भारत के इतिहास में एक से बड़कर एक शूरवीर योधा हुए, जिन्होंने अपने बल और पराक्रम के बदौलत दुश्मनों को छक्के छुड़ा दिए थे इतना ही नही वे सभी अपने मातृभूमि के लिए अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए थे। पृथ्वीराज चौहान का नाम भी इसी श्रेणी में अंकित है,और आज के इस पोस्ट हम सब इन्ही के बारे जानेगे।
पृथ्वीराज चौहान का जन्म चौहान वंश में हुआ था वे एक बहुत ही बहादुर, साहसी और पराक्रमी योधा थे साथ में वे सभी सैन्य विद्या में बहुत ही निपुण और कुशल योधा भी थे। यहाँ तक यह भी माना जाता है वे अपने समकालीन के सबसे अंतिम हिन्दू राजा भी थे।
उनकी वीरता की एक सच्चाई ऐसा भी है की जब तराईन के द्वितीय युद्ध में जब पृथ्वीराज चौहान हारे तो मोहम्मद ग़ोरी ने उन्हें बंदी बना लिया था और उनकी दोनों आँखे भी निकाल लिया परन्तु इन्होने एक उफ्फ तक नही किया और अपने शब्दभेदी बाण से मोहम्मद ग़ोरी को मौत के घाट उत्तार दिए थे। आइये इनके जीवनी और इतिहास के बारे में विस्तार से जानते है।
पृथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय.
पूरा नाम |
पृथ्वीराज
चौहान (पृथ्वीराज
तृतीय) |
जन्म |
1166 |
जन्म
स्थान |
गुजरात राज्य
(भारत) |
माता-पिता |
कर्पुरा देवी, सोमेश्वर
चौहान |
पत्नि |
संयोगिता |
पुत्र |
गोविंदराजा चतुर्थ |
मृत्यु |
1192 |
पृथ्वीराज चौहान का जन्म एवं जीवन परिचय.
पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1166 गुजरात राज्य (भारत) में हुआ था इनके पिता का नाम सोमेश्वर चौहान और माता का नाम कर्पुरा देवी था। पृथ्वीराज चौहान का जन्म उनके माता पिता के शादी के करीब 12 साल बाद कई मन्नते और पूजा पाठ के बाद हुआ था। वे अपने वाल्यावस्था से ही बहुत बहादुर और साहसी थे यही कारण था की वे अपने खिलाफ रचे गए साजिस को नाकाम कर जीवन में आगे बढ़ते चले गए।
पृथ्वीराज के पिता का देहांत भी आकस्मात हो गया और उस समय इनकी उम्र मात्र 11 वर्ष की थी जिसके चलते इनके ऊपर राज्य का एक बहुत ही बड़ा दायित्व सौप दिया जाता है। परन्तु इन सब कठिनाइयों से ये पीछे नही हटे और डट का सामना किया और साथ ही साथ इन्होने अपने राज्य का विस्तार भी किया।
पृथ्वीराज ने इस दौरान शिक्षा ग्रहण करने के लिए सरस्वती कण्ठाभरण विद्यापीठ और गुरु के रूप में श्री राम जी को चुना था। वही से इन्होने अनेको युद्ध के काला सीखे जिनमे एक शब्दभेदी बाण भी था इसमें वे बिना कुछ देखे आवाज सुनकर बाण चलाते थे। इनके बचपन के मित्र का नाम चंदबरदाई था जो तोमर वंश के थे उन्होंने पृथ्वीराज चौहान के हर कदम पर साथ दिया था। पृथ्वीराज चौहान ने दिल्ली में बने किला राय पिथौरा निर्माण भी करवाया था।
पृथ्वीराज चौहान का शासन.
पृथ्वीराज चौहान ने अपने पिता के मौत के पश्चात महज 11 वर्ष की आयु में अजमेर के उतराधिकारी बने उसके बाद उन्होंने अपने पडोसी राज्य को जितना आरम्भ किया साथ में उन्होंने कई और राजाओ को भी परास्त किया जिनमे चंदेल वंश के शासक और गजनी के शासक मोहम्मद ग़ोरी शामिल था।
सन 1178 में जब मोहम्मद ग़ोरी ने गुजरात (भारत) पर आक्रमण किया उस समय गुजरात के शासक भीमदेव चालुक्य था और उन्होंने मोहम्मद ग़ोरी को बहुत ही बुरी-तरह से हराया था जिसके बाद वह वहां से भाग खड़ा हुआ था।
भीमदेव चालुक्य से हार के पश्चात मोहम्मद ग़ोरी ने अपने सीमा के निकटवर्ती प्रान्त लाहौर और सियालकोट को जीत कर अपने आप को थोडा मजबूत कर लिया था और उसने फिर से 1186 में आक्रमण किया लेकिन इस बार वह पृथ्वीराज चौहान से हार गया था।
चंदबरदाई द्वारा रचित पृथ्वीराज रासो में इस बात का जिक्र किया गया है की 1186 से लेकर 1191 तक मोहम्मद गोरी ने 21 बार आक्रमण किया था परन्तु उसे हर बार हार का सामना करना करना पड़ा था जिसमे उसे कई बार पृथ्वीराज चौहान से भी हार का सामना करना पड़ा था जसमे तराईन का युद्ध भी शामिल है।
पृथ्वीराज चौहान और राजकुमारी संयोगिता की प्रेम कहानी.
