिया।
    • इसके बाद मराठा सैनिक ने भी अब्दाली के शिविर में होने वाले खाध आपूर्ति को बंद कर दिया और यह सिलसिला कई महीनो तक चलता रहा जिसमे मराठा को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा था।
    • खाध आपूर्ति के बंद होने से अंतिम दिसम्बर तक मराठा शिविर में हडकंप मचने लगा था जिसे देखते हुए मराठा ने युद्ध करना ज्यादा मुनासिब समझा और युद्ध की घोषणा कर दिया।
    • खाध आपूर्ति मोर्चाबंदी करीब करीब दोनों सेना के बिच 2 महीने से अधिक चला था।

    युद्ध - परिणाम. 

    • पानीपत का तृतीय युद्ध में मराठा का नेतृत्व उसके सेनापति सदाशिव राव भाउ कर रहे थे।
    • इस युद्ध में दोनों सेना को मिलकर करीब 130000 सैनिको ने भाग लिया था जो 18वी शताब्दी का सबसे बड़ा सैन्य युद्ध था।
    • इस युद्ध में सैनिको की मरने की संख्या भी उस समय के युद्ध के हिसाब से काफी अधिक था।
    • सदाशिव राव भाउ के मारे जाने की खबर सुन उनके सेना में भगदड़ मच गया था जिससे उनके सैनिक मारे जाने लगे और अंत में वे हार गये थे।
    • इस तरह पानीपत का तृतीय युद्ध में मराठा की हार और अहमद शाह अब्दाली का जीत हुआ था।
    • इस युद्ध में करीब 65000 - 75000 के बिच सैनिक मारे गए थे वही युद्ध के अगले दिन 40 000 और मराठा मृत पाए गए थे। 
    • इस युद्ध के बाद महज 10 वर्ष की अन्तराल पर मराठा ने नइ ऊंचाई को हासिल किया था और इसका पूरा श्रेय पेशवा माधवराव को जाता है।   

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    निष्कर्ष 

    दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आप सब को पानीपत का युद्ध के बारे में विस्तार से बताया गया और आप सब ने पानीपत का प्रथम, द्वितीय और तृतीय युद्ध तथा उससे जुड़ी अन्य  जानकारी के बारे में भी जाना मुझे उम्मीद है की आपको पानीपत के युद्ध से जुड़ा यह पोस्ट आपको पसंद आया होगा।

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