मुग़ल शासक जहाँगीर का इतिहास - Jahangir History in Hindi.

मुग़ल शासक जहाँगीर का इतिहास - Jahangir History in Hindi.

जहाँगीर मुग़ल साम्राज्य का चौथा शासक था जो हुमायूँ का पौत्र और अकबर का पुत्र था। जहाँगीर मुग़ल साम्राज्य का सबसे शौक़ीन शासक था उसने कई नियम और कानून अपने शासन काल के दौरान लागु किया परन्तु वह अकबर जितना लोकप्रिय नही हुआ और ना ही जहाँगीर ने अपने शासनकाल के दौरान कोई प्रभावी युद्ध जीत सका था

अकबर के मृत्यु के कुछ दिन बाद ही 36 वर्ष की आयु में जहाँगीर को 1605 में मुग़ल साम्राज्य की गद्दी पर बैठाया गया। जहाँगीर ने अपने शासनकाल में अपने साम्राज्य का विस्तार बंगाल तक किया था परन्तु वह बेहद ही शौक़ीन मिजाज का था और वह चित्रकला का बेहद ही प्रेमी व्यक्ति भी था तो आइये जानते है जहाँगीर से जुड़ी और भी महत्वपूर्ण तथ्य के बारे में -

मुग़ल शासक जहाँगीर का इतिहास


जहाँगीर का जीवन परिचय.

पूरा नाम

मिर्जा नूर-उद-दीन बेग मोहम्मद खान सलीम

जन्म

31 अगस्त 1569

जन्म स्थान

फतेहपुर सीकरी

माता-पिता

अकबर  

मरियम 

पत्नियाँ

नूर जहां,

जगत गोसेन, खास महल,

शाह बेगम, साहिब जमाल,   

मलिक जहां, सलिहा बानु 

नूर-अन-निसा बेगम,

पुत्र/पुत्रियाँ 

खुसरो मिर्जा, खुर्रम मिर्जा

 (शाहजहां),

शाहरियर मिर्जा,

जहांदर मिर्जा,

परविज मिर्जा,

बहार बानू बेगम, इफत बानू,

दौलत-अन-निसा बेगम

मृत्यु

1627, लाहौर , पाकिस्तान

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 








जहाँगीर मुग़ल साम्राज्य का चौथा शासक था जिसका पूरा नाम मिर्जा नूर-उद-दीन बेग मोहम्मद खान सलीम था। जहाँगीर का जन्म 31 अगस्त सन  1569, फतेहपुर सिकरी में हुआ, इसके पिता का नाम अकबर और माता का नाम मरियम उज्जमानी था। जहाँगीर के मृत्यु के पश्चात उसके बेटे शाहजहाँ ने मुग़ल साम्राज्य के शासन को आगे बढाया था। बाद में वह अपने बेगम के याद में ताजमहल का निर्माण करवाया जो आज भी प्रेम का प्रतिक है, और दुनिया के सात अजूबे में शामिल भी है।

जहाँगीर का बचपन और शुरूआती जीवन.

जहाँगीर मुग़ल साम्राज्य के सबसे प्रभावी शासक अकबर का पुत्र था जिसका जन्म  31 अगस्त सन  1569, फतेहपुर सिकरी में हुआ था कहा जाता है की जहाँगीर कभी मिन्नते के बाद हुआ था उसका नाम वहां के शेख सलीम चिश्ती के नाम पर रखा गया था इसलिए लोग उसे बच्पन में सलीम के नाम से पुकारते था

अकबर पढ़ा लिखा नही था इसलिए उसने जहाँगीर के शिक्षा के लिए बच्पन में ही अब्दुल रहीम खान-ए-खाना जैसे विद्धान व्यक्ति को उसके शिक्षा के लिए न्युक्त कर दिया था। अब्दुल रहीम खान-ए-खाना से शिक्षा ग्रहण करने के बाद जहाँगीर अरबी, फारसी, अंकगणित, भूगोल आदि का अच्छा विद्वान बन गया था। 

जहाँगीर का पालन पोषण बहुत ही प्यार से किया गया था जिसके कारन वह बिगडैल स्वभाव का हो गया था और उसका अकबर के साथ हमेशा अनबन चलते रहता था परन्तु कुछ समय बाद दोनों आपस में सुलह कर लेते थे। 

जहाँगीर बहुत ही रंगीन मिजाज का व्यक्ति था उसने अपने जीवन काल में 15 से अधिक शादियाँ किया था। उसकी पहली शादी 16 वर्ष की आयु में आमेर की राजकुमारी मानबाई से हुआ था, मानबाई भगवंत दास की बेटी और मानसिंह की बहन थी। वही जहाँगीर ने कई शादियाँ राजनितिक फायदे के लिए भी किया था। तो कुछ शादी अपने पसंद से भी किया था जिनमे नूरजहाँ का नाम सबसे पहले आता है।

इसके बाद जहाँगीर ने जोधपुर के राजकुमारी जगत गोसाई से शादी किया जिसके बाद उनसे उसके पुत्र खुर्रम मिर्जा का जन्म हुआ जो आगे चलकर शाहजहां के नाम से विख्यात हुआ और ताजमहल जैसे ख़ूबसूरत ईमारत का निर्माण करवाया था। 

शाहजहाँ के अलावा जहाँगीर के और भी कई पुत्र और पुत्रियाँ खुसरो मिर्जा, शाहरियर मिर्जा, जहांदर मिर्जा, परविज मिर्जा, बहार बानू बेगम, इफत बानू, दौलत-अन-निसा बेगम थी 

जहाँगीर और नूरजहाँ के रिश्ते.

