शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का महत्व, कहानी और कहां-कहां स्थित हैं - Shiva 12 Jyotirlinga in Hindi

शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का महत्व, कहानी और कहां-कहां स्थित हैं - Shiva 12 Jyotirlinga in Hindi

जैसा की हम सभी जानते है की भारत एक मंदिरों का देश है यहाँ आस्था मे विश्वास रखने वाले लोग बसते है और सभी का मानना एक जैसा ही होता है। हमारे देश भारत मे कई ऐसे धाम है जिसके बारे मे लोगों का मानना है की वहाँ सच्चे मन से जाने पर लोग दोष मुक्त हो जाते है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष को प्राप्त करते है। 

ऐसे ही शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के बारे मे भी लोगों का मानना है की यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन काल मे 12 ज्योतिर्लिंग का दर्शन कर लेता है तो उसे मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होता है। 

आज के इस पोस्ट मे आप सभी को शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का महत्व, कहानी और कहां-कहां स्थित हैं इसके बारे मे विस्तार से बताया गया है यदि आप भी शिव के सभी ज्योतिर्लिंग के बारे मे जानना चाहते है तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढे।

Shiva 12 Jyotirlinga


ज्योतिर्लिंग का अर्थ क्या है.

ज्योतिर्लिंग का अर्थ "रोशनी का प्रतीक " होता है जिसे संस्कृत से लिया गया है धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओ के अनुसार शिव यहाँ साक्षात रूप से ज्योति के रूप विराजमान है। भारत मे शिव के 12 ज्योतिर्लिंग है जिसे काफी पवित्र माना गया है इन सभी स्थानों पर भगवान शिव को उनके अलग अलग नामों से जाना जाता है। 

इन सभी स्थानों पर शिव की बहुत ही धूम धाम से पूजा किया जाता है और लाखों लाख की संख्या मे श्रद्धालु आकर अपने मनोकामना को पूरा करते है साथ ही साथ ऐसा कहा जाता है की उनके सारे पाप धूल जाते है और उन्हे मोक्ष की प्राप्ति होता है। 

शिव के 12 ज्योतिर्लिंगो के नाम.

आप सभी को शिव के 12 ज्योतिर्लिंगो के नाम निम्नलिखित मे बताया गया है-

  • सोमनाथ  
  • मल्लिकार्जुन
  • महाकालेश्वर
  • ॐकारेश्वर
  • केदारनाथ
  • भीमाशंकर
  • काशी विश्वनाथ
  • त्र्यम्बकेश्वर
  • वैद्यनाथ
  • नागेश्वर
  • रामेश्वर
  • घृष्णेश्वर

शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का महत्व और कहां-कहां स्थित हैं.

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात)

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को शिव के प्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप मे जाना जाता है यह गुजरात राज्य मे स्थित है। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का जिक्र हमारे पौराणिक ग्रंथ शिव पुराण, स्कन्द पुराण, श्रीमद भागवत गीता और ऋग्वेद मे मिलता है। 

शिव पुराण के कथा के अनुसार एक बार प्रजापति दक्ष चंद्रमा से क्रोधित होकर चंद्रमा को सहरोग का श्राप दे दिया था जिसके बाद चंद्रमा इसी स्थान पर आकर भगवान शिव को प्रसन्न किया था जिसके बाद उनका कष्ट दूर हुआ था। 

इसी कारण माना जाता है की इस मंदिर का निर्माण खुद चंद्रमा के द्वारा किया गया था इस मंदिर मे बने चांदी के भाग का निर्माण सूर्यदेव और चंदन के भाग को भगवान श्री कृष्ण ने बनवाया था।  यहाँ पर चंद्रदेव के द्वारा एक कुंड का निर्माण भी किया गया था जिसे सोमनाथ कुंड कहा जाता है यदि इस कुंड मे कोई भी स्नान कर लेता है तो उसके सारे पाप नष्ट हो जाते है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्रप्रदेश)

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का निर्माण सतवाहन साम्राज्य के द्वारा किया गया था यह आंध्रप्रदेश मे कृष्णा नदी के किनारे पर स्थित है। 

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के रख-रखाव का श्रेय कई राजा को जाता है कहा जाता है की छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस मंदिर के रख-रखाव मे अपना योगदान दिया था। 

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (उज्जैन)

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के धार्मिक नगरी उज्जैन मे स्थित है इस ज्योतिर्लिंग के बारे मे लोगों का मानना है की यह अपने आप प्रकट हुआ था यहाँ भगवान शिव की पूजा भस्म से किया जाता है। 

इस ज्योतिर्लिंग की सबसे खास बात यह है की 12 ज्योतिर्लिंग मे से यह एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिण मुखी है यहाँ एक मान्यता और प्रचलित है की महाकालेश्वर के दर्शन से लोग अकाल मृत्यु से दूर हो जाते है।

ॐकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्यप्रदेश)

ॐकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश मे इंदौर शहर के पास मे स्थित है। ॐकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास मे नर्मदा नदी बहती है और यह ओम का अकार बनाती है जिसके चलते इसका नाम ॐकारेश्वर है। 

