ISP क्या है? ISP फुल फॉर्म - What is ISP in Hindi

ISP क्या है? ISP फुल फॉर्म - What is ISP in Hindi

आज के समय में हम सभी लोग इन्टरनेट से घिरे हुए है इसके बिना आज के समय में किसी चीज का कल्पना करना भी मुस्किल है। क्योकि हर जगह इसका इस्तेमाल किया जा रहा है इन्टरनेट का इस्तेमाल ऑनलाइन क्लासेज, टीवी शो, कुकिंग, मीटिंग आदि के लिए किया जा रहा है। 

परन्तु इन सभी कार्यो के लिए सभी को एक अच्छे इन्टरनेट कनेक्टिविटी की जरुरत पड़ता है जो विश्वसनीय हो और उसका नेटवर्क स्पीड भी अच्छा हो, ऐसे में सभी इन्टरनेट यूजर को ISP के बारे में जानना बेहद ही जरुरी है तो चलिए विस्तार से जानते है आखिर यह ISP क्या है और ISP का फुल फॉर्म क्या है - What is ISP in Hindi 

ISP का फुल फॉर्म क्या है.

ISP का फुल फॉर्म इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर (internet service provider) होता है इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर लोगो को इन्टरनेट प्रदान करती है 

ISP क्या है.

ISP


जैसा की आप सभी ने ऊपर में पढ़ा की ISP का फुल फॉर्म internet service provider होता है दरअसल यह एक कंपनी होता है जो किसी भी होम यूजर या फिर आर्गेनाइजेशन को इन्टरनेट provide करती है और यह लोगो को इन्टरनेट के जरिये जोड़ता है। दुनिया में सबसे पहले इसका शुरुआत USA में 1984 में किया गया था जबकि भारत की बात करे तो यह 1995 में VSNL (विदेश संचार निगम लिमिटेड) के द्वारा किया गया था  

किसी भी यूजर को ISP से इन्टरनेट लेने के लिए उसके लिए मासिक शुल्क देना पड़ता है और एक इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर इन्टरनेट के अलावा यूजर और और भी कई सेवाएँ जैसे- डोमेन रजिस्ट्रेशन, सॉफ्टवेयर पैकेज, ईमेल सेवाएँ आदि प्रदान करता है 

बिना इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर के कोई भी यूजर इन्टरनेट का इस्तेमाल नही कर सकता है क्योकि ISP के द्वारा के वेबसाइट और सर्वर को कनेक्ट किया जाता है और इसी कार्य के उनके द्वारा हमसे इन्टरनेट रिचार्ज के पैसे लिया जाता है

आपने कभी सोचा है की google कंपनी कई हज़ार किलोमीटर दूर स्थित है परन्तु जब हम जैसे ही उसे ओपन करते है वह कुछ सेकंड्स के अन्दर ही ओपन हो जाता है और ऐसा ISP के द्वारा ही संभव हो पाया है क्योकि उनके द्वारा उसके सर्वर और आपके डिवाइस को इंटरकनेक्ट किया जाता है 

ISP कंपनी के प्रकार.

ISP कंपनी के मुख्य रूप से तीन प्रकार होते है इसी को ISP का लेवल भी कहा जाता है जिसके बारे में आप सभी को विस्तार से बताया गया है -

  • Tier 1
  • Tier 2
  • Tier 3 

Tier 1:-

tier 1 में सबसे उच्च स्तारिये सर्विस प्रोवाइडर होते है जो क्षेत्रिये के अलावा अन्य देशो में भी नेटवर्क स्थापित करता है इन्टरनेट प्रोवाइड करने के लिए इनके द्वारा समुद्री मार्गो में केबल बिछाया जाता है।

tier 1 सर्विस प्रोवाइडर इन्टरनेट को अन्य देशो में पहुँचाने में बहुत अहम् भूमिका अदा करता है इसके अलावा tier 1 यूजर को सीधे तौर पर इन्टरनेट उपलब्ध नही करता है यह सबसे पहले tier 2 को देती है उसके बाद यूजर तक पहुँचता है 

tier 1 के सर्विस प्रोवाइडर के नाम :- 

  • TATA 
  • BHARTI 
  • SPRINT 
  • AT&T 
  • VSLNL 

Tier 2:-

tier 2 ISP क्षेत्रिये और देश के अन्दर कार्य करते है और यह tier 1 और tier 3 के बिच रहकर काम करता है और peering अग्रीमेंट के तहत अन्य tier 2 के कंपनी से जुड़ा रहता है और ट्रैफिक को भेजने के लिए नेटवर्क का इस्तेमाल करती है।