पृथ्वीराज चौहान और राजकुमारी संयोगिता की कहानी बहुत ही अद्भुत है कहा जाता है की दोनों बिना एक दुसरे को देखे फोटो मात्र से प्यार कर बैठे थे। संयोगिता राजा जयचंद की बेटी थी और उसने पृथ्वीराज के साहस और बहादुरी के बारे में सुन कर प्रेम कर बैठी थी और अपने पिता से चोरी छुपे पृथ्वीराज को पत्र लिखने लग गयी थी। जब यह पत्र उन्हें मिला और वे जब संयोगिता के फोटो देखे तो वह उसकी खूबसूरती पर मोहित हो जाते है और वे भी संयोगिता से प्यार करने लग जाते है।
कुछ दिन यह सिलसिला चलने के बाद यह बाद राजा जयचंद को पता चल जाता है जिसके बाद उसने संयोगिता के विवाह के लिए स्वयंवर का फैसला लिया और कई वीर योधा को आमंत्रित किया परन्तु उसने पृथ्वीराज चौहान को निमंत्रण नही भेजा।
जब यह बात राजकुमारी संयोगिता को पता चला तब वे एक पत्र पृथ्वीराज को लिखती है सारी बाते बता देती हैं। जिसके बात पृथ्वीराज चौहान ने एक प्लान बनाया और सभी योधाओ को हराते हुए संयोगिता का अपहरण कर लिया और उसे लेकर दिल्ली चले गया जहाँ जाकर दोनों ने विधि पूर्वक शादी कर लिए।
अपनी बेटी के अपहरण के पश्चात जयचंद ने गुस्से में आक्रमण भी किया परन्तु उसे हार का सामना करना पड़ा जिसके बाद वह वापस लौट गया। जयचंद ने बदला लेने के लिए इसके बाद दो बार और 1189 और 1190 में पुनः पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण किया जिसमे दोनों सेना को भरी नुकसान का सामना करना पड़ा था।
तराईन का प्रथम युद्ध.
तराईन का प्रथम युद्ध सरहिंद के किले के नजदीक तराईन नामक स्थान पर हुआ था जिसके चलते इस युद्ध को तराईन का युद्ध कहा जाता है। यह युद्ध पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गोरी के बीच 1191 में लड़ा गया था जिसमे पृथ्वीराज चौहान की जीत और मोहम्मद गोरी का हार हुआ था। उस समय पृथ्वीराज की सेना बहुत ही मजबूत थी जिसमे एक से बड़कर एक वीर योधा, कई घुड़सवार और तीन लाख से अधिक की सेना थी जिसे हरा पाना बेहद ही मुस्किल था।
दिल्ली में शासन के बाद पृथ्वीराज ने अपने राज्य को पंजाब तक विस्तार करने को सोच उन्होंने अपनी सेना के साथ पंजाब के शासक मोहम्मद गोरी पर आक्रमण कर दिया और युद्ध में हांसी, सरहिंद और सरस्वती को मोहम्मद गोरी हार गया।
इसके बाद मोहम्मद गोरी की सेना ने दोबारा आक्रमण कर दिया था परन्तु भयानक चले इस युद्ध में फिर से उसकी सेना हार गयी और इस युद्ध में गोरी बहुत बुरी तरह घायल हुआ और अपनी जान बचा कर भाग खड़ा हुआ था। यह युद्ध सरहिंद के किले के नजदीक तराईन नामक स्थान पर हुआ था जिसके चलते इस युद्ध को तराईन का युद्ध कहा जाता है। इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की जीत और मोहम्मद गोरी का हार हुआ था।
पानीपत का युद्ध - Battle of Panipat.
तराईन का द्वितीय युद्ध.
