प्राचीन काल में एक वंश बहुत ही लोकप्रिय हुआ जिसके बारे में आज भी सभी लोग पढ़ते है। उस वंश में एक से बढ़कर एक शूरवीर, शक्तिशाली और विश्वप्रसिद्ध राजा हुए थे उसी वंश से एक राजा सम्राट अशोक भी हुए जिन्हें लोग उनके कार्यो और अखंड भारत पर शासन के लिए जनता है। अशोक मौर्य वंश के तीसरे शासक थे कहा जाता है की अशोक एक धार्मिक सहिष्णु और बौध धर्म के सबसे बड़े अनुयायी भी थे।
अशोक को ‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक’ भी कहा जाता है जिसका अर्थ होता है सम्राटों का सम्राट और यह उपाधि सम्राट अशोक को दिया गया था अशोक के अलावा यह उपाधि भारत के अन्य किसी भी शासक को नही दिया गया है। यह उपाधि ही अशोक के महानता को दिखाने के लिए काफी है।
अशोक के शासन काल में मौर्य वंश की सीमा पूर्व में बांग्लादेश एवं पाटलिपुत्र से लेकर पश्चिम में ईरान और बलूचिस्तान था इतना ही नही मौर्य साम्राज्य का शासन उत्तर में हिन्दुकुश एवं तक्षशिला से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी एवं मैसूर तक फैला था। इन सभी जगहों को आज के वर्तमान समय से तुलना किया जाये तो यह पुरे भारत, नेपाल, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान और भूटान सभी देशो पर मौर्य राज्यवंश का शासन था जिसे अखंड भारत के रूप में जाना जाता था। तो चलिए सम्राट अशोक का इतिहास, जीवन परिचय आदि के बारे भी विस्तार से जानते है।
सम्राट अशोक का जीवन परिचय.
नाम |
सम्राट अशोक |
जन्म |
304 ईसा पूर्व |
जन्म स्थान |
पाटलिपुत्र , वर्तमान पटना (बिहार) |
पिता का नाम |
बिन्दुसार |
माता का नाम |
सुभद्रांगी (धर्मा) |
पत्नी का नाम |
देवी, कारूवाकी, पद्मावती, तिष्यरक्षिता |
संतान का नाम |
महेंद्र, संघमित्रा कुणाल, चारुमती तीवल |
वंश का नाम |
मौर्य वंश |
उपाधि |
प्रियदर्शी |
राज्याभिषेक |
270 ईसा पूर्व |
मृत्यु |
232 ईसा पूर्व |
समाधि |
पाटलिपुत्र, वर्तमान पटना |
सम्राट अशोक का जन्म एवं आरंभिक जीवन.
अशोक का जन्म 304 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र वर्तमान पटना में हुआ था इनके पिता का नाम बिन्दुसार और माता का नाम सुभद्रांगी (धर्मा) था। अशोक को मौर्य वंश के सबसे शक्तिशाली के रूप में भी जाना जाता है वे मौर्य वंश के तीसरे शासक और चन्द्रगुप्त मौर्य के पौत्र थे। अशोक अपने बचपन से ही बहुत प्रखर बुधि और युद्ध कला में निपुण था यही कारण था की अशोक ने अखंड भारत पर अपना साम्राज्य स्थापित किया था।
अशोक एक महान शासक के साथ साथ एक ज्ञानी व्यक्ति भी थे अशोक को अर्थशास्त्र, गणित, सैन्य योजना आदि चीजो का अधिक ज्ञान था। उन्होंने ने शिक्षा के प्रचार प्रसार के कई कॉलेज और स्कूल का निर्माण करवाया था जिससे लोगो को भी इनके बारे में जानकारी मिल सके।
अशोक की माता क्षत्रिये कूल की नही थी जिसके कारण धर्मा को ज्यादातर राजपरिवार में विशेष दर्जा नही जिसका असर अशोक के जीवन पर भी दिखता था और उन्हें भी आरंभिक जीवन में कोई विशेष अधिकार नही था परंतु अशोक ने कुछ ही समय में अपने बुधि और विवेक के चलते एक बहुत ही अहम् मुकाम को पा लिया था जिसके चलते उन्हें लोग पसंद करने लग गये थे।
सम्राट अशोक का परिवार.