जहाँगीर और नूरजहाँ के रिश्ते की बात करे तो दोनों पति पत्नी थे। नूरजहाँ का नाम मेहरून्निसा था जो अलिकुली बेग के मौत के बाद सलीमा बेगम की सेवा के लिए न्युक्त की गयी थी। वही उसपे जहाँगीर का नजर पड़ा और वह इतने ख़ूबसूरत थी की जहाँगीर उसके खूबसूरती पर फ़िदा हो गया और शादी करने का मन बना लिया था।

जहाँगीर ने मेहरून्निसा से 1611 में शादी कर लिया और मेहरून्निसा का नाम बदलकर नूरजहाँ रख दिया जो बाद में चलकर एक बहुत ही बहादुर बेगम साबित हुई। सलीम ने नूरजहाँ से शादी के बाद नूरजहाँ को एक अलग ही स्थान दिया था और राज्य का कोई भी काम बिना सहमती के नही करता था। 

यह भी पढ़े -

जहाँगीर का शासनकाल क्या था.

जहाँगीर का शासनकाल  3 नवंबर 1605 - 28 अक्टूबर 1627 तक था उसने मुग़ल साम्राज्य 22 वर्षो तक सेवा दिया था। उसका नाम जहाँगीर उसके शासक बनने के बाद ही दिया गया था उसने अपने शासनकाल में मुग़ल साम्राज्य को आगे बढाया और कई विजय अभियान भी चलाया परन्तु महाराणा प्रताप की तरह उनके पुत्र राणा अमर सिंह ने भी मुगलों का अधीनता नही स्वीकार किया और जहाँगीर से लड़ते और अंत में जहाँगीर को 1615 में उनसे सुलह भी करना पड़ा जिसके बाद दोनों में कभी युद्ध नही हुआ था।

जहाँगीर ने अपने जीवन काल में कोई बड़ा युद्ध नही जीता था परन्तु उसने अकबर के द्वारा जीते हुए प्रदेश को बखूबी संभालकर रखा और कुछ और छोटे-छोटे प्रदेश और रियासत को अपने साम्राज्य में मिलाया था।

उसने दक्षिण को जितने के लिए एक कोशिश भी किया था परन्तु उसमे वह सफल नही हो सका जिसके बाद उसने उन सब से संधि करना मुनासिब समझा और अंत में बीजापुर के शासक और  अहमदनगर के शासक से संधि कर लिया जिसके बाद में जहाँगीर को कुछ किले और क्षेत्र भेंट में दिया था।

शासक बनने के उपरांत जहाँगीर ने लोक कल्याण के लिए कई आदेश भी जारी किया था जिसमे नाक, कान, और हाथ काटने की सजा को रोक दिया था साथ में 12 और आदेश भी पारित किया था। वह चित्रकला का बहुत ही शौक़ीन और उसे पसंद करने वाला व्यक्ति था वह अपने शासनकाल की अवधी के दौरान चित्रकला को बेहद ही बढ़ावा दिया था यही कारण इसके शासनकाल को भारत के चित्रकला का स्वर्ण काल भी माना जाता है। 

जहाँगीर ने न्याय के लिए कई कदम उठाया था जिसमे एक "न्याय का जंजीर" भी था। जिसका निर्माण उसने आगरा का किला शाह्बुर्ज और यमुना के तट पर एक 40 गज लम्बी जंजीर का निर्माण करवाया था जिसमे 60 घंटियाँ था जो लोगो के मुसीबत के समय लिए बनाया गया था।    

पांचवे सिख गुरु की हत्या.

जहाँगीर के शासक बनने के कुछ समय पश्चात ही उसके बड़े बेटे खुसरो ने सता के लालच में अपने पिता के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया था। खुसरो को  लगता था की वह जहाँगीर को हरा देगा और मुग़ल साम्राज्य का नया शासक बन जायेगा परन्तु ऐसा नही हुआ और दोनों के बीच जालंधर के पास युद्ध हुआ जिसमे खुसरो हार गया था। 

इस युद्ध में हार के पश्चात खुसरो को जेलखाने में बंद कर दिया और उस समय के सिख के पांचवे गुरु अर्जुन देव जी पर खुसरो विद्रोह में मदद करने के जुर्म में उनको फाँसी की सजा सुना दिया था। वही जेल में बंद खुसरो की कुछ समय पश्चात मौत हो गया था। 

मुग़ल शासक जहाँगीर का मृत्यु.

मुग़ल शासक जहाँगीर का मृत्यु लाहौर से भारत आते समय 28 अक्टूबर सन 1627 को 58 वर्ष की आयु में हुआ था। जहाँगीर के मौत के पश्चात उसे रावी नदी के तट पर बने किले पर लाहौर में ही दफना दिया गया था जिसे बाद में उसकी बेगम नूरजहाँ ने वहां उसके मकबरे का निर्माण कराया था। 

इन सभी बातो का जिक्र उसके द्वारा रचित किताब “तुजुक-ए-जहांगीर” में भी है जिसे बाद में जहाँगीर के मौत के पश्चात मौतबिंद खान ने पूरा किया था। 

निष्कर्ष

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आप सब को मुग़ल साम्राज्य के शासक जहाँगीर के बारे में विस्तार से बताया गया और आप सब ने जहाँगीर कौन था, जहाँगीर का जीवन परिचय और इतिहास और उससे जुड़ी अन्य  जानकारी के बारे में भी जाना मुझे उम्मीद है की आपको मुग़ल  शासक जहाँगीर से जुड़ा यह पोस्ट आपको पसंद आया होगा।

आपको  यह पोस्ट पसंद आया हो तो इसे शेयर करे और कुछ त्रुटि रह गया हो तो कमेंट करके जरुर बताए।

Post a Comment

Previous Post Next Post