चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास।(Chandragupta Maurya History in Hindi)

चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास।(Chandragupta Maurya History in Hindi)


चन्द्रगुप्त मौर्य की कहानी.

चन्द्रगुप्त मौर्य ,मौर्य साम्राज्य के संस्थापक और आचार्य चाणक्य के शिष्य थे। इतिहास में उनका नाम एक महान योद्धा और एक कुशल राजा के रूप में अंकित है। चन्द्रगुप्त मौर्य को लोग आज भी उनके साहस और भारत के इतिहास को गौरवपूर्ण बनाने के लिए याद करते है।

चन्द्रगुप्त मौर्य, मौर्य साम्राज्य के ही नही बल्कि वे इतिहास के प्रसिद्ध राजाओ में से एक थे। जिनका शासन भारत के साथ साथ कई और भी देशों पर था। चन्द्रगुप्त मौर्य का राज्य उत्तर-पश्चिम में ईरान की सीमा से लेकर दक्षिण में वर्त और उत्तरी कर्नाटक तक फैला हुआ था। वही पूर्व में मगध से लेकर पश्चिम में सौराष्ट्र तक फैला हुआ था। वही पाटलिपुत्र वर्त्तमान पटना चन्द्रगुप्त मौर्या की राजधानी थी।


Chandragupta Maurya

चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म.

चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म 340 BC पूर्व , पाटलीपुत्र वर्तमान पटना में हुआ था। उनके जन्म को लेकर इतिहासकारों की अलग-अलग मत है। कुछ का मानना है की चन्द्रगुप्त मौर्य नंदा वंश के थे और उनके पिता नंदा और माता मुरा थी ,और यही कारन है की उनका उपनाम मौर्य था। जबकि कही पे उन्हें नंद का वंशज भी कहा गया है। नंदा और मुरा के चन्द्रगुप्त को मिलाकर १०० बेटे थे।

चन्द्रगुप्त मौर्या का शुरुआती जीवन बहुत ही दुखद था। क्योंकि उनके जन्म के पहले ही उनके पिता का निधन हो गया था।और जब चन्द्रगुप्त 10 साल के हुए तब उनकी मां मुरा का भी निधन हो गया था। वही इतिहासकारों का कहना है, की चन्द्रगुप्त मौर्य के पिता दो भाई थे, जिनका नाम नवनादास था। जो चन्द्रगुप्त के पिता के सौतेले भाई थे। दोनों भाइयो में आपसी रंजिस के चलते नंदा के निधन के बाद नवनादास ने चन्द्रगुप्त के 99 भाइयो को मार दिया। पर चन्द्रगुप्त मौर्य वहां से किसी तरह बच निकले और मगध साम्राज्य में छिप कर रहने लगते है। चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने जीवन काल में दो शादियाँ किये पहली पत्नी दुर्धरा थी, जिनसे बिंदुसार नाम का पुत्र हुआ, इसके अलावा दूसरी पत्नी हेलना थी, जिनसे उन्हें जस्टिन नाम के पुत्र हुआ।

चन्द्रगुप्त मौर्य और उनके गुरु आचार्य चाणक्य.

मगध में चन्द्रगुप्त की मुलाकात उस समय के सबसे महान अर्थशास्त्री, राजनीति विज्ञान में निपुण एक बुद्धिमान गुरु आचार्य चाणक्य से होती है। जो उस समय तक्षशिला में प्रिंसिपल थे। चाणक्य, चन्द्रगुप्त को लेकर तक्षशिला चले जाते है। जहाँ पे उन्होंने चन्द्रगुप्त को हर तरह की शिक्षा और गुण सिखलाये। जब सिकंदर ने भारत पे अकर्मण किया तो यहाँ के कई राजाओ ने सिकंदर की अधीनता स्वीकार कर लिया। उनमे से एक थे, तक्षशिला नरेश आम्भी। आम्भी का सिकंदर से मिल जाने के बाद चाणक्य ने भारत की अखंडता और संस्कृति को बचाने के लिए मगध साम्राज्य सम्राट धनानंद से मदद मांगी। पर भोग-विलास एवं घमंड में चूर धनानंद ने चाणक्य का अपमान किया और वहां से भगा दिया।

अपने अपमान का बदला लेने के लिए चाणक्य ने चन्द्रगुप्त के साथ मिलकर एक सेना की गठन किये जिसका सेनापति उन्होंने चन्द्रगुप्त मौर्या को बनाया।और नंद साम्राज्य के पतन और अखण्ड भारत की शपथ ली थी। लेकिन अखण्ड भारत के लिए उन्हें मगध सम्राट धनानंद को भी हराना था। जो बहुत ही मुश्किल था। क्योंकी उस समय मगध की सेना बहुत ही बड़ी थी।

यही कारन था की चन्द्रगुप्त को जहां चाणक्य जैसे महान, यशस्वी, कूटनीतिज्ञ, दार्शनिक और बुद्धिमान की जरूरत थी, तो वहीं चाणक्य को चन्द्रगुप्त जैसे एक पराक्रमी योद्धा एवं सेनापति की जरूरत थी।

