शीत युद्ध (Cold War) किसे कहते है - शीत युद्ध के कारण और परिणाम.

शीत युद्ध (Cold War) किसे कहते है - शीत युद्ध के कारण और परिणाम.

शीत युद्ध किसे कहते हैं, शीत युद्ध क्या है, इसके कारण, परिणाम और कब प्रारंभ हुआ था (Cold War Kya Hai in Hindi, cold war meaning, Reason and Result)

शीत युद्ध अन्य युद्ध की तरह नही होता है जिसमे दो पक्ष आमने सामने आकार युद्ध में हिस्सा लेते है। शीत युद्ध को किसी गोली - बारूद के साथ नही लड़ा जाता है यह दोनों पक्षों के बिच अप्रत्यक्ष रूप से होता है साथ में इसमें लोगो की जान जाने की संभावना भी नही होता है। 

दरअसल शीत युद्ध का आरम्भ द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद आरम्भ हुआ था जिसमे एक ओर अमेरिका और दूसरी तरफ सोवियत रूस था। इन दोनों के बिच मेंभयंकर तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गया था जिसे शीत युद्ध के रूप में जाना जाता है।

उस समय एक बार फिर से कई देश दो गुटों में बंट गए थे एक का नेतृत्व रूस और दूसरी गुट का नेतृत्व अमेरिका ने किया था रूस के नेतृत्व में साम्यवादी देश थे जबकि अमेरिका के नेतृत्व में पूँजीवादी देश शामिल थे परन्तु इतना सब होने के बाद दोनों गुटों के बिच हमेशा युद्ध का माहौल बना रहता था परन्तु दोनों आमने सामने युद्ध के लिए नही आये थे। 

cold war शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 1945 में जॉर्ज ऑरवेल के द्वारा किया गया था जो की एक अंग्रेजी लेखक थे उन्होंने ने ही अपने लेख में इसे प्रकाशित किया था तो चलिए विस्तार से जानते है शीत युद्ध (Cold War) किसे कहते है तथा यह कब और क्यों प्रारंभ हुआ था और इसका क्या परिणाम हुआ था 

शीत युद्ध क्या है.

Cold War


शीत युद्ध के बारे में इसके नाम से सारा कुछ व्यक्त हो जाता है यह एक ऐसा युद्ध होता है जिसमे दो देशो की सेना आपस में आमने सामने नही लडती है इसमें आरोप - प्रत्यारोप और धमकियां दिया जाता है दुसरे शब्द में कहा जाये तो यह युद्ध धमकियों तक ही सिमित रहता है इसमें दोनों देशो के बिच कुटनीतिक युद्ध लड़ा जाता है कोई वास्तविक युद्ध नही लड़ा जाता है

शीत युद्ध का आरम्भ द्वितीय विश्वयुद्ध के अंत के बाद 1946 में हुआ था यह युद्ध अपने आप को एक तरह से सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए भी थे जिसमे विश्व के दो महाशक्तियां आमने सामने हुई थी दोनों के बिच में आरोप - प्रत्यारोप हुआ, धमिकयां दिया गया साथ में यह युद्ध कागज़ पर भी लड़ा गया, समाचार आदि सभी जगह लड़ा गया केवल युद्ध के मैदान को छोड़ कर इसमें न तो एक गोलियां चली और ना ही कोई घायल हुआ था   

आप सभी को एक बात जानना बेहद जरुरी है जब द्वितीय विश्वयुद्ध हुआ था उस समय पर अमेरिका और सोवियत संघ ने एक साथ मिलकर युद्ध किया था इनके साथ में ब्रिटेन और फ्रांस भी था जो जर्मनी, जापान और ऑस्ट्रिया के विरुद्ध में लड़ा था परन्तु द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ऐसा नही रहा और दोनों देश अलग हो गए थे क्योकि दो विरोधी विचारधारायें एक हो ही नही सकते है