सम्राट अशोक मौर्य वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य के पौत्र और मौर्य साम्राज्य के दुसरे शासक बिन्दुसार के पुत्र थे जिनके माता का नाम धर्मा था।
अशोक के दो और भाई थे एक नाम सुशीम था जो अशोक से बड़ा था वही एक और भाई का नाम तिष्य था जो अशोक से छोटा था परन्तु कही पे अशोक के 100 भाई होने का जिक्र मिलता है जिसे इतिहासकारों ने खारिज कर दिया है वही दिव्यदान में अशोक के भाई सुसीम और विगताशोक का जिक्र मिलता है।
सम्राट अशोक की पत्नि.
सम्राट अशोक ने अपने जीवन काल में कूल पांच विवाह किए और उनके पत्नियों के नाम कुछ इस प्रकार से है - देवी, कारुवाकी, पद्मावती, तिष्यरक्षिता, असंधिमित्रा
अशोक की पहली पत्नि का नाम देवी था जो वेदिसगिरि को रहने वाली थी जिससे अशोक ने विवाह उज्जैन के वाइसराय रहने के दौरान किया था। वही असंधिमित्रा को अशोक के प्रमुख रानियों में से एक माना जाता है जो अशोक की तीसरी पत्नि थी जिसका जन्म 302 ईसा पूर्व में असंदीवत राज्य में हुआ था माना जाता है की वह एक राज परिवार से नाता रखने वाली राजकुमारी थी।
सम्राट अशोक के पुत्र.
सम्राट अशोक के पुत्र का नाम महेंद्र, कुणाल और तीवल था जबकि पुत्री का नाम संघमित्रा और चारुमती था।
महेंद्र, चारुमती और संघमित्रा रानी देवी के पुत्र और पुत्रियाँ थी जबकि कारुवाकी के पुत्र का नाम तीवल और पद्मावती के पुत्र का नाम कुणाल था वही असंधिमित्रा का कोई संतान नही था इसलिए उसने देवी की पुत्री चारुमती को पाला था और उसे अपनी पुत्री मानती थी।
सम्राट अशोक का साम्राज्य विस्तार.
बात अगर अशोक के साम्राज्य विस्तार का करे तो उन्होंने मौर्य वंश को एक नई मुकाम प्रदान किया था। सम्राट अशोक ने चन्द्रगुप्त मौर्य और आचार्य चाणक्य के द्वारा देखि गई अखंड भारत के सपने को बरक़रार रखा था साथ में साम्राज्य का विस्तार और भी अधिक किया था। अशोक के बहादुरी और महानता का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है की उसने मात्र 8 वर्षो के अन्दर में असम से लेकर ईरान तक मौर्य साम्राज्य को विस्तृत कर दिया था।
अशोक के शासन काल में मौर्य वंश की सीमा पूर्व में बांग्लादेश एवं पाटलिपुत्र से लेकर पश्चिम में ईरान और बलूचिस्तान था इतना ही नही मौर्य साम्राज्य का शासन उत्तर में हिन्दुकुश एवं तक्षशिला से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी एवं मैसूर तक फैला था। इन सभी जगहों को आज के वर्तमान समय से तुलना किया जाये तो यह पुरे भारत, नेपाल, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान और भूटान सभी देशो पर मौर्य राज्यवंश का शासन था।
कलिंग का युद्ध.
कलिंग का युद्ध अशोक के जीवन का एक बहुत ही अहम् युद्ध माना जाता है इस युद्ध के बाद ही अशोक ने बौध धर्म को अपना लिया था। अशोक के तेरहवें शिलालेख के अनुसार अशोक ने कलिंग के ऊपर 261 ईसा पूर्व में में आक्रमण किया था। उस समय कलिंग का शासक अनंत पद्मनाभन था जिसे युद्ध से पहले अशोक ने एक पत्र के माध्यम से मौर्य वंश के अधीनता स्वीकार करने के लिए कहा था परन्तु कलिंग नरेश नही माना था जिसके बाद इस युद्ध का आरम्भ हुआ था।
कलिंग का युद्ध एक बहुत ही भयावह युद्ध था इस युद्ध में कलिंग के करीब 1.5 लाख सैनिक मारे गए थे जबकि मौर्य वंश के करीब 1 लाख से अधिक सैनिक मारे गए थे। लाखो लाख की संख्या में सैनिक घायल हुए थे कइयो को बंदी बना लिया गया था। इस दृश्य को देखकर अशोक का ह्रदय द्रवित हो गया था और वह काफी दुखी भी हुआ था अशोक के मन में मानवता के प्रति दया और करुणा का भाव बहने लगा था।
कलिंग युद्ध के पश्चात् अशोक ने युद्ध को बंद करने का प्रतिज्ञा कर लिया था साथ में अशोक ने कभी शास्त्र नही उठाने का प्राण भी लिया था और इसके बाद धार्मिक प्रचार करना आरम्भ कर दिया था कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने धम्म को अपनाते हुए गौतम बुद्ध द्वारा बनाये गए बौध धर्म के अनुयायी बन गया था।
बौद्ध धर्म.
