ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? इसके प्रकार, कार्य, विशेषताएं - What is Operating System in Hindi.

ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? इसके प्रकार, कार्य, विशेषताएं - What is Operating System in Hindi.

आज के समय में हर कोई एंड्राइड, विंडोज और IOS का इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन बहुत से ऐसे लोग होंगे जिन्हें यह नही पता होगा की यह क्या होता है। हमारे फ़ोन और कंप्यूटर अपने कार्य करने के लिए कई प्रकार के एप्लीकेशन और प्रोग्राम की मदद लेता है। जिसे हैंडल करने के लिए एक प्रकार के अलग प्रोग्राम की आवश्यकता होती है जिसे ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में जाना जाता है। 

एंड्राइड, विंडोज आदि ऑपरेटिंग सिस्टम के ही उदाहरण है और यह सिस्टम सॉफ्टवेर के रूप में भी जाना जाता है। इसके बिना कोई भी कंप्यूटर या फ़ोन एक बंद डब्बे के सामान है इससे आप समझ ही गए होंगे की यह किसी भी डिवाइस के लिए कितना जरुरी होता है। यह रोबोट से लेकर एटीएम मशीन हर जगह यूज़ होता है परन्तु क्या आपको पता है यह कैसे काम करता है तो चलिए विस्तार से जानते है ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है इसके कितने प्रकार होते है और इसकी क्या विशेषताएं है

ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है.

ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है


ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर प्रोग्राम का एक सेट होता है जिसे शोर्ट फॉर्म में OS कहा जाता है जो कंप्यूटर के अन्य एप्लीकेशन और प्रोग्राम को संचालित करता है इसे सिस्टम सॉफ्टवेयर के रूप में भी जाना जाता है इसके अन्दर असंख्य इंस्ट्रक्शन सेट किया हुआ रहता है और जैसे ही हम कंप्यूटर को टास्क देते है वह इस इंस्ट्रक्शन की सहायता से उस टास्क को परफॉर्म करता है 

दुसरे शब्द में कहा जाये तो ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर और यूजर के बिच mediate का काम करता है जब हम कंप्यूटर को किसी कार्य को करने के लिए इनपुट देते है तो वह Hindi, English या फिर किसी अन्य language में होता है जबकि कंप्यूटर केवल बाइनरी नंबर को ही समझता है ऐसे में OS महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है 

Operating System यूजर टू कंप्यूटर और कंप्यूटर टू यूजर सामंजस्य को बनाए रखता है और दोनों की भाषा को एक दुसरे को समझाता है वही फ़ोन में एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम का काम करता है ऑपरेटिंग सिस्टम ग्राफिकल यूजर इंटरफ़ेस भी उपलब्ध करवाता है जिससे यूजर को command देने में काफी आसानी हो जाता है 

ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार.

ऑपरेटिंग सिस्टम के उसके उपयोग, कार्य के आधार पर कई महत्वपूर्ण प्रकार होते है जिसके बारे में आप सभी को निम्नलिखित में बताया गया है-

  • Batch Operating System
  • Time-Sharing Operating Systems
  • Network Operating System
  • Real-Time Operating System
  • Distributed Operating System

Batch Operating System:-

बैच ऑपरेटिंग सिस्टम का मुख्य काम डाटा को प्रोसेस करना होता है। यह सीधे तौर पर कंप्यूटर से कम्यूनिकेट नही करता है यह एक प्रकार का ऑपरेटर है जो डाटा को batches के रूप में एकत्रित करता है same डाटा को अलग अलग एक्सीक्यूट करता है और यह सभी प्रोसेस ऑटोमेटिकली होता है 

बैंक स्टेटमेंट्स इसका एक अच्छा उदाहरण है

advantages:- 

  • इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में बड़े कार्य को मैनेज करना काफी आसान होता है
  • इसके कार्य में लगने वाले समय का पूर्वानुमान लगाना मुस्किल होता है 
  • इसका idle समय काफी कम होता है

Time-Sharing Operating Systems:-

Time-Sharing Operating Systems के नाम से ही पता चलता है इसमें हर एक काम के लिए एक निश्चित समय दिया जाता है। इसके लिए CPU टाइम को शेयर कर दिया जाता है जिसे प्रत्येक यूजर को बराबर समय मिल सके। इसमें एक साथ कई कार्य को सम्पादित किया जाता है इसलिए इसे मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम भी कहा जाता है।

टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम में एक कार्य के पूरा हो जाने के बाद ही दूसरा कार्य आरम्भ होता है इस तरह से यह प्रक्रिया चलता रहता है जिससे यूजर को किसी प्रकार के कोई परेशानियों का सामना नही करना पड़ता है

UNIX Time-Sharing Operating Systems का एक अच्छा उदाहरण है

advantages:-

  • इसमें प्रत्येक कार्य को पूरा करने के लिए बराबर समय दिया जाता है 
  • कार्य के लिए इसमें CPU समय को कम किया जा सकता है