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका अपने आप को सबसे ऊपर दिखाना चाहता था परन्तु यह बात कभी भी रूस को पसंद नही था जिसके चलते वह अमेरिका के against में खड़ा हुआ था साथ में दोनों की विचारधारायें भी अलग थी जिसके चलते कई देश पूंजीवाद और साम्यवाद (Capitalism and Communism) गुट में बंट गए थे और अमेरिका को सबसे बड़ा चुनौती 1949 में मिला जब रूस ने भी परमाणु हथियार बनाकर उसके बढ़ रहे ताकत को ख़त्म कर दिया था

शीत युद्ध के कारण.

शीत युद्ध के पनपने का कई कारण था जो द्वितीय विश्वयुद्ध के समय से ही उत्पन्न होने लगा था और उसके समाप्ति के बाद यह सबके सामने आ गया था। क्योकि अमेरिका और रूस दोनों के विचार मेल नही खाते थे दोनों अपने फायदे को देख रहे थे साथ में अमेरिका अपना सर्वस्व कायम रखना चाहता था। जो रूस को पसंद नही था और इन दोनों के मतभेद को ही शीत युद्ध का असली वजह बताया जाता है 

तो चलिए शीत युद्ध के अन्य कारणों के बारे में जानते है जिसके बारे में निम्नलिखित में बताया गया है -

  • शीत युद्ध का सबसे मुख्य कारण साम्यवादी और पूँजीवादी विचारधाराओ का प्रसार था 
  • टर्की में सोवियत संघ का हस्तक्षेप करना 
  • सोवियत संघ का विश्व मंच पर शक्ति के रूप में उभरना 
  • बर्लिन विवाद
  • बाल्कन समझौता को सोवियत संघ द्वारा अवहेलना करना 
  • पोलैंड सीमओं का निर्धारण 
  • अमेरिका द्वारा किया गया परमाणु हमला 
  • याल्टा समझौते की सोवियत संघ द्वारा अवहेलना करना
  • एक दुसरे के खिलाफ विरोधी प्रचार करना 
  • वीटो पॉवर का सोवियत संघ द्वारा बार बार इस्तेमाल में लाना 
  • यूनान में सोवियत संघ का साम्यवादी प्रसार 
  • ईरान में सोवियत सेना की मोर्चाबंदी और हस्तक्षेप करना
  • तुष्टिकरण नीति का सामने आना 

शीत युद्ध के चरण.

दोनों महाशक्तियो के बिच शीत युद्ध अचानक से आरम्भ नही हुआ था इसका आरम्भ कई साल पहले हुआ था लेकिन यह द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पुरे विश्व के सामने आ गया था इसके बाद में  दोनों देश खुल कर एक दुसरे पर आरोप - प्रत्यारोप करने लग गये थे तथा यह कई सालो तक चलता है जिसके कई चरण थे जो निम्नलिखित है

शीत युद्ध के चरण:- 

शीत युद्ध का प्रथम चरण (1946 - 1953) 

शीत युद्ध का दूसरा चरण (1953 - 1963) 

शीत युद्ध का तीसरा चरण (1963 से 1979) 

शीत युद्ध का चौथा और अंतिम चरण (1980 - 1989)

शीत युद्ध के दौरान हुई महत्त्वपूर्ण घटनाएँ.

बर्लिन की दिवार:-

शीत युद्ध के दौरान हुई सबसे महत्वपूर्ण घटना में बर्लिन की घटना एक है द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सभी देशो ने मिलकर जर्मनी को विभाजित किया। सोवियत संघ को पूर्वी जर्मनी और पश्चिमी भाग को अमेरिका, फ़्रांस और ब्रिटेन को दिया गया ठीक इसी तरह से उसके राजधानी को भी बांटा गया जो इसके विवाद का मुख्य कारण बना था।     