यहाँ पर ॐकारेश्वर और मामलेश्वर दो लिंग है परंतु दोनों को एक ही लिंग का स्वरूप माना जाता है ॐकारेश्वर को स्वयम्भू भी कहा जाता है। 

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग  (उतराखंड)

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग शिव के 12 ज्योतिर्लिंग मे से एक है और यह सभी ज्योतिर्लिंग मे सबसे अधिक लोकप्रिये है केदारनाथ मे दर्शन के लिए हिन्दू धर्म के अलावा क्रिश्चियन और यहूदी लोग भी आते है। 

कहा जाता है की केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का निर्माण पांडवों के द्वारा करवाया गया था वे सभी अपने पापों से मुक्ति के लिए इसका निर्माण करवाए थे। 

केदारनाथ मंदिर पर्वत के शिखर पर स्थित है जो बदरीनाथ के रास्ते मे है और ऋषिकेश से करीब 132 मिल दूर स्थित है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (पुणे)

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे मे सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है जो नासिक से करीब 120 मिल दूर है। इस ज्योतिर्लिंग के करीब से भीमा नदी गुजरती है जो इसी पर्वत से निकली है इस ज्योतिर्लिंग का 12 ज्योतिर्लिंग मे से छठा स्थान है। 

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (वाराणसी)

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग उतर प्रदेश के वाराणसी शहर मे स्थित है वाराणसी को भारत का सबसे बड़ा धर्म स्थल माना जाता है। 

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कई मान्यताएं है कहा जाता है की जब पृथ्वी का निर्माण हुआ था तो सूर्य की किरण सबसे पहले काशी मे ही पड़ा था। 

एक मान्यता यह भी है की इस स्थान की रक्षा स्वयं भगवान शंकर करते है यदि पृथ्वी का विनाश भी हो जाएगा तो काशी यूं ही बना रहेगा। इस मंदिर को कई बार तोड़ने का प्रयत्न किया गया परंतु हर बार इस मंदिर को नए सिरे से बनाया गया जिसमे कई लोगों ने अपना योगदान दिया। 

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (नासिक)

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का सभी ज्योतिर्लिंग मे अठवाँ स्थान है वही त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक मे स्थित है। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग नासिक मे ब्रम्हगिरी पर्वत पर स्थित है यही से गोदावरी नदी भी निकलती है इसलिए इसे गोदावरी नदी का उद्गम स्थान भी कहा जाता है। 

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (देवघर)

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग पूर्व बिहार एवं वर्तमान झारखंड के संथाल परगना के पास स्थित है इस ज्योतिर्लिंग को रावण के भक्ति के रूप मे भी देखा जाता है और कहा जाता है की यहाँ भक्तों की मनोकामना आवश्य पूरी होती है

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को 12 ज्योतिर्लिंग मे से 9वाँ ज्योतिर्लिंग माना जाता है यहाँ भगवान शिव के दर्शन के लिए हार दिन हजारों हजार की संख्या मे भक्त आते है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (द्वारका)

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका मे स्थित है जो द्वारकापुरी से 17 मिल दूर स्थित है इस ज्योतिर्लिंग की सबसे खास बात यह है की इसमे भगवान शिव के 80 फिट की मूर्ति बना है जिसका निर्माण दारुक के द्वारा किया गया था। यहाँ पर जो भी भक्त सच्चे मन से मनोकामना मांगते है वह पूर्ण किया जाता है।

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (कन्याकुमारी)

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु मे रामनाड (रामनाथपुरम) मे स्थित है इसका कहानी त्रेतायुग से जुड़ा हुआ है और कहा जाता है की रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का निर्माण भगवान राम ने किया था। 

रामेश्वरम मे ही भगवान राम और विभीषण का मुलाकात पहली बार हुआ था जहां पर राम ने विभीषण को लंका का राजा घोषित किया था रामेश्वरम को श्रीरामलिंगेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।

इस ज्योतिर्लिंग का निर्माण खुद भगवान राम ने किया था इस लिए इसका नाम उन्ही के नाम पर रामेश्वरम रखा गया था।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (औरंगाबाद)

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र मे दौलताबाद से लगभग 18 किमी दूर मे स्थित है यह भगवान शिव का सबसे अंतिम ज्योतिलिंग है। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग को शिवालय भी कहा जाता है इसके अलावा इसे घुसृणेश्वर या घृष्णेश्वर नाम से भी जाना जाता है।  

निष्कर्ष

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आप सभी को शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में विस्तार से बताया गया और आप सब ने ज्योतिर्लिंग क्या है शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का महत्व, कहानी और कहां-कहां स्थित हैं इसके बारे मे विस्तार से जाना है।   

मुझे उम्मीद है की आपको शिव के 12 ज्योतिर्लिंग से जुड़ा यह पोस्ट आपको पसंद आया होगा। आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो इसे शेयर करे और कुछ त्रुटि रह गया हो तो कमेंट करके जरुर बताए।

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