जलियांवाला बाग हत्याकांड - Jallianwala Bagh Massacre History in Hindi.

जलियांवाला बाग हत्याकांड - Jallianwala Bagh Massacre History in Hindi.

जलियांवाला बाग हत्याकांड भारतीय इतिहास का सबसे काला दिन और एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी जो अंग्रेजी हुकूमत की आज़ादी के आन्दोलन के खिलाफ एक सोची समझी हत्याकांड थी। यह जनरल रेजिनाल्ड एडवर्ड डायर के नेतृत्व में भारतीय  नागरिको के खिलाफ किया गया था इस हत्याकांड में सैंकड़ो बच्चे, बूढ़े, महिला सभी को जनरल डायर के फ़ौज ने गोलियों से मार दिया था।

भारत में उस समय आज़ादी को लेकर आन्दोलन काफी तेज़ हो गया था और इसी आन्दोलन को दबाने के लिए कायर जनरल डायर ने निर्दोष भारतीयों के ऊपर गोलिया चलवा दिया था। जिससे आन्दोलन शांत हो जाये परन्तु ऐसा नही हुआ, इस हत्याकांड के बाद भारत में आज़ादी की आन्दोलन और भी तेज़ हो गया था तो चलिए जानते है जलियांवाला बाग हत्याकांड से जुडी अन्य जानकारी के बारे में - जलियांवाला बाग हत्याकांड कब हुआ था इस हत्याकांड का असली दोषी कौन था आदि चीजो के बारे में विस्तार से जानते है

जलियांवाला बाग हत्याकांड.

Jallianwala Bagh


जालियाँवाला बाग हत्याकांड अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियाँवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 को (बैसाखी के दिन) हुआ था। जब पुरे भारत पर अंग्रेजी हुकूमत काबिज़ था और भारत में आज़ादी की आग बहुत तेज़ था  उस समय अंग्रेजो ने एक चाल चला और रॉलेक्ट एक्ट लागु कर दिया जिसमे 4 लोगो के एक साथ जमा होने पर प्रतिबन्ध लगा दिया जिससे भारतीय स्वत्रंत्रता सेनानी एक साथ मिल नही सके।

रॉलेक्ट एक्ट क्या है.

सन 1919 में जब जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था उससे पहले यहाँ के क्रांतिकारियों के द्वारा आज़ादी के आग को और भी तेज़ किया जा रहा था ऐसे में अंग्रेजी हुकमत डर कर एक के बाद एक कई नए नए कानून बना रहा था उसी एक कानून में रॉलेक्ट एक्ट भी था। 

6 फरवरी 1919 को इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल में अंग्रेजी सरकार के द्वारा रॉलेक्ट एक्ट बिल पेश किया गया था जिसे इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने बिना सोचे समझे मार्च के महीने में पास भी कर दिया था जिससे अंग्रेजी सरकार को आन्दोलन को ख़त्म करने में और भी बल मिल सके, इसके बाद इसी का फायदा अंग्रेजी सरकार ने उठाया 

दरअसल यह कानून कितना खतरनाक था इसी से आप अनुमान लगा सकते है इस एक्ट के तहत किसी भी भारतीयों को केवल शक के आधार पर गिरफ्तार किया जा सकता था उसे गिरफ्तार करने के बाद बिना किसी जज के सामने पेश किए किसी भी व्यक्ति को 2 साल तक जेल में बंद किया जा सकता था इस कानून को लेकर पुरे भारत में आन्दोलन स्टार्ट हो गया था। भारत के कई बड़े नेता इस आन्दोलन में आगे आए और इस कानून का विरोध महात्मा गाँधी ने भी किया और सत्याग्रह आन्दोलन को पुरे भारत में शुरू किया था

मार्शल लॉ की शुरुआत.

जब 1919 में रॉलेक्ट एक्ट कानून को लागु किया गया उसके बाद पुरे भारत में आन्दोलन का माहौल था उसी के विरोध में महात्मा गाँधी ने भी सत्याग्रह आन्दोलन को पुरे भारत में शुरू किया जिसे पूरी तरह से समर्थन भी मिल रहा था इस तरह यह आन्दोलन धीरे धीरे बढ़ते हुए अमृतसर में भी स्टार्ट हुआ और इसके तहत 6 अप्रैल को एक हड़ताल रखा गया और सभी भारतीयो ने रॉलेक्ट एक्ट का विरोध किया। 

