ब्लैक बॉक्स क्या होता है - Black Box full information in Hindi.

ब्लैक बॉक्स क्या होता है - Black Box full information in Hindi.

ब्लैक बॉक्स के नाम से शायद आपको लग रहा होगा कोई ब्लैक कलर के बॉक्स का बात किया जायेगा परन्तु ऐसा नही है। ब्लैक बॉक्स अपने नाम के अनुरूप ब्लैक कलर का नही होता है यह किसी भी हेलिकॉप्टर-प्लेन के लिए बहुत ही जरुरी होता है।  

ब्लैक बॉक्स एक बहुत ही मजबूत धातु का बना होता है जिसके कारण इसपे आग, पानी यहाँ तक की इस पर किसी धमाके का भी प्रभाव नही होता है यह प्लेन या हेलिकॉप्टर के सभी गतिविधियों पर नज़र रखता है

इस बॉक्स का कलर ऑरेंज होता है जब भी किसी प्रकार का कोई हदशा होता है या फिर प्लेन क्रैश हो जाता है तो सबसे पहले इसी ब्लैक बॉक्स को खोजा जाता है जिससे बाद इस प्लेन क्रैश की असली वजह का पता लगाया जा सके। आज के इस पोस्ट में हम सब इसी के बारे में विस्तार से जानेंगे तो चलिए जानते है ब्लैक बॉक्स क्या होता है यह कैसे काम करता है    

ब्लैक बॉक्स क्या होता है.



ब्लैक बॉक्स यानि की फ्लाइट डाटा रिकॉर्ड एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस होता है जो प्लेन में ऑटोमेटिकली काम करता है और उस प्लेन के उड़ान से लेकर विमान के रूकने तक उसके सारे गतिविधियों को रिकॉर्ड करके रखता है  

यह प्लेन के हर के हर एक चीज के बारे में रिकॉर्ड करता है जैसे प्लेन की दिशा कौन सी है, यह किस गति के साथ ट्रेवल कर रहा है, प्लेन में कितना इंधन बचा है, केबिन का TEMPERATURE कितना है और भी कई बातो का ध्यान रखता है यह प्लेन के पिछले 25 घंटो के सारी इनफार्मेशन को save करके रखता है

इस बॉक्स को प्लेन के सबसे पिछले हिस्से में रखा जाता है इसे FDR (FLIGHT DATA RECORD) भी कहा जाता है यह विमान के हादसे के बारे में इन्वेस्टीगेशन के दौरान काफी मदद करता है

बात अगर इस ब्लैक बॉक्स के महता का करे तो यह एक मजबूत धातु टाइटेनियम का बना होता है जो धमाके के बाद भी नस्ट नही होता है और अपने वास्तविक रूप में मौजूद रहता है जिसे प्लेन क्रैश के बाद इस्तेमाल करके इससे जानकारियां इक्कठा किया जाता है

ब्लैक बॉक्स विमान हादसे के बाद करीब 30 दिनों तक ऑनलाइन रहता है जिसके बाद इसे आसानी से खोजा जा सकता है यह कितना भी अधिक ऊंचाई से गिरने के बाद नस्ट नही होता है और सिग्नल भेजता रहता है जो इसकी एक सबसे बड़ी खासियत है

ब्लैक बॉक्स का इस्तेमाल कब और किसने किया.

ब्लैक बॉक्स का सबसे पहले आरंभ सन 1950 के बाद किया गया जब विमान हादसों में बढ़ोतरी हुआ जिससे सरकार और जाँच एजेंसी को इसका सही कारण नही मिल पा रहा था और एक भ्रम की स्थिति पैदा हो गया था जाँच एजेंसी सोचती थी की यदि इसका पता लगा लिया जाये की यह कैसे क्षतिग्रस्त हुआ है तो इसमें और भी सुधार किया जा सकता था

कुछ साल बाद सन 1954 में ब्लैक बॉक्स का आविष्कार डॉ डेविड वारेन ने किया था जो की एक एरोनॉटिकल रिसर्च लेबोरेटरी के ऑस्ट्रलियन मूल के वैज्ञानिक थे। 