तराईन का द्वितीय युद्ध भी पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गोरी के बीच ही लड़ा गया था जिसमे मोहम्मद गोरी ने छल से पृथ्वीराज को पकड़ कर घायल कर दिया था। इस युद्ध से पहले मोहम्मद गोरी उनसे 16 बार हार चूका था और वह जनता था की उस वीर योधा को ऐसे युद्ध में हर पाना मुस्किल है इसलिए उसने तराईन के मैदान में जयचंद की मदद से 1192 फिर से आक्रमण कर दिया और इस बार उसने जयचंद से मिलकर अपनी सेना को और भी विशाल कर लिया था।
जयचंद और मोहम्मद गोरी की एकसाथ मिली विशाल सेना से पृथ्वीराज की सेना ने डट कर मुकाबला और वीरगति को प्राप्त होते रहे जिसके बाद पृथ्वीराज अकेला पड़ गए और उन्होंने मदद माँगा परन्तु बहुत से राजपूत राजा जो संयोगिता स्वयंबर में अपमानित हुए थे उन्होंने मदद देने से मना कर दिया।
इस मौके का फायदा उठा कर जयचंद ने पृथ्वीराज चौहान को मदद का वादा देकर उन्हें उनके मित्र चंदबरदाई के साथ गिरफ्तार कर लिया और मोहम्मद गोरी को जाकर सौप दिया। इसके बाद मोहम्मद गोरी ने दोनों को लेकर अफगानिस्तान चला गया था और इसके बाद कोई हिन्दू राजा ने राज्य नही किया, इस तरह तराईन का द्वितीय युद्ध छल पूर्वक समाप्त हुआ था।
मोहम्मद गोरी की निर्ममता.
पृथ्वीराज चौहान और चंदबरदाई को लेकर मोहम्मद गोरी अपने प्रतिशोध को पूरा करने के लिए उन्हें अफगानिस्तान लेकर चला गया था जहाँ जाकर उसने अपनी बर्बरता का परिचय दिया उसने पृथ्वीराज को बहुत ही शारीरिक यातनाए दिया इसके बाद उसने उनके दोनों आँख को निकाल परन्तु उन्होंने एक उफ्फ तक नही किया जिसे देख कर गोरी घबरा गया और जान से मारने का आदेश जारी कर दिया।
इसके बाद चंदबरदाई ने पृथ्वीराज चौहान को गोरी को मारने के षड़यंत्र के बारे में बताया और उन्होंने अपने बनाए गये षड़यंत्र में फसाने के लिए मोहम्मद गोरी से बोला की पृथ्वीराज शब्दभेदी बाण चलाता है इसका प्रतियोगिता किया जाये इसपे मोहम्मद गोरी बहुत हँसा और मजाक बनाने के लिए उसने प्रतियोगिता रख दिया।
अपने शब्दभेदी बाण के लिए प्रसिद्ध पृथ्वीराज चौहान ने प्रतियोगिता में अपने मित्र चंदबरदाई के द्वारा कहे गये कविता "चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चुके चौहान" की मदद से उन्होंने मोहम्मद गोरी को मौत के घाट उत्तार दिया और दुश्मन के हाथो मरने के वजाय खुद भी दोनों ने अपनी जीवन को समाप्त कर लिया।
"चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण,
ता ऊपर सुल्तान है मत चुके चौहान"
FAQ
पृथ्वीराज चौहान का जन्म कब हुआ था ?
पृथ्वीराज का जन्म 1166 में हुआ था।
पृथ्वीराज चौहान का जन्म कहां हुआ था ?
पृथ्वीराज चौहान का जन्म गुजरात में हुआ था।
पृथ्वीराज चौहान कौन से वंश के शासक थे ?
पृथ्वीराज चौहान चौहान वंश के शासक थे।
पृथ्वीराज चौहान कहाँ के राजा थे ?
अजमेर और दिल्ली।
पृथ्वीराज चौहान को किसने मारा था ?
पृथ्वीराज चौहान को मोहम्मद गोरी ने मारा था।
तराईन का प्रथम युद्ध कब हुआ था ?
1191 में।
तराईन का द्वितीय युद्ध कब हुआ था ?
1192 में।
पृथ्वीराज चौहान के दरबारी कवि कौन थे ?
पृथ्वीराज चौहान के दरबारी कवि चंद बरदाई थे।
निष्कर्ष
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आप सब को चौहान वंश के राजा पृथ्वीराज चौहान के बारे में विस्तार से बताया गया और आप सब ने पृथ्वीराज चौहान कौन थे, पृथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय और इतिहास और उससे जुड़ी अन्य जानकारी के बारे में भी जाना मुझे उम्मीद है की आपको उनसे जुड़ा यह पोस्ट आपको पसंद आया होगा।
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