इसके बाद भारत के दो नेताओ को अंग्रेजो ने गिरफ्तार कर लिया और उन्हें नजरबन्द कर दिया  जिसके नतीजे में भारतीयों ने उन्हें छुड़ाने के लिए वहां के डिप्टी कमेटीर से मिलना चाहा परन्तु उसने मना कर दिया जिसके बाद गुस्साए भारतीयों ने कई जगहों पर आग लिया दिया। इस प्रदर्शन के वजह से कुछ अंग्रेजी सिपाही मारे गए जिसके बाद में अमृतसर का जिम्मा जनरल डायर को सौपा गया और जनरल डायर ने अमृतसर आते ही 11 अप्रैल को मार्शल लॉ लागु कर दिया था

मार्शल लॉ के तहत किसी भी पब्लिक स्थान पर एक साथ 4 या इससे अधिक भारतीयों को जमा होने पर रोक लगा दिया गया था और जहाँ भी 4 लोग दिख रहे थे उनके सिपाही सभी को पकड़ कर जेल में बंद कर दे रहे थे

मार्शल लॉ क्या है?

जलियांवाला बाग हत्याकांड.

रॉलेक्ट एक्ट और मार्शल लॉ की लागु हो जाने के चलते भारतीय लोग और क्रन्तिकारी सही से मिल नही पा रहे थे। जिससे कुछ लोगो और क्रांतिकारी ने एक पकडे गए नेताओ को रिहा करवाने के लिए शांतिपूर्ण सभा के लिए गुप्त रूप से इक्कठे हुए।

दरअसल जिस दिन इस सभा का आयोजन होना था वह बैसाखी का दिन था जिसके चलते कई हज़ार लोग स्वर्ण मंदिर को देखने वहां आए हुए थे और घूमते घूमते जलियांवाला बाग पहुँच गए जहाँ उस शांतिपूर्ण सभा को आयोजित किया गया था

लोगो के इस सभा के बारे जब जनरल डायर को पता चला तब उसने अपने 150 सैनिको के साथ वहां आ पहुंचा और बिना किसी चेतावनी और सुचना के उस बाग में घूम रहे सभी लोगो पर गोलियां चलवाना शुरू कर दिया और लगातार 10 मिनटों तक वहां गोलियां चलती रही जिसके परिणाम स्वरूप लोगो में भगदड़ मच गया और लोग इधर उधर भागने लगे कुछ लोग वहां बने कुँए में छिपने के मकसद गए परन्तु उसके सिपाहीयों ने उस बंद कुँए में भी अंधाधुंध गोलियां चलाई जिससे सभी लोग मारे गए। जलियांवाला बाग हत्याकांड को लेकर उस समय जिन्दा बचे लोगो का यह भी मानना था की जनरल डायर के सिपाही उस समय तक गोलियां चलाते रहे जब तक उनके गोलियां ख़त्म नही हो गयी थी 

जलियांवाला बाग हत्याकांड के पीछे डायर का मकसद आजादी के क्रांति को शांत करना था परन्तु यह उल्टा हो गया और लोग जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद अंग्रेजो के खिलाफ हो गए और सभी एक जुट हो गए थे जलियांवाला बाग में स्थित वह कुआँ आज भी है जिसे लोग शहीद कुआँ के नाम से जानते है 

जलियांवाला बाग आज के समय में एक पर्यटन स्थल बना हुआ है जहाँ आज भी उस समय के याद उपलब्ध है इस स्थान पर कई गोलियों के निशान भी मौजूद है जो उस समय चला गया था साथ में उस समय मारे गए लोगो की याद में स्मारक का भी निर्माण किया गया था 

जलियांवाला बाग हत्याकांड में मारे गए कूल लोग.

जालियाँवाला बाग हत्याकांड अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियाँवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 को (बैसाखी के दिन) हुआ था। इस हत्याकांड में 1000 से अधिक लोग मारे गए और 1500 से ज्यादा लोग घायल हुए थे परन्तु अंग्रेजो ने अपने आप को विश्व से बचाने के लिए इस आकड़ा को कम कर 370 लोगो के मरने के बात को सबके सामने बताया था

जलियांवाला बाग हत्याकांड से जुडी अन्य जानकारियां.

  • जलियांवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल 1919 को स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियाँवाला बाग में  बैसाखी के दिन हुआ था
  • इस हत्याकांड में 1000 से अधिक लोग मारे गए थे और 1500 से अधिक लोग घायल हुए थे
  • इस हत्याकांड के बाद भारतरत्न से सम्मानित रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपने नाइटहुड की उपाधि को लौटा दिया था उन्होंने उस समय के वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड को पत्र के द्वारा बताया था की इस उपाधि को वापस कर ले
  • इस हत्याकांड में भारतीयों के ऊपर लगातार 10 मिनटों तक गोलियां चलाई गई थी
  • इस हत्याकांड को उस समय का लेफ्टिनेंट गवर्नर मायकल ओ ड्वायर ने सही करार दिया था साथ में कई और अंग्रेज अधिकारी ने भी इस हत्याकांड को सही करार दिया था
  • जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद इस कांड की जाँच के लिए 1919 में एक कमिटी का गठन किया गया था
  • इस कमिटी का अध्यक्ष लार्ड विलियम हंटर को बनाया गया और जिसका नाम हंटर कमिटी रखा गया था
  • इस कमिटी के अन्दर कुछ भारतीयों को भी शामिल किया गया था जिससे निस्पछ जाँच हो सके
  • 19 नवम्बर 1919 को इस कमिटी ने पहली बार जनरल डायर को पेश होने का आदेश दिया था
  • जनरल डायर ने अपने बात रखते हुए कहा था की उसने गोली चलाने का आदेश बैठक का पता चलने के बाद ही दिया था क्योकि यदि वह गोली नही चलाता तो लोग उसके बारे में बाते बनाते जिसके चलते उसने गोलियां चलवाया था
  • डायर इसके बाद यह भी कबूला था की वह बिना किसी लोगो को मारे और गोलियां चलाए लोगो को वहा से हटा सकता था परन्तु उसने ऐसा नही किया क्योकि लोग दोबारा से इक्कठा हो सकते थे
  • हंटर कमिटी ने डायर के इस कदम को बहुत ही बाहियात बताया था और उसने 8 मार्च 1920 को लोगो के सामने इस रिपोर्ट को पेश किया और बताया की उसका लोगो के ऊपर इतनी देर तक फायरिंग करना बिलकुल ही गलत था इसके बाद में जनरल डायर को दोषी करार देते हुए 23 मार्च 1920 को उसे उसके पद से हटा दिया गया था 

जनरल डायर की हत्या.

जनरल डायर की हत्या सरदार उधम सिंह ने केक्सटन हॉल में 13 मार्च 1940 को किया था लोगो का मानना है की जलियांवाला बाग हत्याकांड के दिन सरदार उधम सिंह उस बाग में मौजूद थे उन्होंने इस हत्याकांड को अपनी आँखों से देखा था और इसमें उन्होंने अपने करीबी को खो दिया था जिसके चलते उन्होंने उस दिन डायर को मारने का मन बना लिया था 

सरदार उधम सिंह ने उस दिन मारे गए सभी लोगो का बदला लेने के लिए भारत से इंग्लैंड गए जहाँ जाकर उन्होंने कुछ भारतीयों के साथ मिलकर प्लान बनाया और 13 मार्च 1940 को  केक्सटन हॉल में गोलियों से भुन दिया था और अपने सभी भारतीयों भाइयो, बहनों और माताओं का बदला लिया था। जब भारत आजाद हुआ तो उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सरदार उधम सिंह को 1952 में एक शहीद के दर्जे के साथ सम्मानित किया था  

सरदार उधम सिंह के इस कार्य को पुरे भारत में सराहना किया गया था साथ में उनके इस बहादुरी वाले कार्य के लिए कई विदेशी अखबारों ने जमकर सराहना किया था परन्तु 1940 में उन्हें लंदन में फांसी की सजा सुनाई गई जब उनसे पूछा गया की आप ने डायर को क्यों मारा तो उन्होंने ने इसका जवाब कुछ इस प्रकार से दिया था  -  "डायर को मैंने उसके कार्यो के लिए मारा है डायर इसी लायक था वह हम भारतीयों के भावना को कुचलना चाहता था इसलिए आज मैंने उसे कुचल दिया मै अपने देश के लिए मर रहा हूँ इसलिए मुझे इसका जरा भी अफ़सोस नही है "

FAQs.

जलियांवाला बाग़ हत्याकांड का दोषी कौन था?

जलियांवाला बाग़ हत्याकांड का दोषी जनरल डायर था

जलियांवाला बाग़ हत्याकांड कब हुआ था?

जलियांवाला बाग़ हत्याकांड 13 अप्रैल 1919 को हुआ था

जलियांवाला बाग़ कहाँ पर स्थित है?

जलियांवाला बाग़ पंजाब के अमृतसर में स्थित है

जनरल डायर को किसने मारा था?

सरदार उधम सिंह ने

जनरल डायर कब मारा गया था?  

जनरल डायर केक्सटन हॉल में 13 मार्च 1940 को मारा गया था

जलियांवाला बाग हत्याकांड में कितने लोग मारे गए थे?

जलियांवाला बाग हत्याकांड में 1000 से अधिक लोग मारे गए थे 

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