ब्लैक बॉक्स के आविष्कार के बाद विमान हादसों को काफी हद तक कम किया गया था क्योकि उसके चलते विमान हादसे के वजह सामने आने लगे थे जिससे यह एक बहुत बड़ा फायदा हुआ था

ब्लैक बॉक्स के सबसे उपरी परत का रंग गुलाबी होता है जिससे यह बहुत दूर से ही देखा जा सकता है इसे विमान के सबसे पिछले हिस्से में रखा जाता है क्योकि हादसे के बाद भी विमान का पिछला हिस्सा काफी कम क्षतिग्रस्त होता है जिससे ब्लैक बॉक्स को और भी सुरक्षा मिल जाता है

ब्लैक बॉक्स के अन्दर क्या होता है.   

ब्लैक बॉक्स के अन्दर दो प्रकार के अलग-अलग बॉक्स होता है जिसका इस्तेमाल दो तरह के कार्यो के लिए किया जाता है

  • Flight data recorder
  • Cockpit voice recorder 

Flight data recorder:-

फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर का काम विमान के ऊंचाई, गति, डायरेक्शन और विमान का तापमान आदि के जानकारी को एकत्र करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इससे विमान के तकनिकी समस्या का भी पता चलता है इसमें करीब विमान के लगभग 75 प्रकार के आकड़े स्टोर होता है।यह लगभग 11000 डिग्री तक अपने आप को अनुकूलित बनाए रखता है

Cockpit voice recorder:- 

कॉकपिट वोइस रिकॉर्डर का काम पिछले 2 घंटो के आवाज को रिकॉर्ड करके रखता है जिससे यह पता चल सके की विमान का माहौल कैसा था इसके recorder से यह पता लगाया जाता है की अलार्म on हुआ था या नही जिससे बाद में सुधार लाया जा सके 

ब्लैक बॉक्स का इस्तेमाल क्यों किया जाता है.

ब्लैक बॉक्स का इस्तेमाल क्रैश हुए हेलिकॉप्टर और प्लेन की असली वजह का पता लगाने के लिए किया जाता है। यह विमान के हर एक चीज के बारे में पिछले कुछ घंटो के जानकारी को इक्कठा करके रखता है जिससे प्लेन के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के बाद इसके असली वजह का पता लगाया जा सके

ब्लैक बॉक्स में प्लेन के करीब 75 प्रकार से भी ज्यादा तरह के आकडे सुरक्षित रहते है इसमें प्लेन का पूरा का पूरा इनफार्मेशन होता है जिससे क्रैश के बाद इसका असली वजह सरकार और जाँच एजेंसी जान पाती है

ब्लैक बॉक्स कैसे काम करता है.

जैसा की आप सभी ने ऊपर में पढ़ा की ब्लैक बॉक्स टाइटेनियम का बना होता है और इसके कई परत होते है जिसके कारण यह बहुत ही मजबूत होता है और किसी भी परिस्थिति में काम कर रहा होता है यह जल्द नस्ट या क्षतिग्रस्त नही होता है

ये प्लेन के सभी गतिविधियों पर बहुत ही पैनी नज़र रखता है और एक एक चीज की इनफार्मेशन save करता है यदि प्लेन क्षतिग्रस्त या क्रैश हो जाता है

उस स्थिति के लिए इसे इस तरह बनाया जाता है जिससे यह 11000 डिग्री ताप को कुछ घंटो तक सहन कर सकता है यह समुद्र में लगभग 20000 फीट निचे गिरने के बाद भी कम कर रहा होता है

इस बॉक्स का निर्माण इस तरह होता है की यह लगभग 30 दिनों तक बिना चार्ज किए काम करता है और लगातार तरंगे बाहर छोड़ता रहता है जिसे इसे ढूंढने में सहूलियत मिल जाता है और फाउंडर मशीन इसे ढूंड लेती है 

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निष्कर्ष

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आप सब को ब्लैक बॉक्स के बारे में विस्तार से बताया गया और आप सब ने ब्लैक बॉक्स क्या होता है, यह कैसे काम करता है। ब्लैक बॉक्स का आविष्कार कब हुआ था तथा यह इतना जरुरी क्यों है इसके बारे में भी जाना मुझे उम्मीद है की आपको आज का यह पोस्ट जरुर पसंद आया होगा।

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