Network Operating System:-

Network Operating System में कई कंप्यूटर आपस में एक नेटवर्क के रूप में जुड़ कर परफॉर्म करते है यह एक सर्वर के साथ जुड़ा होता है और यह एक दुसरे को प्रिंटिंग, फाइल शेयरिंग, डाटा शेयरिंग की अनुमति देता है।

इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में सभी कंप्यूटर को केवल लॉग इन ID और पासवर्ड के जरिय एक्सेस किया जाता है क्योकि सभी एक सर्वर पर एक प्राइवेट नेटवर्क के रूप में जुड़े होते है इसी कारण इसे कपल्ड सिस्टम के रूप में भी जाना जाता है  

UNIX, Linux, Mac OS X, Microsoft Windows Server 2003 नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण है

advantages:-

  • यह एक सेंट्रलाइज्ड सर्वर होता है 
  • इसके सर्वर को कही से भी एक्सेस किया जा सकता है 
  • हार्डवेयर को अपग्रेड करना इसमें काफी आसान होता है 

Real-Time Operating System:-

रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम केवल रियल टाइम के डाटा को ही प्रोसेस करता है इसलिए यह सबसे एडवांस्ड OS होता है रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम का रेस्पोंड समय काफी कम होता है क्योकि इसके कुछ ही सेकंड के अन्दर सारा काम हो जाता है इसका इस्तेमाल रेल टिकेट बुकिंग, ट्रैफिक control, मिसाइल आदि में किया जाता है 

real-time systems दो प्रकार के होता है पहला Hard Real-Time Systems और दूसरा Soft Real-Time Systems.

industrial control systems और air traffic control systems रियल टाइम सिस्टम के उदाहरण है

advantages:-

  • इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में error नहीं के बराबर होता है
  • इस प्रकार के सिस्टम में मेमोरी एलोकेशन को बहुत ही अच्छे ढंग से मैनेज किया जाता है 
  • यह रनिंग एप्लीकेशन पर अपना पूरा ध्यान केन्द्रित करता है यूज़ में नही आ रहे एप्लीकेशन को यूँ ही छोड़ देता है जिससे किसी प्रकार का कोई फाल्ट उत्पन्न नही होता है

Distributed Operating System:-

Distributed Operating System एक नेटवर्क की तरह काम करता है इसमें सभी सिस्टम एक दुसरे से जुड़े होते है यह कंप्यूटर की दुनिया में विकसित किया गया काफी सस्ता और पावरफुल ऑपरेटिंग सिस्टम है इसके जरिये कम्युनिकेशन technology में काफी सुधार भी हुआ है

Distributed Operating System में सभी सिस्टम एक ही नेटवर्क से जुड़ा होता है परन्तु सभी individually काम करता है इसमें सभी सिस्टम के पास अपना resource होता है

advantages:-  

  • इसमें डाटा प्रोसेसिंग में काफी कम समय लगता है
  • इसमें एक सिस्टम में प्रॉब्लम आ जाने के बाद भी दूसरा सिस्टम सुचारू ढंग से काम करता है क्योकि सभी के पास अपना रिसोर्सेज उपलब्ध होता है
  • इसमें कई सिस्टम को आसानी से जोड़ा जा सकता है 

ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य.

ऑपरेटिंग सिस्टम कई प्रकार के कार्य को परफॉर्म करता है जिसके चलते उसके कार्य के आधार पर उसे कई महत्वपूर्ण भाग में बाँटा गया है जो निम्नलिखित में कुछ इस प्रकार से है-

  • CPU Management 
  • File Management 
  • Memory Management 
  • Device Management 
  • Graphical User Interface 
  • Error Detection 

CPU Management:-

CPU एक कंप्यूटर का अहम् अंग होता है यह सभी टास्क को परफॉर्म करता है। और DECIDE  करता है की किस प्रोग्राम और एप्लीकेशन को कितना समय देना है किस टास्क प्रोसेसर ALLOCATE करना है और इन सभी पर ऑपरेटिंग सिस्टम का नजर होता है और वही CPU को मैनेज करता है। 

ऑपरेटिंग सिस्टम CPU के हर एक गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है यह भी check करता है की CPU किस टास्क को कितना समय दे रहा है और किस काम के लिए ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है

File Management:-

किसी भी कंप्यूटर में कई फाइल मौजूद रहते है जिसका लोकेशन, पाथ आदि याद करना नामुमकिन है और इसे खोजना काफी मुस्किल है। परन्तु ऑपरेटिंग सिस्टम इस काम को आसान बना देता है और वह फाइल के नाम, लोकेशन, डेट आदि के अनुसार व्यवस्थित करके रखता है जिससे उसे ढूँढना आसान हो जाता है।