जब सोवियत संघ के साथ अन्य देशो का तनाव बढ़ रहा था तो 1948 में सोवियत संघ ने बर्लिन को घेरना शुरू कर दिया उसके बाद 1961 में जर्मन डेमोक्रेटिक रिपब्लिकन सरकार ने पूर्वी और पश्चिमी बर्लिन के बिच में एक दीवार का निर्माण किया जो बर्लिन की दिवार के रूप में जाना जाने लगा

बर्लिन की दिवार को शीत युद्ध का महत्वपूर्ण प्रतिक माना जाता रहा परन्तु सन 1989 में यह दिवार ध्वस्त हो गया था जिसके बाद शीत युद्ध का भी समाप्ति हो गया था

NATO:-

शीत युद्ध के दौरान हुई घटना में यह भी एक महत्वपूर्ण घटना है जिसमे अमेरिका के नेतृत्व में यूरोप के कई देश ने मिलकर एक गठबंधन किया था जिसे NATO का नाम दिया गया था

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यूरोप का हाल एक दम से बेहाल हो गया था युद्ध की बाद सोवियत संघ ने पश्चिम यूरोप से अपनी सेना को हटाने से मना कर दिया था जिसे देखते हुए अमेरिका ने इसका लाभ उठाया और सोवियत संघ के खिलाफ नारेबाजी किया और अन्य देशो को इसके खतरे से अवगत कराया जिसके परिणाम स्वरूप अन्य देशो ने अमेरिका के बात को मान लिया और संघठन को तैयार हो गए जो उनकी सुरक्षा भविष्य में किसी खतरा के समय कर सके

अमेरिका का यह रूख सोवियत संघ को पसंद नही जिसके बाद में दोनों सामने आये और विश्व युद्ध के बाद एक महाशक्ति के रूप में उभरे जिसे देखते हुए यूरोप में दोबारा से युद्ध का संकेत आना लगा था इसी खतरा को भापते हुए बूसेल्स की संधि किया गया जिसके अंतर्गत फ्रांस, ब्रिटेन, लक्जमबर्ग, बेल्जियम, नीदरलैंड देश शामिल हुए 

बूसेल्स की संधि में इन देशो के द्वारा यह तय किया गया की यदि किसी भी देश पर आक्रमण हुआ तो अन्य देश उसे सभी प्रकार के सहायता जैसे- सैन्य बल, आर्थिक बल आदि प्रदान करेंगे

इसके बाद इस संधि में अमेरिका, पुर्तगाल, इटली, डेनमार्क, नार्वे, कनाडा शामिल हुए जिसके बाद में 1949 में NATO का गठन किया जिसके तहत यदि किसी भी देश पर आक्रमण हुआ तो अन्य देश उसे सभी प्रकार के सहायता प्रदान करेंगे 

शीत युद्ध का परिणाम.

40 वर्ष से अधिक चले शीत युद्ध का अंत 1989 में हुआ था इसके कुछ साल बाद ही सोवियत संध का भी विघटन हो गया था इसके विघटन के कई कारण माना जाता है जिसमे एक शीत युद्ध था इस युद्ध के कारण कई देशो पर इसका बहुत बुरा असर देखने को मिला था। 

शीत युद्ध के चलते कई देशो में आतंकवाद फैला जिसने पुरे विश्व पर बहुत ही बुरा असर छोड़ा इसके अलावा दुनिया के अर्थव्यवस्था पर भी असर देखने को मिला। 

FAQs  

शीत युद्ध कब शुरू हुआ था?

सन 1946

शीत युद्ध कब से कब तक चला?

सन 1946 से लेकर सन 1989 तक 

शीत युद्ध के प्रमुख साधन क्या था? 

शीत युद्ध के प्रमुख साधन प्रचार और धमकी था

शीत युद्ध की समाप्ति की घोषणा किसने की?

अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश तथा सोवियत राष्ट्रपति गौर्बाचोव

शीत युद्ध के कितने चरण थे?

शीत युद्ध के चार चरण थे 

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