कलिंग युद्ध के पश्चात सम्राट अशोक का मन इस तरह परिवर्तित हुआ था की उसने बौद्ध धर्म को अपनाते ही शिकार और पशु हत्या तक बाद कर दिया था अशोक ने जनकल्याण के लिए कई धार्मिक स्थल, स्कूल, चिकित्सालय बनवाए, साथ में अशोक के द्वारा बनवाया गया साँची का स्तूप विश्व प्रसिद्ध है।
बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार और भी अच्छे तरीको से हो इसलिए अशोक ने कई लोगो को श्रीलंका, नेपाल, अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया, यूनान आदि देशो में भेजा साथ में अशोक ने खुद लोगो को इसके बारे में बताया।
बौद्ध धर्म के प्रचार में अशोक के पुत्र महेंद्र को बहुत बड़ा योगदान जाता है महेंद्र ने ही श्रीलंका में इसका प्रचार चरम पर किया था जिसका परिणाम यह हुआ था की वहां के उस समय के राजा ने इसे अपना राजधर्म बना लिया था।
सम्राट अशोक के शिलालेख.
सम्राट अशोक ने अपने जीवन काल में कई शिलालेखो का निर्माण करवाया जिसपे उन्होंने मौर्य वंश के बारे जानकारी स्थापित किया है अशोक ने अपने जीवन काल में कई शिलालेखो का निर्माण करवाया जिसमे से कुछ भारत तो कुछ और अन्य देशो में भी है। ये शिलालेख वर्तमान भारत, अफ़्ग़ानिस्तान, बंगलादेश, नेपाल, पाकिस्तान में भी है।
इस शिलालेख में कई महत्वपूर्ण जानकारी भी मिलते है यह शिलालेख ही यह बताता है की बौद्ध धर्म कितना प्राचीन है इस शिलालेख से यह भी पता चलता है की बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार भूमध्यसागरीय क्षेत्र तक किया जाता था।
सम्राट अशोक का मृत्यु.
सम्राट अशोक का मृत्यु 232 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र में हुआ था उनके कई अवशेष पटना कुम्हरार के पास मिले है। अशोक ने लगभग 36 वर्षो तक राज्य किया था उनके मृत्यु के पश्चात उनके पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा ने बौद्ध धर्म का प्रचार जोरो पर किया था। उनके मृत्यु के पश्चात भी आज लोगो उन्हें उनके द्वारा किए गए कार्यो के लिए याद करते है।
चक्रवर्ती सम्राट अशोक सीरियल.
सम्राट अशोक के बारे में हर किसी जानना अच्छा लगता है और इसी को और भी लोगो को बेहतर ढंग से बताने के लिए कलर्स टीवी चैनल पर एक शो लाया गया था जिसका नाम "चक्रवर्ती सम्राट अशोक" था जिसे लोगो के बिच काफी पसंद भी किया गया था।
"चक्रवर्ती सम्राट अशोक" सीरियल को सबसे पहली बार टीवी पर 2015 में लाया गया था जिसके बाद यह शो बहुत ही पसंद किया गया था जिसके कूल मिलाकर 442 एपिसोड रिलीज़ किया गया था वही इस सीरियल का आखिरी शो 7 अक्टूबर 2016 को आया था।
FAQ.
अशोक अपने पिता के कौन से पुत्र थे?
अशोक अपने पिता के दुसरे पुत्र थे।
सम्राट अशोक किस धर्म का अनुयायी थे?
सम्राट अशोक बौद्ध धर्म के अनुयायी थे।
अशोक सम्राट की कितनी पत्नियां थी?
अशोक सम्राट की कूल पांच पत्नियाँ थी उनके पत्नियों के नाम कुछ इस प्रकार से है - देवी, कारुवाकी, पद्मावती, तिष्यरक्षिता, असंधिमित्रा
अशोक की मृत्यु कब हुई थी?
अशोक की मृत्यु 232 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र, वर्तमान पटना में हुआ था।