tier 2 के सर्विस प्रोवाइडर के नाम :- 

  • JIO 
  • AIRTEL 
  • BSNL 
  • VODAFONE 
  • IDEA 

Tier 3:-

tier 3 के ISP tier 2 के ISP से इन्टरनेट खरीदते है और उसे यूजर के घरो तक पहुँचाने का काम करते है और इसके लिए वे tier 2 के नेटवर्क का इस्तेमाल करते है। 

tier 3 के सर्विस प्रोवाइडर के नाम :- 

  • MTNL 
  • DEN BROADBAND
  • SITI CABLE 
  • TIKONA  

ISP कनेक्शन के प्रकार.

ISP कनेक्शन को कई प्रकार में बांटा गया है जो यूजर को कई प्रकार के कनेक्शन प्रदान करता है -

डायलअप कनेक्शन:-

डायलअप कनेक्शन में इन्टरनेट के लिए टेलीफोन के लाइन का इस्तेमाल किया जाता है वही इसके सेटअप के लिए मॉडेम का इस्तेमाल किया जाता है जो दोनों के बिच इंटरफ़ेस की तरह काम करता है।

इसका इस्तेमाल छोटे शहर या ग्रामीण क्षेत्रो में किया जाता है क्योकि डायलअप कनेक्शन में इन्टरनेट का स्पीड बहुत ही स्लो होता है 

DLS Connection:-

DLS कनेक्शन का फुल फॉर्म डिजिटल सब्सक्राइबर लाइन कनेक्शन होता है और यह डायलअप कनेक्शन से बेहतर होता है इसमें भी इन्टरनेट प्रोवाइड करने के लिए टेलीफोन लाइन का ही इस्तेमाल किया जाता है परन्तु इसमें इन्टरनेट का स्पीड हाई होता है

वही डिजिटल सब्सक्राइबर लाइन में इन्टरनेट कनेक्टिविटी के लिए transceiver और modem का इस्तेमाल किया जाता है  

Wi-Fi कनेक्शन:-

आपने देखा होगा की आज के समय होटल, रेलवे स्टेशन आदि जगहों पर Wi-Fi उपलब्ध रहता है और यह आसानी से कनेक्ट हो जाता है और वहां इन्टरनेट का स्पीड भी काफी अच्छा होता है

दरअसल इस कनेक्टिविटी के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी, राऊटर और मॉडेम का इस्तेमाल किया जाता है जिससे डिवाइस के मध्य सिग्नल ट्रान्सफर आसानी से हो सके 

केबल कनेक्शन:-

केबल कनेक्शन में इंटरनेट के लिए सर्विस प्रोवाइडर के द्वारा टेलीफोन लाइन के वजाय केबल टीवी के लाइन का इस्तेमाल किया जाता है 

इसके लिए सर्विस प्रोवाइडर उपभोगता तक केबल ले जाते है उसके बाद केबल को मॉडेम से कनेक्ट किया जाता है उसके बाद कंप्यूटर को ईथरनेट केबल के द्वारा उसे मॉडेम से कनेक्ट किया जाता है

ऑप्टिकल फाइबर इन्टरनेट:- 

ऑप्टिकल फाइबर में अन्य कनेक्शन के मुकाबले इन्टरनेट का स्पीड कई गुणा अधिक तेज़ होता है और इसमें downloading स्पीड करीब करीब 1 Gbps तक होता है और इन्टरनेट कनेक्टिविटी के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल का इस्तेमाल किया जाता है  

Satellite internet connection:-

Satellite internet connection का इस्तेमाल उस जगह पर किया जाता है जहाँ इन्टरनेट को केबल के जरिये नही पहुँचाया जा सकता है या फिर उसमे अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा हो

Satellite internet connection वायरलेस होता है जिसमे इन्टरनेट कनेक्टिविटी के लिए satellite dishes का इस्तेमाल किया जाता है

निष्कर्ष 

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आप सब को ISP के बारे में विस्तार से बताया गया और आप सब ने ISP क्या है? - ISP के प्रकार और उससे जुड़ी अन्य जानकारी के बारे में भी जाना।

मुझे उम्मीद है की आपको यह पोस्ट पसंद आया होगा और आशा करता हूँ इस पोस्ट को पड़ने के बाद आपको ISP से जुड़े सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गया होगा। यदि आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो इसे शेयर करे और कुछ त्रुटि रह गया हो तो कमेंट करके जरुर बताए।

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