मौर्य साम्राज्य की स्थापना

इतिहास के अनुसार मौर्य साम्राज्य की स्थापना में चाणक्य का बहुत बड़ा योगदान था। मगध सम्राट धनानंद की क्रूरता और यवनों के अकर्मण को बढ़ते देख चाणक्य और चन्द्रगुप्त ने अपने सैन्य शक्ति का विस्तार आरंभ कर दिए। इसके बाद चन्द्रगुप्त ने हिमालय प्रदेश के राजा पर्वतक से संधि की। चाणक्य की कूटनीति से चन्द्रगुप्त ने कई बड़ी राज्यों को अपने साथ में लेकर पाटलिपुत्र पे अकर्मण कर दिया । चन्द्रगुप्त मौर्य का यह सबसे महत्वपूर्ण युद्ध था, क्योंकी यह युद्ध चन्द्रगुप्त ने अपने उतराधिकार के लिया लड़ा और नंद वंश के आस्तित्व को मिटाने में सफल हुए। चन्द्रगुप्त ने चाणक्य की सहायता से मौर्य वंश की स्थापना कर चाणक्य को मगध का मुख्य सलाहकार एवं प्रधानमंत्री घोषित किया।

अखण्ड भारत और राज्य विस्तार

मगध सम्राट बनने के बाद चन्द्रगुप्त मौर्य एक ताकतवर शासक के रूप में सबके सामने नजर आये। चाणक्य के मार्गदर्शन और उनके कथन अनुसार चलकर चन्द्रगुप्त ने पश्चिम में बर्मा और जम्मू-कश्मीर से दक्षिण के हैदराबाद तक अपने मौर्य साम्राज्य का विस्तार करने में सफलता हासिल की। सिकंदर के मृत्यु के बाद उसके द्वारा जीते गये सभी छोटे छोटे राज्य अब स्वतंत्र हो गये थे। इसी अवसर को देख चन्द्रगुप्त ने सभी राज्यों को जीत कर मौर्य साम्राज्य में मिला लिया,और अपने साम्राज्य का विस्तार वर्तमान इरान, क्राजिस्तान, ताजाकिस्तान तक फैला दिया।

इतिहासकारों के अनुसार चन्द्रगुप्त ने सम्पूर्ण भारत को अपने विशाल सैनिकों द्वारा जीतकर अपने अधीन कर लिया। और 305 ईसापूर्व में फारस को भी अपने अधिकार में लेकर मौर्य साम्राज्य में मिला लिया। चन्द्रगुप्त मौर्य ने इसके बाद सिकन्दर के सेनापति सेल्यूकस निकेटर की राज्य पे अकर्मण कर उसे भी अपने साम्राज्य में मिला लिया और उससे संधि कर ली। सेल्यूकस निकेटर ने संधि के बाद यवन राजकुमारी से चन्द्रगुप्त मौर्य की शादी कर दी। खुश होकर सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य ने निकेटर को 500 हाथियों की विशाल सेना भेंट दी। इस तरह चन्द्रगुप्त ने पुरे भारत के छोटे छोटे राज्यों को मौर्य साम्राज्य में मिला लिया और चाणक्य की अखण्ड भारत की सपना को साकार किया। चन्द्रगुप्त मौर्य ने करीब 24 वर्षो तक पुरे भारत पे राज्य किया।

चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यु

298 ईसापूर्व , करीब 50 साल की उम्र में चन्द्रगुप्त ने अपना साम्राज्य बेटे बिंदुसार को देकर कर्नाटक चले गए, जहाँ उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।

चन्द्रगुप्त मौर्य के जाने के बाद बिंदुसार ने अपने विवेक एवं पूर्ण कुशलता के साथ मौर्य साम्राज्य को आगे बढाया, जिनका साथ चाणक्य ने दिया । जिसे आगे जाकर उनके पोते अशोक ने एक नए मुकाम पर पहुँचाया था। बिंदुसार के समय में भी मौर्य साम्राज्य के प्रधानमंत्री चाणक्य ही थे।

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FAQ

  • मौर्य साम्राज्य की स्थापना किसने की थी?

मौर्य साम्राज्य की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने की थी।

  • चन्द्र गुप्त मौर्य का जन्म कब हुआ?

चन्द्र गुप्त मौर्य का जन्म 340 ईसा – पूर्व हुआ था।

  • चन्द्र गुप्त मौर्य का जन्म कहाँ हुआ था?

चन्द्र गुप्त मौर्य का जन्म पाटलिपुत्र  में हुआ था।

  • चन्द्र गुप्त मौर्य ने कौन सा धर्म अपनाया ?

ऐसा कहा जाता हैं कि चन्द्रगुप्त ने जैन धर्म से प्रेरित होकर जैन धर्म अपनाया।

  • चन्द्रगुप्त मौर्य की पत्नी का नाम क्या था?

चन्द्रगुप्त मौर्य की दो पत्नियाँ थी जिसका नाम दुर्धरा और हेलेना था | दुर्धरा, धनानंद की बेटी थी और हेलेना, सेल्यूकस निकेटर की बेटी थी।

  • चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु कौन थे?

चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु विष्णुगुप्त चाणक्य थे।

  • चंद्रगुप्त मौर्य के पुत्र का नाम?

चंद्रगुप्त मौर्य के पुत्र का नाम बिन्दुसार था |

  • चन्द्रगुप्त मौर्य का प्रधानमंत्री कौन था?

चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री  “विष्णुगुप्त चाणक्य” थे। ये “कौटिल्य” के नाम से विख्यात थे।

  • चन्द्रगुप्त मौर्य का कार्यकाल?

चन्द्रगुप्त मौर्य का कार्यकाल 322 ई०पू० से 298 ई०पू० तक था। चन्द्रगुप्त मौर्य ने 24 वर्षो तक शासन किया।


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