Memory Management:-

मेमोरी मैनेजमेंट भी ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा ही किया जाता है जैसा ही हम जानते है कंप्यूटर में दो तरह के मेमोरी होते है पहला प्राइमरी मेमोरी और दूसरा सेकेंडरी मेमोरी, यह दोनों तरह के मेमोरी को मैनेज करता है

जब भी हम किसी फाइल या एप्लीकेशन को ओपन करते है तो उसे RAM और ROM की आवश्यकता पड़ता है ऐसे में ऑपरेटिंग सिस्टम ही DECIDE करता है की उस एप्लीकेशन को कितना RAM और ROM प्रोवाइड करना है 

यह multiprocessing के दौरान OS ही निर्णय लेता है कि किस प्रोसेस को कितना मेमोरी देना है यह कंप्यूटर में चल रहे सभी फाइल और प्रोग्राम को मेमोरी ALLOCATE करता है

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Device Management:-

एक कंप्यूटर में कई प्रकार के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर डिवाइस जैसे- कीबोर्ड, माउस, स्टोरेज डिवाइस, मॉनिटर आदि होते है और सबी कंप्यूटर से कम्यूनिकेट करते है ऐसे में किसी प्रकार का कोई प्रॉब्लम उत्पन्न नही हो इस बात का ध्यान भी OS के द्वारा ही रखा जाता है 

यह कंप्यूटर और डिवाइस को इस तरह व्यवस्थित करता है जिससे कम्युनिकेशन में कोई प्रॉब्लम नही हो इस तरह डिवाइस मैनेजमेंट भी OS के द्वारा किया जाता है

Graphical User Interface:-

यह यूजर के लिए GUI (Graphical User Interface) प्रदान करता है दरअसल यह एक इंटरफ़ेस होता है जो कंप्यूटर को ऑपरेट करने में आसान बनाता है इसके चलते स्टार्ट बटन, स्टार्ट मेनू, पॉवर बटन आदि सभी सामने होता है जिससे यूजर को किसी प्रकार का कोई प्रॉब्लम नही होता है उसके क क्लिक मात्र से काम किया जाता है 

इसके इस्तेमाल से कंप्यूटर को यूज़ करना काफी आसान हो गया है इसके लिए किसी command आदि नही देना होता है इसके काम माउस से आसानी से हो जाता है जबकि पुराने कंप्यूटर में GUI नही था जिसके चलते कंप्यूटर को यूज़ करना काफी कठिन काम था

Error Detection:-

अगर आप कंप्यूटर का इस्तेमाल करते है तो प्रॉब्लम जरुर आया होगा यदि कोई प्रॉब्लम आता है तो उसके बारे में हमे बता दिया जाता है साथ में उस प्रॉब्लम को FIX करने बारे में भी बताता है साथ में कभी कभी उसे फिक्स भी कर देता है और यह सभी कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा ही किया जाता है 

ऑपरेटिंग सिस्टम के नाम.

यहाँ आपको कुछ प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में बताया गया है-

  • Windows OS
  • Mac OS
  • Ubuntu
  • Linux OS 
  • Android OS
  • iOS
  • MS-DOS 
  • Symbian OS

ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषताएं.

ऑपरेटिंग सिस्टम की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं निम्नलिखित है-

  • ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर के सभी इनपुट आउटपुट डिवाइस को control करता है।
  • यह ग्राफिकल यूजर इंटरफ़ेस प्रदान करता है जिससे यूजर के लिए कंप्यूटर का इस्तेमाल करना काफी आसान हो जाता है
  • यह प्रत्येक सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर को जरुरी चीजे उपलब्ध करता है जिससे कोई प्रॉब्लम उत्पन्न नही हो
  • यह सिस्टम में हो रही प्रॉब्लम के बारे में बताता है साथ में उसे फिक्स भी करता है
  • यह यूजर और सिस्टम के बिच तालमेल बनाए रखता है
  • यह मेमोरी मैनेजमेंट करता है जिससे किसी भी फाइल, प्रोग्राम, एप्लीकेशन को रन करने में किसी भी प्रकार की कठिनाई नही होता है
  • इसके द्वारा फाइल मैनेजमेंट भी किया जाता है जिससे यूजर को फाइल ढूंढने में किसी प्रकार का कठिनाई नही होता है
  • यह सिस्टम को फ़ायरवॉल, पासवर्ड आदि की मदद से हैकर और UNWANTED कम्युनिकेशन से रोकता है।

निष्कर्ष

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आप सब को ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में विस्तार से बताया गया और आप सब ने ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है ? ऑपरेटिंग सिस्टम कैसे कार्य करता है तथा इसके प्रकार आदि के बारे में भी विस्तार से जाना है 

मुझे उम्मीद है की आपको यह पोस्ट पसंद आया होगा और आशा करता हूँ इस पोस्ट को पड़ने के बाद आपको ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है इससे जुड़े सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गया होगा। यदि आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो इसे शेयर करे और कुछ त्रुटि रह गया हो तो कमेंट करके जरुर बताए

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